Superstitions of India
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    Superstitions of India: भारत एक ऐसा देश है, जहां परंपराएं, आस्था और मान्यताएं जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। यहां हर छोटी से छोटी आदत भी किसी न किसी विश्वास से जुड़ी हुई मिलती है। चाहे रास्ता काटती काली बिल्ली हो, या दरवाज़े पर नींबू-मिर्च लटकाना। इन सभी चीजों को लोग अच्छे और बुरे समय से जोड़ते हैं। कुछ लोग इन्हें महज़ अंधविश्वास मानते हैं, तो कुछ इनके बिना जीवन अधूरा समझते हैं।

    काली बिल्ली का रास्ता काटना-

    काली बिल्ली का रास्ता काटना भारत में ही नहीं, बल्कि पश्चिमी देशों में भी अशुभ माना जाता है। भारत में इसका संबंध शनि देव से जोड़ा जाता है। माना जाता है, कि अगर काली बिल्ली सामने से गुजर जाए, तो थोड़ी देर रुक जाना चाहिए, ताकि अशुभ प्रभाव किसी और पर जाए। भले ही यह विश्वास अब पुराना लगे, लेकिन आज भी लाखों लोग इसे मानते हैं।

    एक रुपया ज़रूर जोड़कर गिफ्ट देना-

    शादी या शुभ अवसरों पर ₹101 या ₹1001 देने की परंपरा हर किसी ने देखी होगी। इसके पीछे मान्यता है, कि आखिरी का ‘1 रुपया’ नई शुरुआत और निरंतरता का प्रतीक है। शून्य यानी ‘समापन’ को टालने के लिए यह परंपरा अपनाई जाती है। शायद यही वजह है, कि यह छोटा-सा सिक्का भी शुभ आशीर्वाद माना जाता है।

    शाम को झाड़ू लगाना क्यों मना है?

    शाम के समय घर में झाड़ू लगाना कई जगह अपशकुन माना जाता है। मान्यता है, कि ऐसा करने से लक्ष्मी जी घर से चली जाती हैं। हालांकि इसका तर्क यह भी दिया जाता है, कि पहले समय में अंधेरे में कीमती चीजें कचरे के साथ बाहर फेंकने का खतरा रहता था, इसलिए यह परंपरा बनी।

    नींबू-मिर्च का टोटका-

    अक्सर आपने दुकानों के बाहर एक नींबू और सात हरी मिर्च लटकते देखे होंगे। माना जाता है, कि इससे अलक्ष्मी यानी दुर्भाग्य की देवी का ध्यान बाहर ही बंध जाता है और दुकान में बरकत बनी रहती है। भले ही यह अंधविश्वास हो, मगर यह परंपरा आज भी हर गली-नुक्कड़ में देखने को मिलती है।

    आंख फड़कना शुभ या अशुभ?

    भारत में आंख फड़कने को भी भविष्य की घटनाओं से जोड़कर देखा जाता है। पुरुषों के लिए दाहिनी आंख फड़कना शुभ और बायीं आंख अशुभ मानी जाती है। वहीं महिलाओं के लिए इसका उल्टा है। हालांकि वैज्ञानिक दृष्टि से यह नींद की कमी, तनाव या आंख की कमजोरी का परिणाम होता है।

    शीशा टूटना और सात साल की बदकिस्मती-

    शीशा टूटना अशुभ माना जाता है और कहा जाता है, कि इससे सात साल तक बदकिस्मती पीछा करती है। इस मान्यता की शुरुआत रोम से हुई, जहां शीशा दुर्लभ था और लोग इसे बचाकर रखने के लिए डर फैलाते थे। माना जाता था. कि शीशे में इंसान की आत्मा का अंश झलकता है।

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    रात में पीपल के पेड़ से दूरी-

    भारत में यह भी माना जाता है, कि रात में पीपल के पेड़ के पास जाने से भूत-प्रेत परेशान करते हैं। जबकि इसका असली कारण यह है, कि रात में पेड़ ऑक्सीजन नहीं, बल्कि कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इसे भूत-प्रेत से जोड़कर लोगों को सावधान किया गया।

    भारत में अंधविश्वास सिर्फ डर और आशंका तक सीमित नहीं है, बल्कि वे हमारी परंपराओं और सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा बन चुके हैं। इनकी जड़ें गहरी हैं और यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ती रही हैं। चाहे इनका वैज्ञानिक आधार हो या न हो, पर सच यह है, कि ये मान्यताएं आज भी लाखों लोगों की सोच और जीवन का हिस्सा हैं।

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