Devendra Fadnavis
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    Devendra Fadnavis: देवेंद्र फडणवीस या एकनाथ शिंदे महायुति के लिए सीएम का नया फेस कौन होना चाहिए, इस पर पहेली अभी भी जारी है। जबकि ऐसे संकेत दिए जा रहे हैं, कि भाजपा के देवेंद्र फडणवीस को मुंबई में सीएम के ऑफिशियल निवास वर्षा में वापस लौटने में देरी नहीं करनी चाहिए। अगर चुनाव के नतीजे में महायुति को मामूली में बहुमत मिलती, तो शिंदे सीएम के तौर पर चुने जाते। लेकिन बीजेपी के प्रदर्शन के पैमाने ने पार्टी के दृष्टिकोण को बदल दिया है। भाजपा अपने पास मौजूद संख्याओं का लाभ उठाकर फडणवीस को मुख्यमंत्री बनना चाहिए, क्योंकि उनका मानना है कि उपमुख्यमंत्री के रूप में ढाई साल तक शिंदे के अधीनस्थ रहने के बाद, उन्होंने बड़ी जीत हासिल की है।

    शिंदे के नेतृत्व वाली शिव सेना (Devendra Fadnavis)-

    हालांकि यह शिंदे के नेतृत्व वाली शिव सेना को खुश नहीं करेगा, क्योंकि चुनाव अभियान उनके नेतृत्व में ही चलाया गया था। लेकिन बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के तौर पर बदलाव के लिए दवाब बना रही है, वहीं वह शिंदे के नेतृत्व में उनकी लड़की बहन पहल की सफलता और उनके कर्मठ व्यक्तित्व को स्वीकार करते हैं। लेकिन उनका मानना है, की जीत समान रूप से हिंदुत्व की है। जिसे अमित शाह, पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ के अभियानों के दौरान सबसे अच्छे ढंग से व्यक्त किया गया है। सूत्रों की मानें, तो अजीत पवार और की एनसीपी भी फडणवीस को सीएम बनाने के पक्ष में है।

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    महायुति गठबंधन के लिए फायदेमंद क्या (Devendra Fadnavis)-

    ऐसा कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे सीए पद नहीं छोड़ना चाहते हैं। सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है, कि शिंदे की पद छोड़ने की इच्छा नहीं है। उनका मानना है कि उनका पद पर बने रहना, आने वाले स्थाई निकाय चुनाव में महायुति गठबंधन के लिए फायदेमंद होगा। जिसमें जरूरी बीएमसी चुनाव भी शामिल हैं। शिंदे का तर्क है कि शहरी और मराठी मतदाताओं के बीच उनकी अपील राज्य की राजनीति पर गठबंधन की पकड़ को और मजबूत कर सकती है। इससे स्थानीय चुनाव में जीत सुनिश्चित हो सकती है।

    भाजपा के अंदर अंदरूनी चर्चाएं तेज-

    यह दृष्टिकोण क्षेत्रीय गौरव और जमीनी स्तर पर जुड़ाव को दर्शाता है। जिसे शिंदे ने विकसित किया है। यह पार्टी की व्यापक राजनीतिक रणनीति के लिए फायदेमंद हो सकता है। सूत्रों का कहना है, कि भाजपा के अंदर अंदरूनी चर्चाएं तेज हो चुकी हैं। बीजेपी एकनाथ शिंदे जैसे नेता के होने से चुनावी लाभ को पहचानती है। जिन्होंने लोगों को उनसे जोड़ने में अपनी योग्यता साबित की। वहीं दूसरी ओर नेतृत्व फडणवीस को ऐसे व्यक्ति के रूप में देखती है, जो शासन में एक नया गतिशील दृष्टिकोण ला सकता है, जो राज्य की राजनीति को विकास और दक्षता के राष्ट्रीय भाजपा आख्यान के साथ फिर से जोड़ सकते हैं। वहीं देर रात शीर्ष नेताओं में मंथन जारी रहा और कई दौर की बैठकें हुई।

    शिवसेना गठबंधन की जीत-

    सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है, कि इस मुद्दे को तुरंत हल करने की संभावना नहीं है। साल 2019 में अपने नेतृत्व में बीजेपी और विभाजित शिवसेना गठबंधन की जीत के बावजूद फडणवीस सीएम के रूप में अपने कार्यकाल को जारी नहीं रह सके और बाद में उन्हें शिंदे के अधीन उपमुख्यमंत्री के पद से संतुष्ट होना पड़ा। अपने प्रशासनिक कौशल और राजनीतिक चतुराई के लिए जाने जाने वाले फडणवीस का आर्थिक सुधारों और बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से महाराष्ट्र को आगे बढ़ाने का इतिहास रहा है। उनके कार्यकाल की विशेषता आक्रामक शासन की है, जिसने मतदाताओं को एक ओर आकर्षित किया, जो अब संभवत उनके नेतृत्व शैली की वापसी का इंतज़ार कर रहा है।

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    महाराष्ट्र में शानदार प्रदर्शन-

    हालांकि शिंदे को बदलने का निर्णय सीधा नहीं है, वर्तमान में महायुति गठबंधन ने महाराष्ट्र में शानदार प्रदर्शन किया। 288 में से 233 सीटें जीती, विपक्षी महा विकास आघाडी को बड़ा झटका लगा और उन्हें सिर्फ 49 सीटें ही मिली। जिसने उन्हें विपक्ष नेता के पद का दावा करने में असमर्थ बना दिया। मौजूदा महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल मंगलवार को खत्म हो रहा है। इसी बीच शिव सेना के सभी 57 विधायकों को विधायक दल का नेता चुनने के लिए बांद्रा के होटल में बुलाया गया। बैठक सोमवार को हो सकती है। सेना के पदाधिकारी ने कहा कि एकनाथ शिंदे सोमवार या मंगलवार को राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं और फिर नए सीएम और कैबिनेट के शपथ लेने तक कार्यवाहक के रूप में काम जारी रख सकते हैं।

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