Coldest Place on Earth: लद्दाख के कारगिल जिले में ऊंचे पहाड़ों और बर्फ की अनंत चादरों के बीच बसा है द्रास, एक ऐसा हिमालयी गांव जो दुनिया की दूसरी सबसे ठंडी आबाद जगह के रूप में मशहूर है। श्रीनगर से कारगिल जाने वाले ज्यादातर यात्रियों के लिए द्रास सिर्फ एक साइनबोर्ड पर लिखा नाम है, जिसे वे गाड़ी से गुजरते हुए देखते हैं। लेकिन उन साहसी यात्रियों के लिए, जो एक एक्सट्रा बोर्ड की परवाह नहीं करते, यह बर्फीली और कठोर जगह असाधारण है और एक्सप्लोर करने लायक है। यहां की खूबसूरती और इतिहास दोनों ही आपको हमेशा के लिए याद रह जाएंगे।
जब ठंड में जम जाती है जिंदगी-
सर्दियों में द्रास का तापमान माइनस 40 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है। कल्पना कीजिए, इतनी ठंड में जहां सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है, वहां लोग रहते हैं, अपनी जिंदगी जीते हैं। यह शांत गांव सर्दियों में लगभग फ्रोज़न लैंडस्केप में बदल जाता है, जहां जीवन बेहद धीमी गति से चलता है। जोजी ला पर्वत दर्रे की तलहटी में स्थित द्रास भले ही सर्दियों में एक मुश्किल डेस्टिनेशन हो, लेकिन गर्मियों में यह एक फेमस ट्रैवल स्पॉट बन जाता है। यहीं से अमरनाथ गुफा और सुरू घाटी की ट्रेकिंग शुरू होती है, जो एडवेंचर लवर के लिए किसी सपने से कम नहीं।
इतिहास और शहादत की कहानी-
द्रास सिर्फ अपनी ठंड के लिए ही नहीं, बल्कि अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। यह गांव टाइगर हिल और तोलोलिंग व्यूपॉइंट्स के करीब है, जो कारगिल युद्ध के प्रमुख स्थल हैं। 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए इस युद्ध में हमारे वीर जवानों ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी। मनमन टॉप से आप LOC यानी नियंत्रण रेखा को भी देख सकते हैं, जो एक रोमांचकारी और भावुक अनुभव है।
ब्रिगेड वॉर गैलरी में कारगिल युद्ध से जुड़ी जानकारी और तस्वीरें देखने को मिलती हैं, जो आपको उस दौर में ले जाती हैं जब हमारे सैनिकों ने बेहद कठिन परिस्थितियों में दुश्मन का सामना किया था। गांव में स्थित द्रास वॉर मेमोरियल उन सभी शहीदों को समर्पित है जिन्होंने देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी। यह मोमोरियल केवल एक स्मारक नहीं है, बल्कि उन वीरों की वीरता और बलिदान की जीवंत कहानी है। हर साल विजय दिवस पर यहां श्रद्धांजलि दी जाती है और पूरा देश अपने जवानों को याद करता है।
रिमोट लेकिन बेहद खास-
यात्री अक्सर द्रास को रिमोट यानी दूर-दराज की जगह बताते हैं, लेकिन यही रिमोटनेस इसे यूनिक बनाती है। यहां आपको बड़े होटल या लग्ज़री रिज़ोर्ट्स नहीं मिलेंगे, लेकिन छोटे होमस्टेज़ में मिलने वाला गर्म बटर टी और पहाड़ी मेहमाननवाजी जम्मू-कश्मीर को ट्रैवल फेवरेट बनाती है। स्थानीय लोगों का सादगी भरा जीवन और उनकी गर्मजोशी आपके दिल को छू जाएगी। यहां रहकर आप महसूस करेंगे कि जिंदगी की असली खुशी छोटी-छोटी चीजों में है।
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कब और कैसे पहुंचें द्रास-
द्रास घूमने का सबसे अच्छा समय जून से सितंबर के बीच है, जब सड़कें खुली रहती हैं और घाटी अपनी सबसे हरी-भरी अवस्था में होती है। इस समय मौसम सुहावना रहता है और ट्रेकिंग के लिए आइडियल कंडीशन होती हैं। सर्दियों में जाने का इरादा केवल अनुभवी और साहसी यात्री ही बना सकते हैं, क्योंकि एक्सट्रिम वेदर कंडीशन और बंद रास्ते कई चुनौतियां पेश करते हैं।
द्रास पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट लेह में है, और सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जम्मू तवी है, जो श्रीनगर में स्थित है। इसके अलावा, श्रीनगर और कारगिल के बीच चलने वाली कई बस द्रास सेक्टर से होकर गुजरती हैं, तो आप रोड ट्रिप का भी मजा ले सकते हैं। रास्ते में आपको हिमालय की अद्भुत खूबसूरती और बदलते लैंडस्केप्स देखने को मिलेंगे।
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