Shahi Idgah Masjid Case: गुरुवार को शाही ईदगाह प्रबंध समिति के वकील ने न्यायालय में दलील दी की मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि से सटे मस्जिद को हटाने की मांग करने वाला मुकदमा परिसीमा कानून द्वारा वर्जित है। परिसीमा कानून कानूनी उपाय खोजने के लिए एक विशिष्ट समय अवधि निर्धारित करता है। मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश की गई, तसलीमा अजीज अहमद ने अदालत को यह बताया कि इस मामले में दोनों पक्षों ने 12 अक्टूबर 1968 को समझौता किया था, जिसकी पुष्टि 1976 में तय किए गए एक नागरिक मुकदमे में की गई थी।
समझौते को चुनौती-
उन्होंने यह अदालत से कहा कि किसी भी समझौते को चुनौती देने की सीमा 3 साल की है। लेकिन मुकदमा 2020 में ही दायर किया गया था और इस प्रकार वर्तमान मुकदमा सीमा कानून द्वारा वर्जित है। उच्च न्यायालय को यह भी बताया गया की शाही ईदगाह की संरचना को हटाने के के साथ-साथ मंदिर की बहाली और स्थाई निषाद भाग्य के लिए मुकदमा दायर किया गया है।
मस्जिद की संरचना-
उन्होंने कहा कि प्रार्थना से पता चलता है की मस्जिद की संरचना वहां है और इसका प्रबंधन समिति के पास है। उन्होंने कहा कि इस तरह संपत्ति पर सवाल विवाद उठाया गया है और इस प्रकार अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे। ऐसे में वक्त न्यायाधिकरण को मामले की सुनवाई का अधिकार है नही है।
उच्च न्यायालय-
सिविल कोर्ट की दलीलों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने शाही मस्जिद को हटाने की मांग करने वाले मुकदमे की स्थिरता से संबंध में याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 13 मार्च तय कर दी। इसके बाद से हिंदू पक्ष का दावा है कि यह कटरा केशव देव की 13.37 एकड़ भूमि पर बनाई गई है। पिछले साल उच्च न्यायालय ने श्री कृष्ण जन्मभूमि, शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से संबंधित सभी 15 मामलों में अपने पक्ष स्थानांतरित कर लिया था।
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अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण
14 दिसंबर 2023 को उच्च न्यायालय में शाही ईद का परिसर की अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और मस्जिद परिषद के सर्वेक्षण की निगरानी के लिए एक वकील की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की गई थी। जिसके बारे में याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि इसमें संकेत है जो की बताते हैं कि यह एक मस्जिद, एक बार हिंदू मंदिर था। इसके बाद इस आदेश को मस्जिद प्रबंधन समिति में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी।
जिसमें श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे मस्जिद परिसर सर्वेक्षण के संबंध में 14 दिसंबर 2023 के आदेश पर रोक लगा दिए। हालांकि उच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के 14 दिसंबर के आदेश के कार्यानवन पर रोक लगा दी। लेकिन शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत मुकदमे की स्थिरता उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही जारी रहेगी।
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