Earbuds Side Effects
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    Earbuds Side Effects: आजकल हर किसी के कान में ईयरबड्स लगे नजर आते हैं। चाहे ऑफिस जाते वक्त हों, जिम में एक्सरसाइज करते समय, या फिर घर पर काम करते हुए, ये छोटे से डिवाइस हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, कि पूरे दिन ईयरबड्स लगाए रखना आपकी त्वचा और कानों के लिए खतरनाक हो सकता है? एस्टर व्हाइटफील्ड हॉस्पिटल की डर्मेटोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. प्रियंका कुरी ने इस मुद्दे पर वैज्ञानिक नजरिए से रोशनी डाली है और बताया है, कि कैसे ईयरबड्स का लंबे समय तक इस्तेमाल त्वचा संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकता है।

    ईयरबड्स से क्या-क्या हो सकता है नुकसान-

    डॉ. कुरी के मुताबिक, ईयरबड्स के अत्यधिक इस्तेमाल से कई तरह की स्किन प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। सबसे आम समस्या है एक्ने मैकेनिका, जिसे आम भाषा में ईयर एक्ने भी कहते हैं। जब आप घंटों तक ईयरबड्स लगाए रखते हैं, तो लगातार दबाव, रगड़ और पसीने के कारण कानों के आसपास के पोर्स बंद हो जाते हैं। इससे छोटे-छोटे पिंपल्स और दाने निकलने लगते हैं। यह बिल्कुल वैसी ही स्थिति है, जैसी एथलीट्स को टाइट हेलमेट या स्ट्रैप पहनने से होती है।

    दूसरी बड़ी समस्या है, एलर्जिक कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस। कई ईयरबड्स में प्लास्टिक, गोंद, मेटल और दूसरे केमिकल्स होते हैं, जो त्वचा पर एलर्जी का कारण बन सकते हैं। इससे कानों के आसपास लाली, खुजली, पपड़ी जमना या छाले हो सकते हैं। डर्मेटोलॉजी की रिसर्च में पैच टेस्ट के जरिए ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां ईयर डिवाइस से एलर्जिक रिएक्शन की पुष्टि हुई है।

    इन्फेक्शन का भी रहता है खतरा-

    सबसे गंभीर समस्या है इन्फेक्शन, जो बैक्टीरियल या फंगल दोनों तरह का हो सकता है। खासकर इन-ईयर टाइप के ईयरबड्स कान के अंदर एक गर्म और नम वातावरण बना देते हैं। मॉनसून या गर्मियों में जब नमी ज्यादा होती है, तो यह बैक्टीरिया और फंगस के पनपने के लिए परफेक्ट जगह बन जाती है। स्टडीज बताती हैं, कि अलग-अलग लोगों के ईयरबड्स में बैक्टीरिया और फंगस के अलग-अलग पैटर्न मिलते हैं। इससे ओटाइटिस एक्सटर्ना यानी बाहरी कान का इन्फेक्शन हो सकता है, या फिर मौजूदा पिंपल्स में इन्फेक्शन फैल सकता है।

    इसके अलावा गंदगी और पसीने से भी इरिटेशन होती है। जब आप गंदे ईयरबड्स को दोबारा कानों में लगाते हैं, तो उन पर जमा धूल, सीबम यानी स्किन ऑयल, हेयर स्प्रे, परफ्यूम के अवशेष और मृत त्वचा की कोशिकाएं वापस आपकी स्किन पर आ जाती हैं। इससे पोर्स ब्लॉक होने और इरिटेशन का खतरा दोगुना हो जाता है।

    ऐसा क्यों होता है समझिए-

    हमारी त्वचा पर छोटे-छोटे बालों के रोम और ऑयल ग्लैंड्स होते हैं। जब टाइट फिटिंग वाले ईयरबड्स लगातार रगड़ते हैं, साथ ही गर्मी और नमी फंसी रहती है, तो ऑयल और मृत त्वचा इकट्ठा होने लगती है और बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। इससे सूजन वाले दाने निकल आते हैं। अगर किसी को किसी खास मैटेरियल से एलर्जी है, तो थोड़े से संपर्क से भी इम्यून सिस्टम रिएक्ट करने लगता है और डर्मेटाइटिस काफी गंभीर और लंबे समय तक रहने वाली हो जाती है। खासकर बारिश के मौसम में जब कान का हिस्सा गर्म और नम रहता है, तो त्वचा पर मौजूद माइक्रोब्स जरूरत से ज्यादा बढ़ जाते हैं और इन्फेक्शन का कारण बनते हैं।

