Harsha Richhariya Mahakumbh
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    Harsha Richhariya Mahakumbh: महाकुंभ का मेला हर 12 में आयोजित होता है, यह सांस्कृतिक और धार्मिक दोनों रूप से बहुत जरूरी माना जाता है। इस आयोजन में श्रद्धालु, साधु और संत हिस्सा लेते हैं। यहां सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग आकर शामिल होते हैं और इस साल सोशल मीडिया पर मेले के शुरू होने के बाद अलग ही चर्चा बनी हुई है। सोशल मीडिया पर हाल ही में इनफ्लुएंसर और मॉडल हर्षा रिछारिया के महाकुंभ के आयोजन में साध्वी के रूप में शामिल होने से बवाल हो गया है। उनकी तस्वीर जिसमें वह केसरिया वस्त्र पहने हुए नजर आ रही हैं, सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं और जिससे विवाद खड़ा हो चुका है।

    स्वामी आनंद स्वरूप ने क्या कहा? (Harsha Richhariya Mahakumbh)

    इसके साथ ही हर्षा के कुंभ के मेले में शामिल होने पर स्वामी आनंद स्वरूप में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की, जिसमें उन्होंने लिखा है, की कुंभ का आयोजन सिर्फ मॉडल को दिखाने के लिए नहीं किया जाता। कुंभ के मेले के आयोजन का उद्देश्य ज्ञान, तप और जप का प्रचार करना होता है। इसीलिए इस तरह की अनुचित घटनाओं पर कार्यवाही की जानी चाहिए। स्वामी जी ने यह बातें, स्पष्ट रूप से हर्षा के कपड़ों और उनके व्यवहार को लेकर उठे सवालों को लेकर कही थी। काली सेना के प्रमुख ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, कि कुंभ के मेले में समझौता नहीं करना चाहिए। उनके मुताबिक, महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन में हर व्यक्ति को अपने स्थान और भूमिका का सम्मान करना चाहिए।

    भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष-

    वहीं महंत रवींद्र पुरी, जो कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष है, ने भी विवाद पर अपना पक्ष दिया है। उन्होंने कहा, कि कोई अपराध नहीं है, कि वह रामनामी वस्त्र पहनकर आईं हैं। यह हमारी परंपरा है और उन्होंने महायोगी से मंत्र की दीक्षा भी ली है। लेकिन वह एक पूर्ण साध्वी नहीं बनी हैं, रवींद्र पुरी का कहना है, कि हर्फा ने ना तो सन्यास लिया है और ना ही वह साध्वी बनने का दावा कर रही है। वह सिर्फ मंत्र दिक्षा लेने के लिए आई थीं और उनका यह निर्णय व्यक्तिगत था। इस विवाद के बढ़ने के बाद हर्षा ने खुद स्पष्ट किया है। उन्होंने इस विवाद को लेकर कहा, कि मैं अभी पूरी तरह से साध्वी नहीं बनी हूं। लोगों ने मेरी पहचान को मेरी स्थिति के आधार पर बना लिया है। मैं आध्यात्मिकता की ओर बढ़ रही हूं। लेकिन मुझे अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारियां को भी पूरा करना है।

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    भावनाओं का सम्मान-

    इसके साथ ही लोगों ने उनकी भावनाओं का सम्मान किया है। उन्होंने यह भी कहा, कि वह आध्यात्मिकता को एक यात्रा के रूप में देखती है। जहां उन्हें आत्मा अन्वेषण और मानसिक शांति के लिए कदम आगे बढ़ाना है। सोशल मीडिया पर हर्षा की तस्वीरों और इस विवाद को लेकर अलग-अलग लोगों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कई लोग उनका समर्थन कर रहे हैं और मान रहे हैं, कि किसी भी व्यक्ति का साध्वी बनने का रास्ता, उसकी व्यक्तिगत यात्रा हो सकती है। वहीं कुछ लोगों का कहना है, कि महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन में प्रतीकात्मक परिवर्तन को नकारात्मक दृष्टिकोण से देख रहे हैं। वहीं महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन में लोग अक्सर अपनी व्यक्तित्व मान्यताओं और विश्वास के साथ आते हैं।

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