Yogini Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है और इन सभी एकादशियों में योगिनी एकादशी को अत्यंत फलदायी माना गया है। वर्ष 2025 में यह पावन तिथि 21 जून शनिवार को मनाई जाएगी। इसके अलावा गौणा योगिनी एकादशी 22 जून रविवार को पड़ रही है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे करने से भक्तों को अपार पुण्य की प्राप्ति होती है।
Yogini Ekadashi 2025 कौन सी है योगिनी एकादशी का समय-
योगिनी एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार यह आषाढ़ महीने में आती है जबकि दक्षिण भारतीय कैलेंडर में यह ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ती है। अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से यह आमतौर पर जून या जुलाई महीने में आती है। यह निर्जला एकादशी और देवशयनी एकादशी के बीच पड़ने वाली एकादशी है।
Yogini Ekadashi 2025 क्यों खास है यह व्रत-
शास्त्रों के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक उन्नति देता है बल्कि भौतिक समृद्धि भी प्रदान करता है। जो भक्त सच्चे मन से इस व्रत को करते हैं उन्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही उन्हें अच्छा स्वास्थ्य, खुशी और मानसिक शांति का आशीर्वाद मिलता है। धर्मग्रंथों में कहा गया है कि इस व्रत का पुण्य 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर होता है।
Yogini Ekadashi 2025 एक दिन या दो दिन का व्रत-
कई बार एकादशी व्रत दो दिन लगातार आता है। ऐसी स्थिति में अलग-अलग लोगों के लिए अलग नियम हैं। गृहस्थ जीवन जीने वाले स्मार्त लोगों को पहले दिन व्रत करना चाहिए। वहीं संन्यासी, विधवा महिलाएं और मोक्ष की चाह रखने वाले लोगों को दूसरे दिन व्रत करना चाहिए जिसे वैष्णव एकादशी कहते हैं। भगवान विष्णु के कट्टर भक्त चाहें तो अपनी भक्ति बढ़ाने के लिए दोनों दिन व्रत रख सकते हैं।
व्रत की पूजा विधि-
योगिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनने चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूजा में तुलसी के पत्ते, धूप, फूल और मिठाई का भोग लगाना चाहिए। पूजा के दौरान विष्णु सहस्रनाम या अन्य भक्ति ग्रंथों का पाठ करना चाहिए।
व्रत के नियम-
इस दिन व्रत रखने वाले भक्त अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार निर्जला व्रत या फलाहार व्रत रख सकते हैं। निर्जला व्रत का मतलब है पूरे दिन पानी भी नहीं पीना जबकि फलाहार व्रत में फल और दूध का सेवन किया जा सकता है। पूरा दिन आध्यात्मिक चिंतन, मंत्र जाप और दान-पुण्य में बिताना चाहिए।
आध्यात्मिक महत्व-
योगिनी एकादशी सिर्फ एक व्रत नहीं है बल्कि यह आत्मा को शुद्ध करने का दिव्य अवसर है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को आध्यात्मिक पुण्य मिलता है और भगवान विष्णु के करीब जाने का मौका मिलता है। चाहे आप भौतिक आशीर्वाद चाहते हों या आध्यात्मिक मुक्ति, इस एकादशी को श्रद्धा और अनुशासन के साथ मनाने से जीवन में और मृत्यु के बाद भी सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।
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व्रत का समापन-
एकादशी के अगले दिन द्वादशी के दिन पारण करना चाहिए। पारण का समय सूर्योदय से लेकर द्वादशी तिथि समाप्त होने तक का होता है। इस दिन पहले भगवान विष्णु की पूजा करके फिर भोजन ग्रहण करना चाहिए। व्रत तोड़ते समय सादा और सात्विक भोजन लेना चाहिए।
जीवन में लाएं सकारात्मक बदलाव-
योगिनी एकादशी का व्रत केवल धार्मिक कर्म नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा साधन है, जो हमारे जीवन में सकारात्मकता लाता है। इस व्रत को करने से मन में शांति आती है, बुरे विचार दूर होते हैं और जीवन में खुशियां आती हैं। भगवान विष्णु की कृपा से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उनका जीवन सुखमय बन जाता है।
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