Garuda Panchami 2025
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    Garuda Panchami 2025: मां और बेटे का रिश्ता भारतीय संस्कृति में सबसे पवित्र माना जाता है। इसी पावन बंधन को मजबूत बनाने वाला त्योहार है, गरुड़ पंचमी, जो इस साल 29 जुलाई 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि पारिवारिक प्रेम और सुरक्षा की भावना को भी दर्शाता है।

    गरुड़ पंचमी क्या है और क्यों मनाते हैं?

    गरुड़ पंचमी का त्योहार भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ जी को समर्पित है। गरुड़ जी को पेरिया तिरुवाडी, पक्षीराज और विष्णुवाहन जैसे नामों से भी जाना जाता है। यह महान पक्षी साहस, भक्ति और शक्ति का प्रतीक है। श्रावण मास की शुक्ल पंचमी को मनाया जाने वाला यह पर्व खासकर दक्षिण भारत में बहुत लोकप्रिय है।

    इस दिन का सबसे खास पहलू है, माताओं और बेटों के बीच का प्यार। जैसे गरुड़ जी ने अपनी माता विनता की रक्षा के लिए हर कष्ट सहा, वैसे ही माताएं अपने बच्चों की सुरक्षा और कल्याण के लिए गरुड़ जी से प्रार्थना करती हैं। यह दिन सिखाता है, कि मां का प्यार कितना निस्वार्थ होता है और बच्चों का कर्तव्य है, कि वे अपनी माता का सम्मान करें।

    गरुड़ पंचमी 2025 तारीख और समय-

    इस साल गरुड़ पंचमी 29 जुलाई 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी। पंचमी तिथि 28 जुलाई की रात 11:24 बजे शुरू होकर 30 जुलाई की सुबह 12:46 बजे समाप्त होगी। यह टाइमिंग बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार सही समय पर पूजा करने से विशेष फल मिलता है।

    पौराणिक कथा जो दिल छू जाती है-

    गरुड़ जी की कहानी सुनकर हर मां का दिल भर आता है। महर्षि कश्यप की दो पत्नियां थीं विनता और कद्रू। कद्रू ने हजारों सांपों को जन्म दिया जबकि विनता ने गरुड़ को। दुर्भाग्य से, एक शर्त हारने के कारण विनता और गरुड़ को कद्रू की दासता स्वीकार करनी पड़ी। अपनी माता को इस कष्ट से मुक्त कराने के लिए गरुड़ ने अमृत चुराने जैसा दुष्कर कार्य किया। उनके इस त्याग और माता-भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें अपना वाहन बनाया। यह कहानी हर मां को याद दिलाती है, कि उनका बेटा भी गरुड़ की तरह साहसी और भक्त बने।

    आध्यात्मिक महत्व और शक्तियां-

    धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गरुड़ जी के पास आठ विशेष सिद्धियां हैं। वे अदृश्य हो सकते हैं, पंख की तरह हल्के बन सकते हैं और अपने भक्तों को अजेय शक्ति प्रदान कर सकते हैं। माना जाता है कि जिस व्यक्ति पर गरुड़ जी की कृपा होती है, उसे जीवन में विजय अवश्य मिलती है। गरुड़ जी ज्ञान, शक्ति, तेज और करुणा जैसे दिव्य गुणों के स्वामी हैं। वे नकारात्मकता को दूर भगाते हैं और अपने भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा से भर देते हैं। इसीलिए माताएं अपने बच्चों में यही गुण देखना चाहती हैं।

    पूजा की रीति-रिवाज और परंपराएं-

    गरुड़ पंचमी की सुबह भक्त पवित्र स्नान करके घर या मंदिर में विशेष पूजा स्थल सजाते हैं। गरुड़ जी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करके हल्दी, चंदन, फूल और धूप से पूजा की जाती है। खासकर माताएं व्रत रखकर अपने बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं।

    एक खास परंपरा यह है, कि चावल के आटे या रंगीन पाउडर से फर्श पर गरुड़ और सांप देवताओं की तस्वीरें बनाई जाती हैं। फिर दूध, केला, गुड़ और चिवड़ा जैसे प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। दीप जलाकर गरुड़ जी और विष्णु जी के मंत्रों का जाप किया जाता है। दक्षिण भारत के कई घरों में गरुड़ पंचमी नाग चतुर्थी के साथ मनाई जाती है। विवाहित महिलाएं सुरक्षा के प्रतीक के रूप में कलाई पर पवित्र धागा बांधती हैं। माताएं अपने बच्चों को सिंदूर और हल्दी का तिलक लगाकर आशीर्वाद देती हैं।

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    आज के समय में गरुड़ पंचमी की प्रासंगिकता-

    आज के व्यस्त जमाने में जब पारिवारिक रिश्ते कमजोर हो रहे हैं, गरुड़ पंचमी का त्योहार बहुत महत्वपूर्ण है। यह दिन माताओं और बच्चों को एक साथ आने का मौका देता है। बच्चों को गरुड़ जी की वीरता और भक्ति की कहानियां सुनाई जाती हैं, जो उनके चरित्र निर्माण में मदद करती हैं। मॉर्डन लाइफस्टाइल में भी यह त्योहार फैमिली बॉन्डिंग को मजबूत बनाता है। जब पूरा परिवार मिलकर पूजा करता है, बच्चों को ट्रैडिशनल सिखाते हैं, तो घर में पॉज़िटिव एनर्जी आती है। यह दिन सिखाता है, कि सक्सेस पाने के लिए माता-पिता का आशीर्वाद सबसे जरूरी है।

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