Delhi Crematorium
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    Delhi Crematorium: बुधवार को दिल्ली के सबसे बड़े श्मशान घाट निगमबोध घाट में एक अनहोनी घटना हुई। यमुना नदी का बाढ़ का पानी श्मशान घाट में घुस गया, जिससे अधिकारियों को अंतिम संस्कार की सुविधा रोकनी पड़ी। यह हालात उन परिवारों के लिए बेहद कष्टकारी है, जो अपने प्रियजनों की अंतिम यात्रा का इंतजार कर रहे थे।

    दिल्ली का दिल कहलाने वाला श्मशान घाट-

    रिंग रोड पर लाल किले के पीछे स्थित निगमबोध घाट न सिर्फ दिल्ली का सबसे पुराना, बल्कि सबसे व्यस्त श्मशान घाट भी है। 42 दाह-संस्कार की जगहों वाले इस घाट पर रोजाना औसतन 55 से 60 अंतिम संस्कार होते हैं। यह घाट शहर की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का हिस्सा है, जहां हर दिन सैकड़ों परिवार अपने प्रियजनों को अंतिम विदाई देने आते हैं।

    कैसे घुसा पानी श्मशान घाट में-

    घाट पर मौजूद मैनेजमेंट अफसर ने पीटीआई को बताया, कि शुरुआत में केवल बारिश का पानी परिसर में आया था। लेकिन लगभग सात से आठ फुट ऊंची दीवार के ऊपरी हिस्से से करीब दो फुट का हिस्सा गिर गया, जिससे यमुना का पानी अंदर आने लगा। दोपहर ढाई बजे तक घाट चालू था, लेकिन उसके बाद कोई दाह-संस्कार नहीं हुआ।

    अफसर ने क्लियर किया, कि अब जो भी फैमिली दाह-संस्कार की सर्विस का इस्तेमाल करना चाहती है, उन्हें किसी दूसरे श्मशान घाट जाने को कहा जा रहा है। यह सिचुएशन कई फैमिलीज के लिए एक्स्ट्रा परेशानी का कारण बन रही है।

    आधुनिक सुविधाओं से लैस था घाट-

    निगमबोध घाट में 1950 के दशक में बिजली वाला दाह-संस्कार घर बनाया गया था। बाद में 2006 में नगर निगम द्वारा सीएनजी से चलने वाला दाह-संस्कार घर भी जोड़ा गया था। ये मॉडर्न फैसिलिटीज इसे दिल्ली के सबसे एडवांस दाह-संस्कार घाटों में से एक बनाती थीं।

    यमुना का बढ़ता जल स्तर चिंता का विषय-

    मंगलवार को यमुना नदी का पानी खतरे की निशानी को पार कर गया। वाटर लेवल 206.03 मीटर रिकॉर्ड किया गया और तब से लगातार बढ़ रहा है। बढ़ते पानी के कारण नीची जगहों के लोगों को शिफ्ट करना पड़ा और पुराना रेल पुल ट्रैफिक के लिए बंद कर दिया गया।

    सेंट्रल फ्लड कंट्रोल रूम के अफसर ने बताया, कि वाटर लेवल बढ़ने का मुख्य कारण वजीराबाद और हथनीकुंड बैराज से हर घंटे छोड़े जाने वाले पानी की बड़ी मात्रा है। फोरकास्ट के अनुसार वाटर लेवल में और भी इंक्रीज होने की संभावना है। सुबह 8 बजे हथनीकुंड बैराज से 1.62 लाख क्यूसेक और वजीराबाद बैराज से 1.38 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। यह बेहद असामान्य स्थिति है, जिसने पूरी दिल्ली में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए हैं।

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    लोगों पर पड़ा असर-

    यह घटना दिखाती है, कि मौसम में बदलाव और शहरी प्लानिंग की कमी कैसे आम लोगों की बेसिक जरूरतों को भी प्रभावित कर सकती है। फैमिलीज के लिए यह इमोशनल और प्रैक्टिकल दोनों तरह की चैलेंजिंग सिचुएशन है। कई लोगों को अब दूसरे श्मशान घाटों का रुख करना पड़ रहा है, जो उनके दुख के समय में अतिरिक्त मुसीबत है।

    इस इंसिडेंट से यह भी साफ होता है, कि दिल्ली जैसे बड़े शहर में इन्फ्रास्ट्रक्चर की प्लानिंग कितनी जरूरी है। प्राकृतिक आपदाओं के वक्त भी जरूरी सेवाएं बंद न हों, इसके लिए बेहतर तैयारी की जरूरत है।

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