Jagannath Puri: उड़ीसा के पुरी प्रतिष्ठित जगन्नाथ मंदिर में प्रशासन ने आने वाले भक्तों से कहा है कि वह आज से मंदिर परिसर में प्रवेश करते समय जींस और शॉर्ट्स जैसे कपड़े ना पहनने के लिए कहा है। पुलिस और मंदिर के सेवकों द्वारा सभी पर निगरानी रखी जाएगी। इस तरह के कपड़े पहनकर आने वाले लोगों को मंदिर में एंट्री नहीं होगी। मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक का कहना है कि भक्तों को मंदिर में प्रवेश करते समय कमीज, चूड़ीदार, पजामी और धोती जैसी पारंपरिक ड्रेस पहनने होंगे। मुख्य प्रशासक का कहना है कि देश के बहुत से धार्मिक स्थलों पर इस तरह के ड्रेस कोड लागू हैं।
ड्रेस कोड लागू-
उनका कहना है कि जगन्नाथ मंदिर के सेवक और पुलिस ऐसे कपड़े पहनकर आने वाले व्यक्तियों पर नजर रखने वाले हैं। यह कदम मंदिर प्रशासन के द्वारा अक्टूबर 2021 में मंदिर के सेवकों के लिए ड्रेस कोड लागू करने के 2 साल बाद उठाया गया है। सेवक पूजा करते समय धोती, तोलिया और पट्टा जैसे कपड़े पहनेंगे। मंदिर में सेवकों का एक प्रमुख निकाय मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए ड्रेस कोड की मांग कर रहा था। मांग करते हुए कहा गया कि कई लोग शॉट्स पहनकर मंदिर में आ जाते हैं, जिससे अन्य भक्तों के धार्मिक भावनाओं को आहत होती है।
पान चबाने और प्लास्टिक पॉलिथीन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध-
अब सोमवार यानी 1 जनवरी से जगन्नाथ मंदिर में ड्रेस कोड लागू कर दिया जाएगा। इसने 2024 के नए साल के दिन से मंदिर परिसर में गुटखा, पान चबाने और प्लास्टिक पॉलिथीन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मंदिर के प्रमुख अधिकारी का कहना है कि भक्तों को मंदिर में प्रवेश करने के लिए सभ्य कपड़े पहनने होंगे। श्री जगन्नाथ मंदिर ने पहले अक्टूबर 2023 आदेश जारी किया था और पुलिस को प्रतिबंध लागू करने के लिए कहा था। मंदिर परिसर में पान गुटका पर प्रतिबंध इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए लगाया गया है। उनका कहना है कि प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
बड़ी संख्या में श्रद्धालु-
इस सबके बीच नए साल के दिन भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए समुद्र तटीय तीर्थ नगरी में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए। मंदिर के दरवाजे उन भक्तों के लिए फिर खुल गए जो कि इसके सामने ग्रांड रोड पर कतार में खड़े थे। सुबह 1:40 बजे पुरी पुलिस से समर्थ वर्मा ने एक एक्स पेस्ट में कहा कि दोपहर 12:00 बजे तक 1000 से ज्यादा भक्तों ने जगन्नाथ के दर्शन किए।अक्टूबर 2023 को एक बयान में कहा गया था कि श्रद्धालुओं के लिए जनवरी 2024 से ड्रेस कोड लागू किया जाएगा।ऐसा कहा जा रहा है इसकी मांग काफी वक्त से चली आ रही है।
जागरूकता अभियान-
अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए जागरूकता अभियान के अंतर्गत जगन्नाथ मंदिर पुलिस और शिव मंदिर के सेवक दल नियमों का पालन करने वालों को कड़ी नजर रखेंगे। श्री जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक का कहना है कि मंदिर में आने वालों को पारंपरिक कपड़े पहनने चाहिए। ध्यान देने वाली बात यह है, कुछ समय पहले ही कालका मंदिर समिति के श्रद्धालुओं के लिए भी ड्रेस कोड जारी किया गया था। इसके मुताबिक कोई भी श्रद्धालु हाफ पैंट, नाइट सूट जैसे कपड़े पहनकर मंदिर में नहीं आ सकते।
