Pilua Mahaveer Mandir
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    Pilua Mahaveer Mandir: भगवान हनुमान का एक अनोखा मंदिर उत्तर प्रदेश के इटावा के पास मौजूद है, जहां पर लोगों का यह मानना है, कि जो कुछ भी भगवान हनुमान को प्रेम और भक्ति के साथ प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं, भगवान उसे खुशी-खुशी खा लेते हैं। उस मंदिर में भगवान हनुमान की एक ऐसी मूर्ति है, जिसमें हमुमान जी का मुह खुला हुआ है और किसी अन्य भारतीय मंदिर में ऐसी मूर्ति मौजूद नहीं है। हम बात कर रहे हैं, कि उत्तर प्रदेश के पीलुआ महावीर हनुमान मंदिर की। ऐसा कहा जाता है कि यह सदियों पुराना मंदिर है और यहां भगवान हनुमान की मूर्ति खड़ी नहीं है। इसे देखकर ऐसा नहीं लगता कि वह पूरी उड़ रही है। बल्कि लेटी हुई है। लगभग ऐसा लगता है जैसे भगवान हनुमान खुद फर्श पर आराम की अवस्था में हैं।

    भगवान हनुमान की मूर्ति (Pilua Mahaveer Mandir)-

    मूर्ति पूरी तरह से नारंगी रंग की है, जैसा कि भगवान हनुमान हमेशा होते हैं और उनका मुंह खुला हुआ है। ऐसा कहा जाता है, कि सदियों पहले एक राजा उस क्षेत्र में शासन करता था। जहां पर अब मंदिर स्थित है, वहां एक रात राजा को नींद में एक भविष्यवाणी दिखाई थी, कि एक विशेष स्थान के नीचे भगवान हनुमान की मूर्ति गड़ी हुई है। भविष्यवाणी ने राजा को बताया, कि अगर वह वहां पर हनुमान मंदिर बना देता है, तो उसका राज्य लंबे समय तक जीवित रहेगा और उसकी प्रजा भी खुश रहेगी। इसके लिए अगले दिन राजा ने अपने लोगों से उस स्थान को खोदने के लिए कहा, कुछ समय बाद लोगों को एक पेड़ के नीचे भगवान हनुमान की मूर्ति मिली और राजा ने तब वहां पर अपने लोगों को सूचित किया, कि अब यहां पर हनुमान को समर्पित एक मंदिर बनाया जाएगा।

    पीलुआ महावीर हनुमान (Pilua Mahaveer Mandir)-

    इसे पीलुआ महावीर हनुमान मंदिर कहा जाएगा, क्योंकि वह पेड़ जिसने इतने लंबे समय तक भगवान हनुमान की रक्षा की थी, वह पीलुआ का पेड़ था। पीलुआ महावीर हनुमान मंदिर के बारे में एक और प्रसिद्ध कहानी कहती है, कि जब राजा को पता चला, कि भगवान हनुमान इस मंदिर में उन्हें जो कुछ भी चढ़ाया जाता है, वह सब खा लेते हैं तो वह अपनी शक्ति साबित करना चाहता था और इसलिए राजा अपने साथ ढेर सारा पानी लाया और भगवान हनुमान से पीने के लिए कहा, भगवान हनुमान ने इसे पूरा पी लिया और पानी कहां गया आज तक पता नहीं चला।

    भगवान हनुमान-

    लेकिन राजा अभी भी अपनी शक्ति साबित करना चाहता था और उसने अपने आदमियों से गांव में से सारा दूध लाने के लिए कहा और इसी तरह से भगवान हनुमान के मुंह से सारा दूध गायब हो गया। इसके बाद भोजन के साथ भी यही हुआ। राजा चिंतित हो गया, लेकिन फिर रानी भगवान हनुमान के पास आईं और उन्हें अपने प्रेम और पूरी भक्ति के साथ लड्डू खिलाया था। कहा जाता है कि भगवान हनुमान ने वह लड्डू खाया और थोड़ी डकार ली और उस समय से भगवान हनुमान आज भी मंदिर के पुजारी और भक्तों द्वारा उन्हें दिया गया प्रसाद खाते हैं और एक बार जब प्रसाद उनके मुंह में चला जाता है ,तो कोई नहीं जानता कि वह कहां गया।

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    राम-राम का जप-

    प्रसाद नदी, मंदिर या मंदिर के आसपास कभी नहीं मिलता। कुछ लोगों का कहना है कि भगवान हनुमान को चाहे जितना भी प्रसाद चढ़े वह भूखे ही रहते हैं और वह सच्चे भक्त का इंतजार करते हैं, कि वह उनके पास आए और उन्हें अपने हाथों से खिलाएं। भक्तों का कहना है, कि जब आप भगवान हनुमान की मूर्ति के बहुत करीब होते हैं और विशेष रूप से उनके पास होते हैं, तो आप मूर्ति से राम-राम का जप भी सुन सकते हैं। कुछ भक्तों का मानना है, कि भगवान हनुमान स्वयं यहां मौजूद हैं और अंत समय तक राम-राम का जाप कर रहे हैं।

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