RG Kar Medical College
    प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Source - Google)

    RG Kar Medical College: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक बार फिर मातम छा गया है। कॉलेज की एक 20 वर्षीय द्वितीय वर्ष की छात्रा को कमारहाटी स्थित ईएसआई क्वार्टर्स में संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी पर लटका हुआ पाया गया। यह दुखद घटना उस समय सामने आई जब छात्रा की मां, जो स्थानीय ईएसआई अस्पताल में डॉक्टर हैं, ने उनसे कई बार कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की, लेकिन कॉन्टैक्ट नहीं हो पाया।

    मानसिक स्वास्थ्य की चिंताजनक तस्वीर(RG Kar Medical College)-

    बैरकपुर कमिश्नरेट के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, कि जब लगातार कॉल करने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला, तो मां ने दरवाजा तोड़कर अंदर प्रवेश किया। उन्होंने अपनी बेटी को फांसी पर लटका हुआ पाया। तुरंत उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, छात्रा डिप्रेशन से जूझ रही थी। यह घटना मेडिकल छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर चिंता का विषय बन गई है।

    RG Kar Medical College मृतक छात्रा का परिवार-

    मृतक छात्रा के पिता मुंबई में एक राष्ट्रीयकृत बैंक में वरिष्ठ अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। पुलिस ने अप्राकृतिक मृत्यु का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शव को पोस्टमार्टम के लिए कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड सागोर दत्त हॉस्पिटल भेज दिया गया है। आरजी कर हॉस्पिटल के अधिकारियों के अनुसार, छात्रा आमतौर पर शांत स्वभाव की थी।

    आरजी कर मेडिकल कॉलेज का दर्दनाक इतिहास-

    यह घटना उस समय हुई है जब कुछ दिन पहले ही आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी संजय रॉय को सीलडाह कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। पिछले साल 9 अगस्त को हुई इस जघन्य घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।

    न्याय-

    कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। हालांकि, मृतक डॉक्टर के माता-पिता का आरोप है, कि जांच आधी-अधूरी की गई और अन्य दोषियों को बचाया गया। 20 जनवरी को सीलडाह की सिविल और क्रिमिनल कोर्ट ने सिविक वालंटियर संजय रॉय को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।

    मेडिकल शिक्षा में सुधार की आवश्यकता-

    इस दुखद घटना ने एक बार फिर मेडिकल शिक्षा व्यवस्था में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल की आवश्यकता को उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है, कि मेडिकल छात्रों पर पढ़ाई का दबाव, लंबे काम के घंटे और सामाजिक अपेक्षाएं उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।

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    समाज की जिम्मेदारी-

    इस तरह की घटनाएं हमारे समाज के सामने एक बड़ा प्रश्न खड़ा करती हैं। मेडिकल छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल, उनके लिए काउंसलिंग की व्यवस्था और एक सहायक वातावरण का निर्माण आज समय की मांग है। साथ ही मेडिकल कॉलेजों में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की ज़रुरत है।

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