Varadaraja Perumal Temple: एक बहुत ही सुंदर और अनोखा मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम में मौजूद है, जिसने आम लोगों और भक्तों दोनों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। कांचीपुरम के मध्य में वरदराज पेरुमल मंदिर है, जो न सिर्फ अपने स्थान और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि भक्ति और नक्काशी के लिए भी काफी फेमस है। यह भारत का फेमस छिपकली मंदिर है, जिसकी छत पर सोने और चांदी की छिपकलियों को बनाया गया है। वरदराज पेरूमल मंदिर को हस्तगिरी के नाम से भी जाना जाता है। 108 दिव्य मंदिरों में से एक यह भगवान विष्णु का पवित्र निवास है और पेरुमल को समर्पित है, जिन्हें भगवान विष्णु के रूप में जाना जाता है और इस कांचीपुरम मंदिर में उन्हें राज्य पेरूमाल या वरदान देने वाले राजा के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर को सबसे अनोखा और अलग बनाने वाली बात यह है, कि यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। लेकिन इसके अंदर दो छिपकलियों की नक्काशी भी है।
छिपकलियों को छूने से सौभाग्य की प्राप्ति (Varadaraja Perumal Temple)-
इसके बारे में कहा जाता है, कि वह भक्तों को वरदान देती हैं। मंदिर के अंदर गर्भ ग्रह की छत पर तो छिपकलियां बनी है। एक सोने की और एक चांदी की। भक्तों का यह मानना है, कि छिपकलियों को छूने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उनके पिछले पाप भी दूर हो जाते हैं। वहीं इस मंदिर में आने वाले भक्तजन अपने हाथों को आगे बढ़ाकर उसे चिकनी धातु की सतह को छूते हैं। जिस पर छिपकलियों के साथ दो सूर्य की आकृतियां भी उकेरी गई हैं। ऐसा कहा जाता है, कि यह आसान काम उन्हें आध्यात्मिक रूप से शुद्ध कर देता है। मंदिर के बारे में सबसे फेमस कहानियों में से एक भगवान इंद्र द्वारा इसका निर्माण करवाने की है।
निर्माण की कहानी (Varadaraja Perumal Temple)-
ऐसा कहा जाता है, कि स्वर्ग के राजा कहे जाने वाले भगवान इंद्र को मां सरस्वती ने श्राप दिया था और यह श्राप था, कि वह हाथी बन जाएंगे। उसके बाद परेशान होकर इंद्र ने श्राप को बदलने का तरीका खोजने के लिए पूरी दुनिया का भ्रमण किया। आखिर में भगवान विष्णु ने इस स्थान पर वरदराज पेरुमल मंदिर बनाने में उनकी मदद की और उन्हें मां सरस्वती के श्राप से मुक्ति मिली। इस दौरान दो छिपकलियां थी, जिन्होंने भगवान विष्णु के चमत्कार को देखा। उसके बाद इंद्र ने मंदिर की छत पर उनकी नक्काशी करने का फैसला किया। छिपकलियों के बारे में एक और कहानी है, लेकिन वह बहुत फेमस नहीं है।
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मंदिर बनने की दूसरी कहानी-
यह कहानी भगवान कृष्ण और एक राजा की है, जिसे उन्होंने बचाया था। मान्यताओं के मुताबिक, भगवान कृष्ण के राज्य के कुछ बच्चे उनके पास एक बड़ी छिपकली के बारे में बताने के लिए दौड़े, जो आम कुएं में थी। फिर भगवान कृष्ण ने उस छिपकली को बचा, लेकिन उन्होंने पहचान लिया, कि यह कोई साधारण छिपकली नहीं है। उनके स्पर्श करते ही छिपकली एक राजा में बदल गई। उसने भगवान कृष्ण को कहा, कि उसे एक ऋषि ने श्राप दिया था और भगवान कृष्ण ने आज उसे बचाया है।
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भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और सम्मान के साथ राजा ने भगवान विष्णु के लिए एक मंदिर का निर्माण किया और छत पर छिपकलियों की नक्काशी कार्रवाई। क्योंकि यह वही रूप था, जिसमें भगवान कृष्ण ने उन्हें बचाया था। छिपकली को देखना आमतौर पर भगवान विष्णु की पत्नी मां लक्ष्मी से जोड़ा हुआ है। ऐसा कहा जाता है की रोशनी के इस त्यौहार में छिपकली को देखना समृद्ध धन की देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद का प्रतीक है। इस तरह इस मंदिर में चांदी और सोने की छिपकलियों को जीवन में खुशी, धन और सौभाग्य को आमंत्रित करने का एक प्रतीक माना जाता है।