Milk Price: कर्नाटक राज्य में एक निर्णय लिया गया है जो दुग्ध उत्पादकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। मुख्यमंत्री सिद्धरामैया की अगुवाई में राज्य सरकार ने 1 अप्रैल से दूध के दामों में 4 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि को मंजूरी दी है। यह निर्णय किसानों को आर्थिक राहत प्रदान करने के साथ-साथ दूध उत्पादन की जटिल व्यावसायिक चुनौतियों को भी संबोधित करता है।
Milk Price कर्नाटक दुग्ध महासंघ-
कर्नाटक दुग्ध महासंघ (KMF) ने शुरुआत में 5 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि का प्रस्ताव रखा था। विस्तृत चर्चा और गहन विश्लेषण के बाद सरकार ने 4 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि को मंजूरी दी। इस निर्णय के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण छिपे हुए हैं। बढ़ती उत्पादन लागत, श्रमिकों के वेतन में वृद्धि और परिवहन खर्चों में इजाफा मुख्य कारण हैं जिन्होंने इस मूल्य संशोधन को अनिवार्य बना दिया।
From bus to metro fare, petrol & diesel to electricity, milk to liquor @INCKarnataka Govt has increased the price of every commodity.
— Dr Sudhakar K (@DrSudhakar_) March 27, 2025
On one side the price of milk has been increased thrice in the last 2 years, but the profits have not been passed on to the farmers.
By pushing… pic.twitter.com/639uLy6sAK
Milk Price सहकारी समितियों का मूल उद्देश्य-
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने स्पष्ट रूप से अपनी बात रखी है कि दूध संघ और सहकारी समितियों का मूल उद्देश्य किसानों को सहयोग करना है, न कि अधिक से अधिक मुनाफा कमाना। उन्होंने KMF और दूध संघों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे अपने प्रशासनिक और अतिरिक्त खर्चों में 2.5% की कटौती करें और भविष्य में अपने बजट के 2% के भीतर व्यय को सीमित रखें।
वित्तीय चुनौतियों का सामना-
राज्य के कई दूध संघों को वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बल्लारी दूध संघ पहले ही 1.4 करोड़ रुपये के घाटे में चल रहा है। इसके अलावा, कर्नाटक में दूध की कीमतें पड़ोसी राज्यों की तुलना में काफी कम थीं। यह स्थिति दूध उत्पादकों और संबंधित संस्थाओं के लिए चिंता का विषय बन गई थी।
महत्वपूर्ण निर्देश-
सिद्धरामैया ने एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है, कि अनुबंध पर रखे जाने वाले कर्मचारियों की संख्या को कम किया जाए। यह रणनीतिक कदम लागत कम करने और संसाधनों के अधिक कुशल उपयोग में मदद करेगा। दूध संघों को अपने संचालन में अधिक पारदर्शिता और कार्यकुशलता लाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
एक उम्मीद की किरण-
यह निर्णय किसानों के लिए एक उम्मीद की किरण है। बढ़ती महंगाई और उत्पादन लागत के बीच 4 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि उनकी आय में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। किसान जो लंबे समय से अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद कर रहे थे, उन्हें इस निर्णय से राहत मिलेगी।
कर्नाटक सरकार का यह निर्णय केवल एक मूल्य संशोधन से कहीं अधिक है। यह किसान कल्याण, वित्तीय स्थिरता और दुग्ध उद्योग के सतत विकास के प्रति सरकार की गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मुख्यमंत्री सिद्धरामैया की यह पहल दूध उत्पादकों के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा साबित होगी।
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दूध उत्पादकों के लिए महत्वपूर्ण-
अंत में, यह निर्णय न केवल दूध उत्पादकों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पूरे कृषि क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत है। कर्नाटक सरकार ने एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत किया है जिसे अन्य राज्य भी अपने यहां लागू कर सकते हैं।
राज्य के दुग्ध उत्पादक इस निर्णय का स्वागत कर रहे हैं। कई किसान संगठनों ने इसे एक सकारात्मक कदम बताया है जो दूध उत्पादकों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाएगा। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल एक शुरुआत है और दीर्घकालिक समाधान के लिए और अधिक व्यापक नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
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