Bihar Caste Census Data: जातिगत जनगणना के आंकड़े बिहार में जारी कर दिए गए हैं। नीतीश सरकार की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में अन्य पिछड़ा वर्ग यानी कि ओबीसी और अत्यंत पिछड़ा वर्ग एबीसी राज्य की कुल आबादी से लगभग 63% है। इसमें 36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा, 27 फ़ीसदी पिछड़ा वर्ग, 1.68 फीसदी अनुसूचित जनजाति, 19 प्रतिशत अनुसूचित जाति की संख्या है। रिपोर्ट जारी करने के बाद बिहार में सीआरसी घमासान शुरू हो गया है। कांग्रेस, लालू यादव, आम आदमी पार्टी और भाजपा समेत तमाम दलों के नेताओं के रिएक्शन आ रहे हैं।
विधानसभा में जानकारी-
सीएम नीतीश कुमार का कहना है कि बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना की शीघ्र ही विधानसभा में जानकारी दी जाएगी। नीतीश ने ट्वीट कर कहा है कि आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई जाति। आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था। बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की सहमति से निर्णय लिया गया था।
जाति आधारित गणना-
उनका कहना है कि राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना करवाई है। इस जाति आधारित गणना सिर्फ जाति के बारे में पता लगाया है। बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति के भी बारे में पता चला है। किसी के आधार पर सभी के विकास और उत्थान के लिए कार्यवाही की जाएगी। बिहार में हुई जाति आधारित गणना को लेकर शीघ्र ही बिहार विधानसभा के उन्हें नो दलों में की बैठक होगी और जाति आधारित गणना के परिणामों से और उन्हें अवगत कराया जाएगा।
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35 साल की रिपोर्ट-
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का कहना है की ये धूल झोंकने वाली जाति गणना है, गरीबों के मन में भ्रम पैदा करने के लिए इस सर्वे को करवाया गया है। आज हम चांद पर जा रहे हैं और नीतीश और लालू जाति गणना पेश कर रहे हैं। 35 साल की रिपोर्ट कौन देगा लालू नीतीश दोनों मिलकर भ्रम फैला रहे हैं। यह जातिगत गणना हास्य पद है और उन्होंने यह भी कहा कि लालू नीतीश को बताना चाहिए, कि उन्होंने कितने गरीबों को रोजगार दिया है।
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