    किन लोगों को ज्यादा खतरा रहता है-

    जो लोग बिना ब्रेक लिए घंटों तक इन-ईयर बड्स पहने रहते हैं, जैसे कि फुल टाइम ऑफिस वर्कर्स, रोजाना लंबी यात्रा करने वाले या गेमर्स, उन्हें सबसे ज्यादा दिक्कत हो सकती है। जो लोग एक्सरसाइज के दौरान ईयरबड्स पहनते हैं और बहुत पसीना बहाते हैं, उन्हें भी यह समस्या होती है। सेंसिटिव स्किन, एक्जिमा या कॉन्टैक्ट एलर्जी वाले लोगों को ज्यादा सावधान रहना चाहिए। जो लोग अपने ईयरबड्स नियमित रूप से साफ नहीं करते या सस्ते, अनटेस्टेड ईयरबड्स इस्तेमाल करते हैं, उनमें भी यह खतरा बना रहता है। नमी के मौसम में जब मॉइस्चर फंसा रहता है, तो इन्फेक्शन के मामले और बढ़ जाते हैं।

    अभी से करें ये आसान उपाय-

    सबसे पहली बात, लगातार घंटों तक ईयरबड्स न पहनें। जहां तक संभव हो, हर साठ से नब्बे मिनट में ईयरबड्स निकाल लें और अपने कानों को सांस लेने का मौका दें। रोजाना अपने ईयरबड्स को साफ करें। मैन्युफैक्चरर के निर्देशों के अनुसार, टिप्स को अल्कोहल स्वैब या हल्के साबुन और पानी से पोंछें और सिलिकॉन टिप्स को नियमित रूप से बदलते रहें।

    अगर इन-ईयर टिप्स से इरिटेशन हो रही है, तो ओवर-द-ईयर या ओपन-बैक हेडफोन्स का इस्तेमाल करें जो फंसी हुई नमी को खत्म करते हैं और रगड़ कम करते हैं। भारी बारिश के दौरान या बहुत पसीना आने के बाद बिना साफ किए ईयरबड्स न लगाएं, क्योंकि नमी इन्फेक्शन को बढ़ावा देती है। अगर लगातार लाल, खुजली वाली और पपड़ीदार त्वचा दिखे, तो तुरंत डिवाइस का इस्तेमाल बंद करें और डर्मेटोलॉजिस्ट से संपर्क करें। पैच टेस्टिंग से सटीक एलर्जेन का पता लगाया जा सकता है।

    क्वालिटी प्रोडक्ट्स चुनें-

    सस्ते नकली ईयरबड्स में अघोषित मेटल या केमिकल्स हो सकते हैं, जो डर्मेटाइटिस का कारण बन सकते हैं। ऐसे ब्रांड्स चुनें, जो अपने प्रोडक्ट में इस्तेमाल हुई मैटेरियल्स के बारे में पारदर्शी हों। थोड़ा ज्यादा खर्च करके अच्छी क्वालिटी के ईयरबड्स खरीदना आपकी स्किन हेल्थ के लिए एक अच्छा इन्वेस्टमेंट है।

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    डॉक्टर से कब मिलना जरूरी है-

    अगर कान में दर्द बर्दाश्त से बाहर हो, कान से पस निकलने लगे, इन्फेक्शन फैल जाए, खून आए, या फिर ईयरबड्स हटाने और कुछ दिनों तक हल्का केयर ट्रीटमेंट देने के बाद भी स्थिति में सुधार न हो, तो बिना देर किए डॉक्टर को दिखाना जरूरी है। बाहरी कान के इन्फेक्शन और एलर्जिक डर्मेटाइटिस दोनों का इलाज टॉपिकल और ओरल दवाओं से किया जा सकता है।

    ईयरबड्स खराब नहीं हैं, बल्कि वे काफी उपयोगी हैं। लेकिन अगर आप पूरे दिन बिना ब्रेक लिए या बिना सफाई किए इन्हें पहने रखते हैं, तो आप खुद ही अपने कानों को बैक्टीरिया के लिए परफेक्ट ब्रीडिंग ग्राउंड और त्वचा को रगड़ से डैमेज होने के लिए तैयार कर रहे हैं। थोड़ी सी केयर जैसे कि क्लीनिंग, ब्रेक लेना और स्टाइल चेंज करना आपके कानों को कम्फर्टेबल और त्वचा को दाग-धब्बों से मुक्त रख सकता है। याद रखें, आपकी सेहत किसी भी गैजेट से ज्यादा जरूरी है।

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