CAA: नागरिक संशोधन कानून लोकसभा चुनाव से पहले चर्चा में है और अगले 7 दिनों के अंदर ही इसे लागू कर दिया जाएगा। सबसे पहले नागरिकता कानून उत्तराखंड में पारित किया जाएगा। इसके बाद से यह अन्य राज्यों में लागू होगा। CAA बीजेपी के घोषणा पत्र में शामिल प्रमुख मुद्दों में से एक रहा है। ऐसे में कहा जा रहा है कि राम मंदिर के बाद भाजपा सरकार का अगला कदम नागरिकता कानून ही है। मोदी सरकार ने साल 2020 में इसे संसद से पारित करवाया था और उस दौरान पूरे देश में कानून के खिलाफ आंदोलन भी हुए थे। जानकारी के मुताबिक, हफ्ते भर में सरकार इस कानून को लागू करने वाली है। नागरिकता संशोधन कानून से जुड़े 10 बड़े अपडेट क्या है आईए जानते हैं।
हाल ही में परिवहन और जल मार्ग मंत्रालय के राज्य मंत्री ने यह दावा किया है की नागरिकता संशोधन कानून 7 दिन के अंदर पूरे देश में लागू होगा। उनका कहना है कि राम मंदिर की शुरुआत हो गई है और एक सप्ताह में न सिर्फ पश्चिम बंगाल में बल्कि पूरे देश में यह लागू होगा। कोलकाता में सोमवार को उन्होंने गारंटी देते हुए, यह बात दोहराई थी कि राज्य सरकार दावा करती है कि आपके पास मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड है, तो आप इस देश के नागरिक हैं और वोट डाल सकते हैं। अगर ऐसा है तो हजारों लोगों को मताधिकार से वंचित क्यों रखा गया है।
नागरिकता के लिए अप्लाई-
सरकार को लेकर जल्द ही पूरी योजना बना ली है, जल्द ही यह नियम भी जारी कर दिए जाएंगे। नियम जारी होने के बाद जो भी पात्र हैं उन्हें भारत के नागरिकता दी जाएगी। यानी कि यह साफ है की नागरिकता संशोधन अधिनियम लोकसभा चुनाव से पहले ही लागू होगा। जैसे कि पहले ही साफ हो चुका है की नागरिकता के लिए अप्लाई करने वाले आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। भारत की नागरिकता के लिए आवेदन करने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया जा रहा है। एप्लीकेंट ऑनलाइन तरीके से देश में आने वाले का समय बताकर अप्लाई कर सकेंगे, अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए लोग अपने मोबाइल फोन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
भारत आए शरणार्थियों को नागरिकता-
वहीं अधिकारियों के मुताबिक, भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए शरणार्थी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। अभी तक जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हैं। वह ही इसके लिए अप्लाई कर पाएंगे। नागरिकता अप्लाई करने वालों में सिख, हिंदू, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म के लोग शामिल होंगे। ऐसा कहां जा रहा है कि सिर्फ 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी। ऐसे में बहुत से लोगों के मन में सवाल है कि जो लोग इसके बाद भारत में आए हैं, उनके साथ क्या होगा। इसका जवाब देते हुए कहा गय है कि डेट बढ़ाई जा सकती है। लेकिन अभी तक इसके बारे में कोई कुछ भी नहीं कहा जा सकता। इसे लेकर सरकार के नोटिफिकेशन के बाद ही कुछ साफ हो पाएगा।
कानून के खिलाफ याचिका-
सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन अधिनियम को चुनौती दी गई थी। याचिका कर्ताओं ने इस कानून के खिलाफ याचिका दायर कर कहा था कि यह बांग्लादेश पाकिस्तान और अफगानिस्तान से सिर्फ सिख, हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को ही भारत नागरिकता देता है। इसमें म्यांमार में सताए रोहिंग्या चीन के तिब्बती बौद्ध और श्रीलंका तमिलनाडु को जगह नहीं दी गई। जो की अन्याय है मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। लेकिन अदालत 18 दिसंबर 2019 को ही नागरिकता संशोधन पर रोक लगाने वाली याचिका को खारिज कर चुकी है। अदालत में केंद्र सरकार को इस बात पर नोटिस भी जारी किया था और सरकार से जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया। जानकारी के मुताबिक कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में ढाई सौ से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं।
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कानून के खिलाफ विरोध-
पूरे देश भर में इसके खिलाफ विरोध हुए थे, सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा, लेकिन केंद्र सरकार का रुख एकदम साफ था और सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में सरकार ने कहा था कि इस कानून में उचित वर्गीकरण का आधार धर्म नहीं है। बल्कि पड़ोसी देशों में धार्मिक भेदभाव है. केंद्र सरकार ने कहा कि कानून दुनिया भर में मुद्दों का समाधान नहीं है और ना ही सरकार दुनिया भर में होने वाले उत्पीड़न का समाधान कर सकती है। जब कानून को लेकर संसद में बहस चल रही थी, तब भी गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि कानून नागरिकता देने के लिए है, किसी भी नागरिक से लेने के लिए नहीं। केंद्रीय गृह मंत्री ने पश्चिम बंगाल में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा सरकार नागरिकता संशोधन कानून के लिए प्रतिबद्ध है।
नागरिकता संशोधन कानून-
उन्होंने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा है कि अक्सर ममता दीदी हमारे शरणार्थी भाइयों को गुमराह करती हैं और मैं स्पष्ट कर दूं कि यह देश का कानून है और इसे कोई नहीं रोक सकता। सभी को नागरिकता मिलेगी यह हमारी पार्टी की प्रतिबद्धता है। 11 दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन कानून को संसद में पास किया गया था। इस दौरान देशभर में आंदोलन और विरोध हुए। 10 जनवरी 2020 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन गया। यह कानून अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, फारसी, बौद्ध और क्रिश्चियन धर्म के प्रवासियों के लिए नागरिकता देने के लिए है। कानून लागू होने के बाद इन देशों से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को आसानी से भारत की नागरिकता मिल पाएगी।
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