WhatsApp DP Scam
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    WhatsApp DP Scam: आज के समय में जब हर काम व्हाट्सऐप पर होता है, तो ठग भी नए-नए तरीकों से लोगों को निशाना बना रहे हैं। हैदराबाद साइबर क्राइम पुलिस द्वारा हाल ही में पकड़े गए एक मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया है, कि कैसे ठग आज के समय में नकली पहचान का इस्तेमाल करके बड़ी कंपनियों को भी अपना शिकार बना रहे हैं।

    इस चौंकाने वाले मामले में दो युवकों ने एक गाड़ी की डीलरशिप कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर का रूप धारण करके कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी से पूरे 1.94 करोड़ रुपए की ठगी की है। यह घटना न सिर्फ साइबर सुरक्षा की कमजोरियों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है, कि कैसे आजकल के ठग तकनीक का गलत उपयोग कर रहे हैं।

    गिरफ्तारी की पूरी कहानी-

    हैदराबाद साइबर क्राइम पुलिस ने इस सप्ताह की शुरुआत में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पहला आरोपी अजय साहू उर्फ अज्जू (20 वर्ष) मध्य प्रदेश के दतिया जिले का रहने वाला है, जबकि दूसरा आरोपी वैष्णा (26 वर्ष) उत्तर प्रदेश के आगरा जिले से है। पुलिस टीम ने इन दोनों को ग्वालियर और आगरा से गिरफ्तार किया और शुक्रवार को हैदराबाद लाया गया। जांच के दौरान अपराध में इस्तेमाल हुए दो मोबाइल फोन भी बरामद किए गए हैं।

    डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस डी कविता के अनुसार, गाड़ी की डीलरशिप कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी को एक अज्ञात नंबर से व्हाट्सऐप संदेश आए। उस नंबर पर कंपनी के असली मैनेजिंग डायरेक्टर सुमंत की तस्वीर लगी हुई थी, जिससे यह बिल्कुल सच्चा लग रहा था। अपने बॉस समझकर, वित्त प्रमुख ने ठग से बातचीत शुरू कर दी।

    कैसे हुई 1.94 करोड़ की ठगी-

    नकली व्हाट्सऐप प्रोफाइल बनाने वाले ठग ने दावा किया, कि तुरंत प्रोजेक्ट के लिए पैसों की जरूरत है। उसने एक बैंक खाता नंबर शेयर करके वित्त प्रमुख को 1.94 करोड़ रुपए तुरंत ट्रांसफर करने का निर्देश दिया। संदेश पर भरोसा करते हुए, वित्त प्रमुख ने 8 जुलाई को यह रकम ट्रांसफक कर दी। लेकिन जब उन्होंने फोन कॉल करके असली मैनेजिंग डायरेक्टर को इस ट्रांज़ेक्शन की जानकारी दी, तब उन्हें एहसास हुआ, कि वे ठगे गए हैं। इसके तुरंत बाद नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई गई और अगले दिन 9 जुलाई को साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया।

    बड़े गिरोह का खुलासा-

    जांच में एक बड़े गिरोह का पता चला है। पकड़े गए दोनों आरोपी कमिशन के लिए करेंट अकाउंट्स बेचने का काम करते थे। इस गिरोह के अन्य सदस्य इंटरनेट से मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ की तस्वीरें ढूंढते थे, उन तस्वीरों का इस्तेमाल करके व्हाट्सऐप प्रोफाइल बनाते थे और फिर कर्मचारियों को निशाना बनाकर उनके बॉस का रूप धारण करते थे। चुराए गए पैसे 60 से ज्यादा बैंक खातों के जरिए घुमाए जाते थे।

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    पुलिस की त्वरित कार्रवाई से मिली सफलता-

    वित्त प्रमुख की तुरंत शिकायत और पुलिस की फुर्तीली कार्रवाई की बदौलत 84 लाख रुपए कंपनी के बैंक खाते में वापस मिल गए हैं। इसके अलावा 15 लाख रुपए अन्य खातों में फ्रीज़ कर दिए गए हैं। बाकी रकम की तलाश जारी है।

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