Anjana Om Kashyap: लखनऊ की एक अदालत ने मशहूर टीवी एंकर अंजना ओम कश्यप के खिलाफ शिकायत मामला दर्ज करने का आदेश दिया है। यह फैसला 14 अगस्त को प्रसारित हुए, उनके शो ब्लैक एंड व्हाइट के एक एपिसोड को लेकर लिया गया। इस एपिसोड ने काफी विवाद खड़ा कर दिया था, क्योंकि इसमें पूछा गया था। भारत के बंटवारे का मकसद क्यों पूरा नहीं हुआ?
अमिताभ ठाकुर ने उठाई आवाज-
इस मामले को अदालत तक पहुंचाने वाले हैं, अमिताभ ठाकुर, जो कभी भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी रह चुके हैं और वर्तमान में आज़ाद अधिकार सेना नाम की राजनीतिक पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं। ठाकुर का आरोप है, कि यह प्रोग्राम “पूरी तरह अनुचित था।
पुलिस से अदालत तक का सफर-
अमिताभ ठाकुर ने सबसे पहले गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उनकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की। इसके बाद उन्होंने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया। अदालत ने उनकी याचिका पर संज्ञान लेते हुए, अंजना ओम कश्यप के खिलाफ शिकायत मामला शुरू करने का आदेश दिया।
धार्मिक समुदायों में दरार डालने का आरोप-
याचिका में कहा गया है, कि इस शो को इस तरह से डिज़ाइन किया गया, जिससे देश के दो बड़े धार्मिक समुदायों के बीच विभाजन की भावना भड़क सकती है। ठाकुर ने यह भी कहा, कि इस तरह के प्रोग्राम राष्ट्रीय एकता के खिलाफ हैं और समाज में अशांति फैला सकते हैं।
शो का विवादित सोशल मीडिया पोस्ट-
कानूनी खबरों के मुताबिक, यह एपिसोड चैनल के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भी शेयर किया गया था। उस पोस्ट में लिखा था-
4 करोड़ मुसलमानों में से सिर्फ 96 लाख पाकिस्तान क्यों गए? भारत के बंटवारे का मकसद क्यों पूरा नहीं हुआ? ठाकुर का कहना है, कि इस सवाल का सीधा असर समाज पर पड़ सकता है और कट्टर सोच वाले लोग इसे इतिहास सुधारने के बहाने के रूप में ले सकते हैं।
कानून के किन धाराओं का हवाला दिया गया-
अमिताभ ठाकुर ने अपनी याचिका में कहा, कि यह प्रोग्राम भारतीय दंड संहिता (अब भारतीय न्याय संहिता) की कई धाराओं का उल्लंघन करता है। इनमें धार्मिक समुदायों के बीच नफ़रत फैलाना, सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना और राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुँचाना शामिल है। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस शो से सार्वजनिक व्यवस्था भंग होने की आशंका है।
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समाज में उठ रहे सवाल-
यह मामला सिर्फ अंजना ओम कश्यप या उनके शो का नहीं है, बल्कि एक बड़े सवाल की ओर इशारा करता है, क्या मीडिया की आज़ादी का मतलब यह है, कि वह किसी भी संवेदनशील विषय को किसी भी अंदाज़ में प्रस्तुत कर सकती है?
समाज का एक वर्ग मानता है, कि पत्रकारिता का मकसद सच्चाई दिखाना है, लेकिन उस सच्चाई को इस तरह परोसना चाहिए, जिससे जनता के बीच नफ़रत और बंटवारा न फैले।
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