Chandni Chowk
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    Chandani Chowk: दिल्ली के चांदनी चौक के बारे में तो आप में लोग जानते ही होंगे और आप में से बहुत लोगों ने यहां पर खरीदारी भी की होगी और यहां गए भी होंगे। क्योंकि यह पूरे देश का फेमस बाजार है, दूसरे देश से भी यहां लोग घूमने आते हैं, लाल किले के पास मौजूद होने की वजह से चांदनी चौक पर ना सिर्फ खरीदारी करने वालों बल्कि टूरिस्ट की भीड़ भी बहुत ज्यादा होती है। चांदनी चौक चार अलग-अलग हिस्सों में फिलहाल बटा हुआ है, जिसमें जोहरी बाजार, उर्दू बाजार, फतेहपुर बाज़ार और अशरफी बाजार शामिल हैं।

    लेकिन एक समय था जब चांदनी चौक सिर्फ एक ही भरा पूरा समृद्ध बाजार हुआ करता था, जिसमें देश के ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग आते थे और देश का यही एक बाजार हुआ करता था, जहां आपको आपकी जरूरत का हर समान मिल जाएगा। क्या आप जानते हैं कि आखिर इस चांदनी चौक को बनवाया किसने और क्यों आज इस लेख में हम बात करने वाले हैं, कि आखिर चांदनी चौक को बनवाया किसने और क्यों और इसकी स्थापना कब की गई आइए चांदनी चौक के बारे में विस्तार से जानते हैं-

    चांदनी चौक की कहानी-

    चांदनी चौक की कहानी शुरू होती है शाहजहां से और इसकी स्थापना शाहजहानाबाद में की जाने वाली थी, उसी दौर में चांदनी चौक भी बनवाया गया था, जब शाहजहानाबाद को ही उसकी राजधानी बनना था, चांदनी चौक शाहजहां के काल 17वी शताब्दी से लगभग 1650 दशक के दौरान बनाया गया था। इसके बनने से लेकर अब तक 2 कहानियां प्रचलित हैं पहली तो यह कि है राजधानी शाहजहानाबाद को एक ऐसा बाजार दिया जाए जिससे पूरे देश के लोग यहां दूर-दूर से आएं।

    दूसरी कहानी एक ही परिवार से जुड़ी-

    दूसरी कहानी एक ही परिवार से जुड़ी हुई थी, लोक कथाओं के अनुसार शाहजहां की बेटी जहांआरा उन्हें बहुत प्यारी थी और जहांआरा को बाजार से नायाब चीजें खरीदने का बहुत शौक था, इसकी वजह से वह देश विदेश की यात्रा करती रहती थी, उनको चीजों को खरीदना पसंद था, उस समय पालकी में बैठकर इतनी लंबी यात्रा करती थी जो शहाजहां को पसंद नहीं था, तभी उन्होंने सोचा कि क्यों न एक ऐसा बाज़ार बनवाया जाए जहां सब मौजूद हो, इससे जहांआरा का शौक भी पूरा हो जाएगा और उसको ज्यादा सफर भी नहीं करना पड़ेगा। तभी इसकी स्थापना की गई।

    इसका नाम चांदनी चौक ही क्यों पड़ा-

    आपने यह तो जान लिया कि Chandani Chowk की स्थापना कैसे हुई और आखिर इसको क्यों बनवाया गया, लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर इसका नाम चांदनी चौक ही क्यों पड़ा, अब आगे हम इस लेख में जानेंगे कि आखिर इसका नाम कैसे पड़ा, इसके पीछे भी एक फेमस कहानी है जो कि यमुना नदी से जुड़ी हुई है, शुरुआती दौर में चांदनी चौक को चौकोर आकार का बनवाया गया था और कुछ हद तक उसे चांद की शक्ल देने की कोशिश की गई थी। इसका डिजाइन उस दौर में अन्य बाजारों से बहुत अलग हुआ करता था, इसी वजह से इसने इतनी सिद्धि प्राप्त कर ली।

    1560 दुकानें-

    चांदनी चौक में उस दौर में 1560 दुकानें थी और यह बाजार 40 गज से भी ज्यादा चौड़ा और 520 गज से भी ज्यादा था बड़ा था, क्योंकि इसका डिजाइन इस तरह से बनवाया गया था कि बीच में जगह छूटी थी वहां से यमुना नदी के पानी से भरा एक तालाब जैसी आकृति वाला हिस्सा था, जहां की रोशनी चमकती थी। चांद की रोशनी से पूरा बाजार जगमगा उठता था और इसी वजह से इसका नाम चांदनी चौक पड़ा।

    चांदनी चौक का ताज-

    जिस भी तालाब को वहां बनवाया गया था, उसे 1950 के दशक में घंटाघर से बदल दिया गया 1863 में यहां टाउन हॉल भी बनवाया गया, लाल किला तो पहले से ही Chandani Chowk का ताज बना हुआ था और धीरे-धीरे यहां जैन मंदिर, गुरुद्वारे, गौरी शंकर मंदिर और कई अन्य चीजें भी बनवाई गई।

    सबसे उत्तम बाज़ार-

    इसके नाम के पीछे एक और कहानी भी है, जिसमें यह कहा जाता है कि शाहजहां ने जो बाजार बनवाया था, वह कुछ ही दिनों में इतना ज्यादा प्रसिद्ध हो गया कि चांदी, सोना, मोती, रेशम और ना जाने क्या-क्या यहां पर बिकने लगा। एक समय पर यह चांदी खरीदने के लिए देश का सबसे उत्तम बाज़ार माना जाता था और तभी से इसे चांदनी चौक कहा जाने लगा, आज भी यहां ब्राइडल शॉप से लेकर गहने, किताबें, सोना, चांदी, इलेक्ट्रॉनिक लाइट्स, घर का सामान और भी बहुत कुछ आपको मिल जाएगा, चांदनी चौक दिल्ली की शान है।