Scheme For Daughters: आज के समय में जहां बेटियों को बोझ समझा जाता है, वहीं आंध्र प्रदेश से एक सांसद ने बेटियों के प्रति अपना प्यार दिखाने के लिए एक अनोखी पहल की है। विजयनगरम से सांसद के अप्पाला नायडू ने घोषणा की है कि अगर किसी परिवार की तीसरी संतान बेटी होगी, तो वे उस परिवार को 50,000 रुपए की राशि प्रदान करेंगे। यह घोषणा उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर की, जिसने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।
Scheme For Daughters बेटियों के भविष्य के लिए सुरक्षित निवेश-
नायडू के इस अभिनव प्रयास में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह राशि सीधे परिवार के हाथों में नहीं दी जाएगी। ₹50,000 की यह राशि फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में जमा की जाएगी, जिससे जब लड़की विवाह योग्य उम्र तक पहुंचेगी, तब तक यह राशि लगभग ₹10 लाख तक पहुंच सकती है। इस तरह से न केवल बेटी के जन्म को प्रोत्साहित किया जाएगा, बल्कि उसके भविष्य की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी।
Scheme For Daughters बेटे के जन्म पर भी है विशेष उपहार-
कई लोगों के मन में सवाल उठता होगा कि अगर तीसरी संतान बेटा हुआ तो क्या होगा? सांसद ने इसका भी समाधान निकाला है। उनके अनुसार, अगर तीसरी संतान बेटा होता है, तो परिवार को एक गाय और बछड़ा दिया जाएगा। यानी बेटा हो या बेटी, दोनों के लिए कुछ न कुछ प्रावधान है, लेकिन बेटी के लिए आर्थिक सहायता का प्रस्ताव लोगों को अधिक आकर्षित कर रहा है।
"जीवन में महिलाओं का अमूल्य योगदान"-
अप्पाला नायडू ने अपने इस निर्णय के पीछे का कारण बताते हुए कहा कि उनके जीवन में महिलाओं का अमूल्य योगदान रहा है। "मेरी मां, पत्नी, बहनें और बेटी ने हमेशा मेरा साथ दिया है और मेरी सफलता में उनका बड़ा हाथ है। मैं चाहता हूं कि समाज में बेटियों के जन्म पर भी उतनी ही खुशियां मनाई जाएं, जितनी बेटों के जन्म पर मनाई जाती हैं," उन्होंने कहा। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर की गई इस घोषणा के माध्यम से नायडू ने महिलाओं के प्रति अपना सम्मान और आदर प्रकट किया है। उन्होंने यह भी बताया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की जनसंख्या वृद्धि की अपील से प्रेरित होकर इस पहल को शुरू कर रहे हैं।
लिंग भेदभाव से लड़ने की पहल-
भारत में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, बेटियों के जन्म पर अभी भी उत्साह की कमी देखी जाती है। कई परिवारों में लड़कियों को बोझ माना जाता है और उनके जन्म पर निराशा होती है। ऐसी स्थिति में के अप्पाला नायडू की यह पहल लिंग भेदभाव से लड़ने और समाज में बेटियों के महत्व को बढ़ावा देने का एक सकारात्मक प्रयास है। सांसद के इस कदम से न केवल बेटियों के प्रति नकारात्मक धारणा में बदलाव आएगा, बल्कि परिवारों को आर्थिक रूप से भी सहायता मिलेगी। इससे लड़कियों की शिक्षा और विवाह में होने वाले खर्च का बोझ कम होगा, जो कि कई परिवारों के लिए चिंता का विषय होता है।
निर्वाचन क्षेत्र की सभी महिलाओं के लिए प्रस्ताव-
के अप्पाला नायडू ने अपने निर्वाचन क्षेत्र की प्रत्येक महिला को यह प्रस्ताव देने का वादा किया है। इसका अर्थ है कि विजयनगरम के हर परिवार को इस योजना का लाभ मिल सकेगा। उन्होंने कहा, "मेरा उद्देश्य है कि मेरे क्षेत्र में कोई भी बेटी अनचाही न हो। हर बेटी का स्वागत खुशी और उत्साह से होना चाहिए।" विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी पहलें समाज में बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। आर्थिक प्रोत्साहन लोगों को सोचने पर मजबूर करता है और धीरे-धीरे सामाजिक मानसिकता में बदलाव ला सकता है।
योजना का कार्यान्वयन और प्रभाव-
योजना के कार्यान्वयन के लिए सांसद ने एक विशेष टीम गठित की है, जो परिवारों की पहचान करेगी और आवश्यक प्रक्रियाओं को पूरा करेगी। परिवार को तीसरी बेटी के जन्म के प्रमाण के रूप में जन्म प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।समाज विज्ञानियों का मानना है कि इस तरह की पहलें दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकती हैं। "आर्थिक प्रोत्साहन अक्सर व्यवहार में बदलाव लाने का प्रभावी तरीका होता है। यदि लोग देखते हैं कि बेटी के जन्म से आर्थिक लाभ मिल सकता है, तो धीरे-धीरे उनकी मानसिकता बदल सकती है।"
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समाज में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं-
के अप्पाला नायडू की इस पहल पर समाज में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोग इसे बेटियों के सम्मान और महत्व को बढ़ावा देने का सराहनीय प्रयास मान रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि यह एक राजनीतिक चाल है। हालांकि, अधिकांश लोग इस पहल को सकारात्मक रूप से देख रहे हैं। कोई भी पहल जो बेटियों के प्रति सम्मान बढ़ाती है और परिवारों को उनकी देखभाल में मदद करती है, वह स्वागत योग्य है।
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