Mamta Kulkarni Controversy: महाकुंभ मेले में महामंडलेश्वर की उपाधि मिलने के बाद पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री मामता कुलकर्णी ने एक बार फिर सुर्खियां बटोर ली हैं। उन्होंने बाबा रामदेव और बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर एक टीवी शो में तीखा हमला बोला, जिससे में हलचल मच गई। मामता कुलकर्णी ने बाबा रामदेव के लिए कहा, कि उन्हें महाकाल और महाकाली से डरना चाहिए।
उनका यह बयान काफी विवादास्पद रहा। धीरेंद्र श्रीवास्तव को संबोधित करते हुए उन्होंने दावा किया कि वह अपनी उम्र के बराबर साल तक ध्यान कर चुकी हैं। यह बयान न सिर्फ सनसनीखेज रहा, बल्कि आध्यात्मिक समुदाय में भी काफी चर्चा का विषय बना।
Mamta Kulkarni Controversy नियुक्ति पर सवाल-
बाबा रामदेव ने इस नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि संन्यास एक दिन में नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि इसके लिए कई वर्षों तक कठोर तप की आवश्यकता होती है। उनका मानना है कि आजकल बिना किसी औचित्य के लोगों को महामंडलेश्वर का पद दे दिया जाता है।
Mamta Kulkarni Controversy धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री -
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी इस नियुक्ति पर संदेह जताया और कहा कि ऐसे सम्मान उन्हीं लोगों को मिलने चाहिए जो वास्तव में संत के गुण रखते हों। उनका मानना है कि हर किसी को महामंडलेश्वर नहीं बनाया जा सकता।
मामता ने अपना पक्ष रखा-
'आप की अदालत' जैसे लोकप्रिय टीवी शो में मामता ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने बाबा रामदेव के लिए कहा, "मैं उनसे क्या कहूं? उन्हें महाकाल और महाकाली से डरना चाहिए।" धीरेंद्र श्रीवास्तव को लेकर उन्होंने कहा कि वह बस एक अनुभवहीन लड़का है और उन्हें अपने गुरु से पूछ लेना चाहिए कि वह कौन हैं।
इस पूरे विवाद में एक और बड़ा मोड़ आया जब ऋषि अजय दास, जो किन्नर अखाड़े के संस्थापक हैं, ने मामता कुलकर्णी और आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को अखाड़े से निष्कासित कर दिया। यह निर्णय त्रिपाठी द्वारा मामता को बिना परामर्श के नियुक्त करने के बाद लिया गया।
ये भी पढ़ें- ऋषि दास ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से क्यों हटाया? यहां जानें कारण
प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेत्री-
याद दिला दें कि मामता कुलकर्णी 90 के दशक की एक प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेत्री थीं, जिन्होंने 2000 के शुरुआती वर्षों में फिल्म उद्योग को अलविदा कह दिया था। अब उनका आध्यात्मिक क्षेत्र में अचानक प्रवेश और महामंडलेश्वर बनना काफी चर्चा में है।
यह पूरा विवाद न सिर्फ मामता कुलकर्णी की नियुक्ति को लेकर है, बल्कि आध्यात्मिक संस्थाओं में बदलते मानदंडों पर भी सवाल उठा रहा है। क्या सच्चा संन्यास खरीदा या दिलाया जा सकता है? या फिर यह कई वर्षों के तप का परिणाम होता है? ये सवाल अब पूरे समाज के सामने हैं।
ये भी पढ़ें- कब है Maha Shivratri 2025, यहां जानें तिथि, शुभ मुहुर्त और महत्व