Madvi Hidma
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    Madvi Hidma: देश के सबसे खतरनाक और मोस्ट वांटेड नक्सली नेता मदवी हिड्मा का मंगलवार सुबह आंध्र प्रदेश में एनकाउंटर में अंत हो गया। यह खबर सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। 18 नवंबर की सुबह आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामा राजू जिले के मारेडुमिल्ली फॉरेस्ट एरिया में हुई इस मुठभेड़ में न सिर्फ हिड्मा, बल्कि उसकी पत्नी मदकाम राजे और चार अन्य माओवादी भी मारे गए। सिक्योरिटी ऑफिशियल्स के मुताबिक, यह ऑपरेशन कई हफ्तों की इंटेलिजेंस और प्लानिंग का नतीजा था।

    सुबह छह से सात बजे के बीच हुआ एनकाउंटर-

    मंगलवार की सुबह छह से सात बजे के बीच जब हिड्मा और उसका ग्रुप छत्तीसगढ़ से भागने की कोशिश कर रहे थे, तभी सुरक्षा बलों ने उन्हें घेर लिया। पिछले कुछ हफ्तों से मिल रही इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स ने संकेत दिए थे कि आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सीमाओं पर माओवादियों की मूवमेंट बढ़ी है। इसी जानकारी के आधार पर एंटी-नक्सल ग्रेहाउंड्स और लोकल पुलिस ने मिलकर एक कोऑर्डिनेटेड ऑपरेशन चलाया। सिक्योरिटी ऑफिशियल्स का कहना है कि यह एक प्लांड ऑपरेशन था जिसमें कई एजेंसियों ने मिलकर काम किया।

    गांव के एक साधारण लड़के से बना सबसे खूंखार नक्सली-

    मदवी हिड्मा की कहानी एक साधारण गांव के लड़के से शुरू होती है। छत्तीसगढ़ के दक्षिण सुकमा के पुरवटी गांव में जन्मे हिड्मा ने दसवीं क्लास तक पढ़ाई की। लेकिन जीवन में कुछ ऐसे मोड़ आए कि उसने माओवादी रैंक्स जॉइन कर लीं। शुरुआत में एक आम कैडर के तौर पर शामिल हुए हिड्मा ने धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाई। उसकी गुरिल्ला वॉरफेयर और मिलिट्री प्लानिंग की समझ ने उसे संगठन में तेजी से ऊपर उठाया।

    हिड्मा को संतोष के नाम से भी जाना जाता था। बस्तर में माओवादी ऑपरेशंस का वह चेहरा बन गया था। समय के साथ वह पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी बटालियन नंबर 1 का हेड बना और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का एक्टिव मेंबर बन गया। सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर में उसकी गतिविधियां चलती रहीं। सबसे खास बात यह थी कि हिड्मा CPI (माओवादी) सेंट्रल कमेटी का सबसे यंग मेंबर बन गया था।

    26 घातक हमलों से जुड़ा था नाम-

    हिड्मा का नाम कम से कम 26 जानलेवा हमलों से जुड़ा हुआ था। दंतेवाड़ा, दरभा वैली और सुकमा में हुए बड़े ऑपरेशंस में उसकी भूमिका थी। इनमें सबसे चर्चित और खूंखार हमला 2010 का तड़मेटला अटैक था, जिसमें सुकमा जिले के तड़मेटला गांव के पास पचहत्तर CRPF जवान और एक पुलिस कॉन्स्टेबल मारे गए थे। यह भारतीय सुरक्षा बलों पर अब तक के सबसे घातक नक्सली हमलों में से एक माना जाता है।

    एक करोड़ का इनाम और NIA की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल-

    हिड्मा पर एक करोड़ रुपये से ज्यादा का इनाम था और वह नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल था। दिलचस्प बात यह है, कि 2016 में उसे एक बार गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन उस समय उसे लो-लेवल पार्टिसिपेंट के रूप में देखा गया और जल्द ही वह फिर से एक्टिव हो गया। उसकी वापसी और भी खतरनाक साबित हुई।

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    बड़ी कामयाबी, लेकिन चुनौतियां बाकी-

    हिड्मा की मौत निश्चित रूप से सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। एक ऐसे शख्स को खत्म करना, जो दशकों से सुरक्षा एजेंसियों की आंखों में धूल झोंक रहा था, आसान नहीं था। यह सक्सेस कई हफ्तों की मेहनत, प्लानिंग और कोऑर्डिनेशन का नतीजा है। एंटी-नक्सल ग्रेहाउंड्स, लोकल पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियों के बीच टीमवर्क ने इस ऑपरेशन को सफल बनाया।

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