Bank Manager Suicide: महाराष्ट्र के बारामती कस्बे में गुरुवार की देर रात एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी ने अपनी जान दे दी। पुलिस के अनुसार घटनास्थल पर मिले एक लेटर में काम से जुड़े तनाव के बारे में लिखा गया था। शिवशंकर मित्रा नामक यह व्यक्ति अपनी उम्र के चालीसवें दशक के अंत में था और एक राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा में मैनैजर था। हाल ही में उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों और काम के अत्यधिक बोझ के कारण अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। वर्तमान में वे अपनी नोटिस अवधि पूरी कर रहे थे।
Bank Manager Suicide उस रात क्या हुआ था-
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना कार्यालयीन समय समाप्त होने के बाद घटी। बारामती थाने के एक अधिकारी ने बताया, कि मित्रा ने सभी कर्मचारियों से कहा था, कि वह सभ अपने घर जा सकते हैं। क्योंकि वह खुद बैंक बंद कर देंगे। इसके बाद गार्ड भी अपने घर चला गया था। इससे पहले मित्रा ने अपने किसी सहयोगी से रस्सी लाने को कहा था। जिसके बाद सीसीटीवी की जांच से पता चला, कि उन्होंने बैंक के अंदर ही रात 10 बजे के आसपास फांसी लगा ली थी। यह जानकारी बेहद दिल दहला देने वाली है, कि एक व्यक्ति अपने कार्यस्थल पर ही इतना असहाय महसूस करे।
पत्नी की चिंता और दर्दनाक खोज-
जब मित्रा देर रात तक घर नहीं लौटे और फोन कॉल का जवाब भी नहीं दिया, तो उनकी पत्नी चिंतित हो गईं। आधी रात के समय वह बैंक शाखा तक पहुंची। अभी भी बैंक की लाइटें जली हुई थीं, लेकिन कोई जवाब नहीं दे रहा था। जिसके बाद उन्होंने तुरंत बैंक के कर्मचारियों को सूचना दी। जब बैंक का दरवाजा खोला गया तो अंदर का नजारा सभी को हिला कर रख देने वाला था। मित्रा को फांसी लगी हुई अवस्था में पाया गया। यह एक पारिवारिक त्रासदी थी।
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सुसाइड नोट में छुपी दास्तान-
घटनास्थल से बरामद किए गए पत्र में कार्यक्षेत्रीय दबाव को इस कदम का मुख्य कारण बताया गया था। पुलिस ने स्पष्ट किया है, कि इस नोट में किसी व्यक्ति विशेष को दोषी नहीं ठहराया गया है। यह तथ्य और भी चिंताजनक है क्योंकि यह दिखाता है कि समस्या व्यक्तिगत नहीं बल्कि व्यवस्थागत है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, मित्रा चिकित्सकीय उपचार भी करा रहे थे। यह संकेत देता है, कि वे अपनी मानसिक और शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे थे। दुर्भाग्य से आज के प्रतिस्पर्धी माहौल में कई कामकाजी लोग इसी तरह के दबाव का सामना कर रहे हैं।
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