Navratri Day 4
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    Navratri Day 4: इस समय चैत्र नवरात्रि का 9 दिवसीय त्यौहार चल रहा है और नवरात्रि के दौरान माता के अलग-अलग स्वरुप की पूजा कि जाती है। चौथे दिन पर मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। वह देवी दुर्गा का चौथा स्वरूप हैं और उनकी आध्यात्मिक भक्ति के साथ पूजा की जाती है। हिंदू धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक, मां कुष्मांडा को ब्रह्मांड की रचयिता माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि वह अपनी दिव्य मुस्कान और ऊर्जा से दुनिया में रोशनी लाई थी। यह माना जाता है की मां कुष्मांडा भक्तों को ऊर्जा, शक्ति और स्वास्थ्य का वरदान देती है।नवरात्रि के दिनों में पूजा, अनुष्ठान, जीवनशैली की आदतों और भोजन की पसंद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब प्रकृति शरीर को गर्मी के महीने के लिए तैयार करने में मदद करती है और यही वजह है कि लोग साल के इस समय के दौरान सात्विक भोजन खाते हैं-

    कुष्मांडा का अर्थ-

    कुष्मांडा नाम संस्कृत से लिया गया है, संस्कृत में कू शब्द का मतलब होता है थोड़ा, उष्मा का अर्थ होता है गर्मी और अंडा का मतलब होता है ब्रह्मांड। विशेषज्ञों के मुताबिक वह चारों ओर सकारात्मकता और प्रकाश बिखरने की क्षमता रखती है। आप उनसे खुशी. स्वस्थ और समृद्धि का आशीर्वाद मांग सकते हैं। ऐसा कहा जाता है, उनका आशीर्वाद किसी के जीवन में सभी बाधाओ और चुनौतियों का अंत कर सकता है। (Navratri Day 4)

    दुनिया को रोशन-

    इतिहासकारों के मुताबिक, एक समय ऐसा था जब भगवान विष्णु ने इस सृष्टि की रचना की थी और चारों ओर अंधकार था। तह देवी कुष्मांडा मुस्कुराईं और ब्रह्मांड के अंधकार को हटा दिया। हर ग्रह, आकाशगंगा और दुनिया को रोशन कर दिया। वह वही हैं जिन्होंने इस ब्रह्मांड को सुंदर बनाया है। देवी कुष्मांडा पूजा और प्रकाश का परम स्रोत मानी जाती हैं. ऐसा कहा जाता है कि सूर्य को भी यह प्रकाश और ऊर्जा मां कुष्मांडा से ही मिलती है।

    दिन की शुरुआत आपको स्नान से करनी है, स्नान करके साफ कपड़े पहने, उसके बाद पौराणिक कथाओं के मुताबिक देवी की मूर्ति को एक चौकी पर रखें और उन्हें लाल फूल, कुमकुम, भाग्य आरती करें, ऐसा कहा जाता है कि लाल उनका पसंदीदा रंग इसीलिए इस दिन भक्त लाल रंग भी पहनते हैं। (Navratri Day 4)

    मां कुष्मांडा के मंत्र- ओम देवी कुशमांडे नमः, ओम बृहस्पति नमः

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    भोग विधि और सामग्री-

    Maal Pua Recipe

    मां कुष्मांडा कुत्ता से मौसमी फल चढ़ाए जाते हैं। जिसमें केला, सेब और पपीता शामिल होते हैं। भक्ति देवी को मालपुए का भोग भी लगा सकते हैं। मालपुआ बनाने के लिए सबसे पहले आपको एक कप आटा, आधा कप चीनी, चार बड़े चम्मच मेवे, दो से चार केसर के धागे और एक कप देसी घी की जरूरत है।

    इसके बाद सभी सामग्री का मिश्रण तैयार करना है। अच्छी तरह से मिक्स करने के बाद इसे फैंटें और रात भर छोड़ दें, अगली सुबह एक नॉन स्टिक पैन गर्म करें, उसमें घी डालें और कलछी की मदद से बेटर के छोटे डिस्क आकर के गोलाकार पैन केक डालें और सुनहरा होने पकाएं उनके ऊपर रबड़ी डालें और देवी को भोग लगाएं।

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