Kalashtami January 2025: हिंदू धर्म में कालाष्टमी का बड़ा महत्व माना गया है। इसे हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है और इस साल की मासिक कालाष्टमी 21 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त भगवान भैरव की आराधना और तपस्या करते हैं। जिससे वह अपने जीवन की मुश्किलों और बाधाओ को दूर कर सकें। भगवान भैरव की कृपा से जातक एक संतुलित और पूर्ण जीवन जीने का लक्ष्य रखते हैं। अष्टमी तिथि 21 जनवरी की दोपहर 12:39 बजे से शुरू होकर 22 जनवरी की दोपहर 03:18 बजे तक रहने वाली है और इस संवेदनशील समय में भक्त अपनी आस्था के साथ विभिन्न पूजा पाठ में समर्पित्र होते हैं।
भगवान काल भैरव(Kalashtami January 2025)-
भगवान काल भैरव को भगवान शिव का एक प्रबल अवतार माना जाता है और उनका नाम काल से जुड़ा हुआ है, जो उनकी शक्ति का प्रतीक है। हिंदू पौराणिक कथाओं की मानें, तो जब त्रिदेवों में किसी विषय पर वाद विवाद हुआ तब भगवान शिव ने महाकालेश्वर के रूप में एक भयावह निर्णय लिया और भगवान ब्रह्मा के एक सर को काट दिया।
कैसे हुआ काल भैरव का जन्म(Kalashtami January 2025)-
इसी घटना के बाद काल भैरव का जन्म हुआ। तब से भक्त उनके चरणों में श्रद्धा और भक्ति के साथ निवेदन करते हैं। कालाष्टमी के दिन भक्त महत्वपूर्ण तत्परता के साथ सुबह जल्दी उठते हैं, सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं अपने घर को साफ सुथरा करते हैं और यहां तक की एक दीप जलाकर स्थान को पवित्र माहौल में परिवर्तित कर देते हैं। इस दिन भक्त उपवास करते हैं और व्रत की कथाएं सुनते और पढ़ते हैं। उनका लक्ष्य है कि भगवान भैरव से अपनी भक्ति की स्वीकृति और पिछले पापों के लिए क्षमा मांगे।
पूजा विधि-
भक्त भगवान को सरसों का तेल और तिल अर्पित करते हैं। साथ ही अगरबत्ती की सुगंध से वातावरण को महकाते हैं। पूजा के बाद प्रसाद का महत्वपूर्ण विधान माना जाता है। यह न सिर्फ भक्तों के बीच भगवान की कृपा का आदान-प्रदान करता है, बल्कि एकता और सम्मान जैसे जीवन की भावना को भी प्रकट करता है। इस प्रकार भक्त स्वयं को भगवान भैरव की ऊर्जा और पूर्ण शक्तियों से जोड़ते हैं और अद्वितीय श्रद्धा का अनुभव करते हैं।
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कलाष्टमी का महत्व-
भक्तों का मानना है, की मासिक कलाष्टमी उन्हें न सिर्फ आंतरिक शक्ति प्रदान करता है। बल्कि यह जीवन में आने वाली चुनौतियों और बाधाओं को पार करने में मदद करता है। इस पर्व को मना कर लोग अपने परिवार और समाज में सकारात्मकता और संतुलन लाने में कोशिश करते हैं। इस कलाष्टमी पर जब आप पूजा करने जाएंगे, तो ध्यान रखें, कि यह सिर्फ एक विधि नहीं बल्कि हमारे जीवन में भगवान भैरव के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। उनके आशीर्वाद से हम संपूर्ण और संतुलित जीवन जीने की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।
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