Diwali: यह तो हम सभी जानते हैं, की दिवाली क्यों मनाई जाती है। इसके बारे में बहुत सी कहानी हैं। स्कंद और भविष्य पुराण में दिवाली को लेकर बहुत सी अलग-अलग मान्यताएं देखने को मिलती हैं। इसका मुख्य कारण यह माना जाता है, कि कार्तिक अमावस्या के दिन जब श्री राम अयोध्या लौट आए थे, तो उनके स्वागत में असंख्य दीप जलाए गए थे। इसी दिन से दीपों के त्यौहार की शुरुआत हुई और इसी दिन से हर साल कार्तिक अमावस्या के दिन दिवाली का त्यौहार मनाया जाने लगा। वैसे तो यह कहानी सभी जानते हैं, लेकिन दिवाली और देवी लक्ष्मी के बीच क्या संबंध है, वैसे तो इस दिन श्री राम अयोध्या लौटे थे, लेकिन देवी लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है। यह सवाल तो आपके मन में भी कभी आया होगा।
रामायण कथाओं के मुताबिक (Diwali)-
दरअसल रामायण कथाओं की मानें, तो त्रेता युग में कार्तिक अमावस्या के दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे, उनके स्वागत में अयोध्या निवासियों ने दीप जलाए और मिठाइयां भी बांटी। राम के लौटने की खुशी में, हर साल इस दिन को दीप जलाकर और मिठाइयां बाटकर मनाया जाता है। वहीं मार्कंडेय पुराण की मानें, तो जब पृथ्वी पर अंधकार छा गया था, तब कोई था, जो एक प्रकाश की तरह प्रकट हुआ और वह कमल पर विराजमान देवी लक्ष्मी थीं।
श्रीमद् पुराण के मुताबिक (Diwali)-
उनके प्रकाश से ही संसार की रचना हुई और इसीलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन का विधान माना गया है। श्रीमद् पुराण के मुताबिक, ऐसा कहा गया है, की लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से आठवां रन बनकर निकली थीं। इसीलिए लोग अपने घरों को सजाते हैं और देवी लक्ष्मी की पूजा करके उनका स्वागत करते हैं। क्योंकि वह स्वच्छ, शांतिपूर्ण और खुशियों से भरे घरों में निवास करती हैं। यही कारण है, की दिवाली के लिए घरों को साफ और सजाने की परंपरा रखी गई है।
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मां लक्ष्मी-
क्योंकि इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और यह सुनिश्चित करती है कि वह लंबे समय तक रहे। यह भी माना जाता है, की दिवाली की रात को लक्ष्मी और विष्णु का विवाह हुआ था। देवी लक्ष्मी को धन समृद्धि और योग्यता की भी देवी माना जाता है। कार्तिक अमावस्या के शुभ दिन लोग समृद्धि के लिए, उनका आशीर्वाद लेने के लिए इस दिन देवी की पूजा करते हैं। ऐसा कहा जाता है, कि जो लोग इस दौरान देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, उनके घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती।
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