Navratri
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    Navratri: भारत में नवरात्रि का काफी महत्व माना जाता है, लोग नवरात्रि के मौके पर मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा करते हैं। इसके साथ ही नवरात्रि के दौरान पूजा में कलश की भी स्थापना की जाती है। लेकिन पूर्णिया के इस प्रसिद्ध मंदिर में कलश की स्थापना नहीं की जाती। यहां सिर्फ जयंती से पूजा होती है और माता कामाख्या मंदिर में कलश नहीं बिठाया जाता, सिर्फ जयंती गिर गिराकर ही मां के नौ स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है। यह मंदिर लगभग 700 साल पुराना बताया जा रहा है, यह पूर्णिया के नगर प्रखंड के मंदिर महापंचायत भवानीपुर में मौजूद है। लेकिन यहां नवरात्रि पूजन में कलश क्यों नहीं बिठाया जाता है।

    बिहार के पूर्णिया में मौजूद-

    हिंदी समाचार वेबसाइट न्यूज़18 के मुताबिक, यह मंदिर बिहार के पूर्णिया में मौजूद है, इसका नाम माता कामाख्या मंदिर है। जिसमें कलश की स्थापना नहीं की जाती, यहां सिर्फ जयंती की पूजा ही होती है। कामाख्या मंदिर के पुजारी का कहना है कि नवरात्रि के मौके पर माता कामाख्या मंदिर में कलश नहीं बिठाया जाता।

    मां दुर्गा की कोई प्रतिमा भी मौजूद नहीं-

    वहीं मौजूद लोगों ने कहा कि इस मंदिर में मां दुर्गा की कोई प्रतिमा भी मौजूद नहीं है, माता का सिद्ध पीठ है माता खुद आदि शक्ति है वह खुद शक्ति देती है। जिस कारण इस मंदिर में लोग पूजा अर्चना करने आते हैं। हालांकि मौजूद सभी लोगों का कहना है कि नवरात्रि के नौकर श्रद्धालु की भीड़ काफी कम हो जाती है। वहीं श्रद्धालुओं की ना के बराबर आते हैं, सभी लोग अपने-अपने घरों में इधर-उधर पूजा पाठ में लगे रहते हैं।

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    मंदिर कमेटी-

    पुजारी का कहना है कि नवरात्रि के दौरान अगर मंगलवार आता है, तो ऐसे में अगर बाहर से श्रद्धालु अपने साथ बलि प्रथा का चढ़ावा नहीं लाते हैं। ऐसी स्थिति में मंदिर कमेटी के सदस्य द्वारा उस दिन अपने खर्चे पर बलि प्रथा की शर्तों को पूरा किया जाता है। मौजूद लोगों का कहना है की माता कामाख्या सिद्ध पीठ है इसके साथ ही हर मंगलवार को बलि प्रथा होती है। यहा दूर-दूर से लोग पूजा अर्चना करने आते हैं।

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