Najibabad Murder Case: उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद में एक ऐसी घटना हुई है, जो दिखाती है, कि कैसे रिश्तों में हिंसा किसी भी हद तक जा सकती है। 32 वर्षीय सेना जवान अमित सागर की मौत एक ऐसे मामले में हुई है, जो आज के समय में बढ़ते घरेलू हिंसा के मामलों को दिखाता है। यह सिर्फ एक अपराधिक कहानी नहीं है, बल्कि उन अनगिनत महिलाओं की कहानी है, जो हिंसक रिश्तों में फंसी हुई हैं।
तीन साल के रिश्ते का खतरनाक अंजाम-
अमित सागर और ममता बिना शादी के तीन सालों से साथ रह रहे थे। नजीबाबाद के आदर्शनगर इलाके में रह रहे, इस जोड़े की जिंदगी बाहर से देखने में सामान्य लगती थी, लेकिन अंदर ही अंदर यह रिश्ता एक जहरीले पैटर्न में फंस गया था। सर्कल अधिकारी नितेश प्रताप सिंह के मुताबिक, यह मामला दिखाता है, कि कैसे शराब की लत और घरेलू हिंसा मिलकर किसी भी रिश्ते को तबाह कर देते हैं। शुक्रवार को पुलिस ने बताया, कि अमित की मौत का कारण गला दबाना था। यह सिर्फ एक अचानक की घटना नहीं थी, बल्कि सालों की मारपीट का नतीजा था। ममता ने पुलिस को बताया, कि अमित अक्सर शराब पीकर उसे मारता-पीटता था और वह इस रिश्ते से आजाद होना चाहती थी।
15 जुलाई की वह काली रात-
15 जुलाई की रात को जो कुछ हुआ, वह किसी भी औरत के लिए एक बेहद परेशानी का पल था। अस्पताल में गंभीर हालत में पहुंचाए गए, अमित को बचाया नहीं जा सका। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुष्टि की, कि उसकी मौत गला दबाने से हुई थी। यह एक ऐसा पल था, जब सालों की निराशा और डर ने एक दुखद फैसले का रूप ले लिया। पुलिस जांच से पता चला, कि यह कोई पहले से बनाई गई हत्या नहीं थी, बल्कि एक परेशान औरत का आखिरी रास्ता था। ममता का कहना है, कि वह सिर्फ अमित की मारपीट से बचना चाहती थी।
मां का दर्द और न्याय की मांग-
अमित की मां कांति देवी का दर्द समझा जा सकता है। अपने बेटे को खोने का गम तो था ही, साथ ही उसे यह भी पता चला, कि उसका बेटा एक हिंसक साथी था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद कांति देवी ने ममता के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया। गुरुवार को ममता को गिरफ्तार कर लिया गया। यह मामला दिखाता है, कि घरेलू हिंसा के शिकार अक्सर कैसे घिरा हुआ महसूस करते हैं। कानूनी व्यवस्था में भले ही सही तरीके हों, लेकिन असल में पीड़ितों को लगता है, कि उनके पास कोई रास्ता नहीं है।
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समाज के लिए एक सबक-
यह घटना सिर्फ एक अपराधिक कहानी नहीं है। यह हमारे समाज की उन समस्याओं को दिखाता है, जिन पर हमें गंभीरता से सोचना चाहिए। शराब की लत, घरेलू हिंसा और मानसिक स्वास्थ्य सहायता की कमी, ये सभी कारक मिलकर ऐसी त्रासदियों का कारण बनते हैं।
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