इससे पहले मंदिर प्रशासन ने स्कर्ट और असभ्य कपड़ों पर रोक लगाई थी। मंदिर की दीवारों पर लगे नोटिस बताते हैं कि मंदिर में मुसलमान के लिए एंट्री नहीं है। इसके अलावा बदायूं के वीरू मंदिर, मुजफ्फरपुर के श्री बालाजी मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर और महाकाल मंदिर में सभी के लिए ड्रेस कोड लागू किया जा चुके हैं, उसे फॉलो न करने वालों को मंदिर दर्शन की अनुमति नहीं है।
जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन-
दरअसल मंदिर प्रशासन का कहना है की पूजा के समय लोग किसी भी तरह के कपड़े पहनकर आ जाते हैं। इसी को देखते हुए ड्रेस कोड जारी किया गया है। उनका कहना है कि मंदिर की पवित्रता को बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है और दुर्भाग्य से कुछ लोग दूसरों की धार्मिक भावनाओं की परवाह किए बिना मंदिर में प्रवेश कर लेते हैं। इसीलिए 1 जनवरी से ड्रेस कोड लागू किया जाएगा, इसके बाद से हाफ पैन्ट्स, शॉर्ट्स, स्कर्ट, स्लीवलेस ड्रेस पहनकर मंदिर में नहीं आ पाएंगे। जगन्नाथ पुरी मंदिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां पर जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन सदियों से किया जाता है। जिसमें विदेश से लोग जमकर हिस्सा लेते हैं। हिंदू धर्म में चार धाम को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है, जिसमें जगन्नाथ पुरी मंदिर भी शामिल है।
जगन्नाथ पुरी मंदिर-
ऐसा कहा जाता है कि जगन्नाथ पुरी मंदिर में कई विशेषता है जो कि इसे अलग बनाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर से जुड़ी कई कहानियां जो सदियें से आज तक एक रहस्य बनी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर के ऊपर से कोई भी विमान नहीं उड़ सकता और पक्षी भी यहां उड़ने से डरते हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान विष्णु जब चार धाम पर बसे तो सबसे पहले बद्रीनाथ पहुंचे। जहां उन्होंने स्नान किया. उसके बाद वह गुजरात चले गए, उन्होंने वहां कपड़े बदले आगे भगवान ओडिसा के पुरी पहुंचे। जहां उन्होंने खाना खाया और आखिर में भगवान विष्णु तमिलनाडु के रामेश्वरम पहुंचे जहां उन्होंने आराम किया। हिंदू धर्म में धरती का बैकुंठ जगन्नाथ पुरी को समझा जाता है।
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पंचतंत्व में विलीन-
यहां पर भगवान श्री कृष्ण, विष्णु और बलराम जी की रोज विधि विधान से पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु के शरीर त्याग करने के बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया, तब शरीर के एक हिस्से को छोड़कर उनका सारा शरीर पंचतंत्व में विलीन हो गया था। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का दिल उस दौरान धड़क रहा था जो आज भी भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा के अंदर बसा हुआ है। जगन्नाथ पुरी में मिलने वाले प्रसाद और महाप्रसाद कहा जाता है। इसके पीछे एक खास विधि का इस्तेमाल होता है। इस प्रसाद की खासियत यह है कि इस मिट्टी के बर्तन में बनाया जाता है।
महाप्रसाद-
इसके अलावा प्रसाद को गैस पर नहीं बल्कि लकड़ी के चूल्हे पर तैयार किया जाता है। जब प्रसाद बनता है तो एक के ऊपर एक बर्तन रखा जाता है। माना जाता है कि जगन्नाथ पुरी की सुरक्षा गरुड़ पक्षी करते हैं, इनको पक्षियों का राजा भी कहा जाता है। यही वजह है कि अन्य पक्षी उसके ऊपर से आने से डरते हैं। इसकी दिलचस्प बात यह है की पूरी के ऊपर एक आठ धातु का चक्र है, जिसे नील चक्र के रूप में जाना जाता है। मान्यताओं के मुताबिक, चक्र मंदिर के ऊपर से उड़ने वाले जहाज में कई रुकावटें पैदा कर सकता है।
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