Door to Hell
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    Door to Hell: तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में स्थित दुनिया का सबसे मशहूर गैस गड्ढा, जिसे “नरक का दरवाजा” या “दरवाजा गैस क्रेटर” के नाम से जाना जाता है, आखिरकार 54 साल बाद अपने आप बुझने लगा है। यह खबर उन लाखों पर्यटकों और वैज्ञानिकों के लिए बेहद दिलचस्प है, जो इस रहस्यमय जगह के बारे में जानना चाहते हैं।

    Door to Hell क्या है ये रहस्यमय नरक का दरवाजा?

    दरवाजा गैस क्रेटर एक विशाल गड्ढा है जो तकरीबन 70 मीटर के घेरे में फैला हुआ है और 20 मीटर गहरा है। यह अनूठी संरचना 1971 में एक ड्रिलिंग दुर्घटना के कारण बनी थी। सोवियत संघ के भूगर्भ वैज्ञानिक प्राकृतिक गैस की खोज कर रहे थे, लेकिन खुदाई के दौरान जमीन धंस गई और एक बड़ा गड्ढा बन गया। उस समय इंजीनियरों ने सोचा कि अगर गैस को जला दिया जाए तो यह कुछ दिनों में खत्म हो जाएगी, लेकिन यह आग पिछले 54 सालों से लगातार जल रही है।

    Door to Hell वैज्ञानिकों का बड़ा ऐलान-

    जून 2025 में तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात में हुई एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में वैज्ञानिकों ने यह हैरान करने वाली खबर दी है कि आग की तीव्रता अब पहले से तीन गुना कम हो गई है। यह बदलाव प्राकृतिक प्रक्रिया के कारण हो रहा है, जो पर्यावरण वैज्ञानिकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

    तकनीक का योगदान और सरकारी प्रयास-

    तुर्कमेनिस्तान की सरकार ने पिछले कुछ सालों में इस जलते गड्ढे को बुझाने के लिए कई तकनीकी प्रयास किए हैं। राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दिमुहामेदोव ने 2022 में इस आग को बुझाने का आदेश दिया था क्योंकि यह बहुमूल्य प्राकृतिक गैस की बर्बादी कर रहा था। लेकिन अब प्रकृति खुद इस समस्या का समाधान कर रही है।

    पर्यटन और स्थानीय लोगों पर प्रभाव-

    इस अनोखी जगह ने दुनिया भर के साहसी पर्यटकों को आकर्षित किया है। हर साल हजारों लोग इस “नरक के दरवाजे” को देखने आते हैं। स्थानीय लोगों के लिए यह आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है। अब जब यह आग बुझ रही है, तो पर्यटन उद्योग में भी बदलाव आ सकता है।

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    पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव-

    पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इस आग का बुझना धरती के लिए एक अच्छी खबर है। 54 सालों से जलने वाली यह आग भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसों को वायुमंडल में छोड़ रही थी। अब इसके बुझने से प्रदूषण में कमी आएगी और जलवायु परिवर्तन को रोकने में मदद मिलेगी।

    वैज्ञानिकों का मानना है, कि अगले 2-3 सालों में यह आग पूरी तरह बुझ सकती है। इससे इस इलाके की मिट्टी और हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा। तुर्कमेनिस्तान सरकार अब इस जगह को एक अलग तरह के पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है।

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