Monsoon Gardening Tips: बारिश का मौसम हर किसान और बागवान के लिए दोधारी तलवार की तरह होता है। एक तरफ जहां पानी की समस्या हल हो जाती है और मिट्टी को भरपूर नमी मिलती है, वहीं दूसरी ओर ज्यादा बारिश से कई परेशानियां भी आती हैं। खेत में पानी भर जाना, पौधों में बीमारियां लगना और कीड़े-मकोड़ों का हमला आपकी मेहनत को बर्बाद कर सकता है। लेकिन कुछ सरल उपायों से आप अपने सब्जी के बगीचे को हरा-भरा रख सकते हैं।
नमी पसंद करने वाली सब्जियां उगाएं-
बारिश के मौसम में सबसे अच्छा तरीका यह है, कि आप उन सब्जियों को लगाएं जो नमी में अच्छी पनपती हैं। पालक, चौलाई और सरसों जैसी पत्तेदार सब्जियां नम माहौल में बहुत अच्छी बढ़ती हैं। इन्हें पूरे मौसम में कई बार काटकर इस्तेमाल भी कर सकते हैं। मूली और शलजम भी अच्छे विकल्प हैं, क्योंकि ये जमीन के नीचे बढ़ती हैं, जहां ऊपर की नमी का ज्यादा असर नहीं होता। लेकिन टमाटर, गाजर और आलू जैसी सब्जियां ज्यादा संवेदनशील होती हैं। लंबी बारिश में ये सड़ सकती हैं या इनमें बीमारियां लग सकती हैं।
उंची क्यारियां बनाएं जल भराव से बचने के लिए-
खेत में पानी भर जाना बारिश के मौसम की सबसे बड़ी समस्या है। अपनी क्यारियों को जमीन से 15 से 30 सेंटीमीटर ऊंचा करने से अतिरिक्त पानी आसानी से निकल जाता है। इससे जड़ें स्वस्थ रहती हैं और फफूंद की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। अगर आप गमलों में खेती करते हैं तो उन्हें ईंटों या स्टैंड पर रखें ताकि नीचे पानी न जमे।
सूखी पत्तियों की परत बिछाएं-
सूखी पत्तियों, घास या भूसे की मोटी परत बिछाने से कई फायदे होते हैं। यह मिट्टी को तेज बारिश से बचाती है जो जमीन को सख्त कर सकती है या मिट्टी को बहा सकती है। यह मिट्टी के छींटे पत्तियों पर पड़ने से भी रोकती है, जिससे बीमारियां फैलने का खतरा कम रहता है।
सूखी पत्तियों का एक और फायदा यह है कि ये सड़कर मिट्टी को उपजाऊ बनाती हैं। तेज बारिश अक्सर हवा के साथ आती है जो नाजुक पौधों को तोड़ सकती है। सेम, टमाटर और खीरे जैसे लंबे पौधों को बांस या लकड़ी के सहारे दें।
पौधों की कटाई-छंटाई करें और उचित दूरी रखें-
बहुत पास-पास लगे पौधे पत्तियों के बीच नमी को रोकते हैं, जिससे फफूंद की बीमारियां होती हैं। पौधों को पर्याप्त जगह देना और अनावश्यक डालियों को काटना हवा के आने-जाने में मदद करता है। जमीन को छूने वाली निचली पत्तियों को हटाना जरूरी है ताकि संक्रमण ऊपर न फैले।
कीड़े-मकोड़े और फफूंद की समस्याओं पर नजर रखें-
नम और उमस भरे मौसम में घोंघे, माहू और कैटरपिलर जैसे कीड़े पनपते हैं। साथ ही सफेद पाउडर जैसी बीमारियां भी आम हो जाती हैं। रोजाना अपने बगीचे की जांच करें। तांबे वाली दवाइयां, नीम का तेल, लहसुन का घोल प्राकृतिक और सुरक्षित उपचार हैं। फसल बदलकर लगाना भी मिट्टी में बार-बार होने वाली बीमारियों को कम करने का अच्छा तरीका है।
बारिश से बचाव के लिए ढकने का इंतजाब-
तेज या लगातार बारिश के दौरान पारदर्शी चादर या छोटी सुरंगें छोटे पौधों और नाजुक फसलों को कुचलने से बचा सकती हैं। छाया वाले जाल बारिश की तीव्रता को कम करते हैं बिना हवा को रोके। लेकिन ढके हुए हिस्से में उचित हवा का आना-जाना बनाए रखना जरूरी है।
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बगीचे और औजारों की सफाई बनाए रखें-
बारिश के मौसम में साफ-सुथरा बगीचा ही स्वस्थ बगीचा होता है। औजारों को नियमित रूप से साफ करें ताकि बीमारियां पौधों के बीच न फैलें। गिरी हुई पत्तियां, खराब फसल और पौधों के अवशेष हटाते रहें क्योंकि इनमें कीड़े और फफूंद के बीज छुप जाते हैं। गीली मिट्टी पर चलने से बचें क्योंकि इससे जमीन सख्त हो जाती है।
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