Lok Sabha Election 2024
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    Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव नज़दीक हैं और जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नज़दीक आ रही है विपक्षी पर्टियों के कई नेता जेल जा रहे हैं। ईडी द्वारा उनके घर पर छापा मारा जा रहा है। सूत्रों के हवाले से यह कहा जा रहा है क्रांग्रेस पार्टी के सारे खाते सील है वहीं दूसरी ओर सत्तारुढ़ी पार्टी के पास करोड़ों अरबों रुपए हैं। किसी के पास प्रचार करने तक के पैसे नहीं है।

    किसी पार्टी के पास इतने पैसे हैं कि गिनती ही नहीं हैं। ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या सच में यह चुनाव निष्पक्ष है। यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि एक विपक्षी पार्टी के खाते सील हैं एक पार्टी के नेता जेल में है। वहीं एक पार्टी के पास सबकुछ है तो यह चुनाव निष्पक्ष कैसे हुए। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर निष्पक्ष चुनाव करने हैं तो सुप्रीम कोर्ट को तीन अहम फैसेले लेने होंगे।

    VVPAT मशीन से कनेक्ट (Lok Sabha Election 2024)-

    विशेषज्ञों का कहना है कि अगर देश में निष्पक्ष चुनाव करवाने हैं तो सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डिवाईन चंद्रचूड और उनके साथी जजों को तीन अहम फैसले लेने होंगे। जिसमें सबसे पहला फैसला है EVM मशीन को VVPAT मशीन से कनेक्ट करना। VVPAT को ईवीएम मशीन से कनेक्ट किया जाता है। इसे जोड़ने से जब कोई नागरिक ईवीएम से वोट देगा है तो VVPAT से एक पर्ची बाहर निकलती है जिसमें उस पार्टी का नाम होता है जिसे उस नागरिक ने वोट दिया है। इस समय VVPAT मशीन का इस्तेमाल सभी EVM पर नहीं किया जाता। (Lok Sabha Election 2024)

    पांच में सिर्फ एक ही मशीन के साथ इसे जोड़ा जाता है। अगर सुप्रीम कोर्ट ये फैसला ले कि सभी ईवीएम मशीनों के साथ VVPAT को जोड़ा जाए तो इससे चुनाव में धांधली खत्म हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा नहीं है कि अभी चनाव में कोई गड़बड़ी हो रही है। लेकिन इस फैसले के बाद नागरिक को तसल्ली हो जाएगी कि उसने जो वोट दिया है वह काउंट हुआ है या नहीं।

    केजरीवाल के मामले पर फैसला-

    दूसरे फैसले की बात करें तो विशेषतज्ञों का कहना है कि अगर सरकार संजय सिंह की तरह ही अगर चुनाव से पहले केजरीवाल के केस की सुनवाई करे तो मुकाबला बराबरी का हो सकता है। हालांकि अगर केजरीवाल की गलती है तो उनको सज़ा भी मिलनी चाहिए। लेकिन अगर जिन नेताओं को जेल भेजा गया है उन्हें चुनाव के लिए बाहर लाया जाए तो कुच हो सकता है। भले ही चुनाव होने के बाद अगर उनकी गलती है तो उन पर सख्त कार्यवाही की जाए। अगर ऐसा होता है तो चुनाव का मैदान थोड़ा बराबरी का हो सकता है।

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    इलैक्टोरल बॉन्ड-

    वहीं अगर तीसरे अहम फैसले की बात की जाए तो वह है इलैक्टोरल बॉन्ड। सूत्रों के हवाले से यह कहा जा रहा है कि बहुत सी ऐसी कंपनियां है जिन्होंने ईडी और सीबीआई को छापे पड़ने के बाद भी सत्ता रुढ़ी पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड के तौर पर हज़ारों करोड़ का डोनेशन कैसे दे दिया। किस कंपनी ने किस पार्टी को कब और क्यों और कैसे पैसे दिए हैं इसकी जानकारी होनी चाहिए। इसके साथ ही छापे पड़ने के बाद भी किसी कंपनी ऐसा कैसे किया इसकी भी जांच होनी चाहिए और कानून के मुताबिक, इस पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह फैसले लिए जाते हैं तो इससे लोकसभा चुनाव को एक अलग रुख मिल सकता है।

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