Kantara Chapter 1: ऋषभ शेट्टी की फिल्म ‘कंतारा’ सिर्फ एक मूवी नहीं थी। यह तुलु नाडु की उस परंपरा की कहानी थी, जिसे देश के ज्यादातर लोगों ने कभी देखा ही नहीं था। सिर्फ 15 करोड़ रुपये में बनी यह कन्नड़ फिल्म 2022 में आई थी और लोगों को बहुत पसंद आई। इस फिल्म ने पंजुर्ली और गुलिगा नाम के दो देवताओं की दुनिया दिखाई, जो तुलु नाडु के लोगों के लिए बहुत खास हैं।
पंजुर्ली और गुलिगा कौन हैं?
अगर आपने कंतारा देखी है तो आपने इन दो नामों को जरूर सुना होगा। पंजुर्ली एक रक्षक देवता हैं जो सही और गलत के बीच न्याय करते हैं। इन्हें सूअर के चेहरे से दिखाया जाता है और माना जाता है कि ये भगवान विष्णु का अवतार हैं। शिव-पार्वती ने भी इन्हें आशीर्वाद दिया है।
गुलिगा दूसरे देवता हैं जो बुरी ताकतों से लोगों की रक्षा करते हैं। कहानी है कि गुलिगा का जन्म देवी पार्वती की राख में पड़े एक पत्थर से हुआ था। लेकिन इनकी भूख और गुस्सा इतना ज्यादा था कि भगवान विष्णु ने इन्हें श्राप दे दिया। तुलु नाडु के लोग दोनों देवताओं की पूजा साथ में करते हैं। मैंगलोर और आसपास के इलाकों में आज भी कई परिवार इनकी पूजा करते हैं।
भूत कोला क्या होता है?
भूत कोला एक खास तरह का धार्मिक कार्यक्रम है जो दक्षिण कर्नाटक और उडुपी में होता है। यह दिसंबर से जुलाई के बीच किया जाता है। लोग अपने घर के बाहर आंगन में इसे आयोजित करते हैं। यह सिर्फ पूजा नहीं है, बल्कि इसमें लोग अपनी परेशानियां बताते हैं और समाधान मांगते हैं।
इस परंपरा को कुछ खास समुदाय के लोग ही कर सकते हैं। नालिके, पम्बाडा और पारवा जैसी कम्युनिटी के लोगों को ही देवता की आत्मा को अपने शरीर में लाने का हक मिला है। कंतारा में ऋषभ शेट्टी के किरदार शिव को भी यह शक्ति पाने के लिए कई मुश्किल परीक्षाओं से गुजरना पड़ा था।
क्या सच में भगवान शरीर में आते हैं?
कंतारा के आखिरी सीन में ऋषभ शेट्टी का डांस देखकर सबको हैरानी हुई थी। वो इतनी तेजी से एक जगह से दूसरी जगह कूद रहे थे कि लगता था सच में कोई दैवीय शक्ति है। जिन लोगों ने असली भूत कोला देखा है, उन्हें यह बिल्कुल असली लगा।
भूत कोला में जो व्यक्ति देवता की आत्मा को लाता है, वो एक खास तरीके से गायब होने का एक्ट भी करता है। फिल्म में इसे थोड़ा ड्रामेटिक तरीके से दिखाया गया जहां आत्मा गांव वालों को परेशान करने वालों को सजा देती है। लेकिन असली भूत कोला में यह ज्यादा बैलेंस होता है। लोग अपनी प्रोबलम बताते हैं और देवता के माध्यम से सलाह मिलती है।
फिल्म में दिखाया गया सामाजिक मुद्दा-
कंतारा ने एक ज़रुरी बात भी उठाई। पंजुर्ली और भगवान विष्णु के वराह अवतार में सिमिलैरिटी है, लेकिन हमारे समाज में इन्हें अलग तरीके से देखा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि पंजुर्ली को मुख्य रूप से लोअर कास्ट के लोग पूजते हैं, जबकि वराह अवतार को अपर कास्ट। फिल्म ने इस सोशल डिवाइड्स को बहुत सूक्ष्मता से दिखाया।
कंतारा चैप्टर 1 में गुलिगा के अलग-अलग रूप-
जब कंतारा चैप्टर 1 आई, तो इसमें गुलिगा के कई रूप दिखाए गए। फिल्म में बर्ने नाम का अवतार अलग-अगल रुप लेता है। रुद्र गुलिगा जो अन्याय की सजा देता है, अग्नि गुलिगा जो आग का रूप है, राजा गुलिगा जो न्याय से जुड़ा है, और राहु गुलिगा जो बहुत खतरनाक है।
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सबसे ताकतवर पल तब आता है जब बुराई को बिना छुए सजा देनी होती है। तब बर्ने चावुंडी गुलिगा का रूप लेता है जो देवी चामुंडी से कनेक्टिड है। यह सब देखकर ऑडियंस को तुलु नाडु की परंपराओं की गहराई का पता चलता है।
कंतारा चैप्टर 1 में तो गुलिगा के फोर्म्स दिखाए गए, लेकिन गायब होने की असली कहानी कंतारा चैप्टर 2 में बताई जाएगी। यह फ्रैंचाइसी का तीसरा पार्ट होगा। कंतारा चैप्टर 1 में जयराम, गुलशन देवैया और रुक्मिणी वसंत भी हैं। यह फिल्म 2 अक्टूबर को रिलिज़ हुई थी।
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