Sheikh Hasina: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार को मौत की सजा सुनाई गई है। यह फैसला बांग्लादेश की अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (International Crimes Tribunal) द्वारा दिया गया, जो देश की घरेलू युद्ध-अपराध अदालत है। तीन जजों की बेंच ने माना, कि शेख हसीना सैकड़ों न्यायेतर हत्याओं के लिए जिम्मेदार हैं, जो कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा की गईं। पिछले साल सत्ता से हटाई गईं हसीना को छात्र प्रदर्शनों के हिंसक दमन से जुड़े मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है।
अदालत का फैसला और आरोप-
फैसला सुनाते हुए एक न्यायाधीश ने कहा, “शेख हसीना ने अपने उकसावे, आदेश और दंडात्मक कार्रवाई न करने से मानवता के खिलाफ अपराध किए हैं।” न्यायाधीशों ने यह भी कहा, कि यह “बिल्कुल स्पष्ट” है, कि उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को उकसाया और प्रदर्शनकारी छात्रों को मारने और खत्म करने का आदेश दिया।
अदालत में बताया गया, कि 2024 में हुए प्रदर्शनों के दौरान लगभग 1,400 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और करीब 25,000 लोग घायल हुए। यह संख्या बेहद चौंकाने वाली है और दिखाती है, कि हालात कितने गंभीर हो गए थे। हसीना पर पांच आरोप लगाए गए थे, जो मुख्य रूप से प्रदर्शनकारियों की हत्या को उकसाने और अशांति को दबाने के लिए घातक हथियारों, ड्रोन और हेलीकॉप्टरों के इस्तेमाल के आदेश देने से जुड़े थे।
हसीना की प्रतिक्रिया और भारत में निर्वासन-
शेख हसीना ने सभी आरोपों से इनकार किया है। वह फिलहाल भारत में स्व-निर्वासन में रह रही हैं, जहां वे पिछले साल भाग गई थीं। ढाका की अदालत में सुनवाई के दौरान वह मौजूद नहीं थीं। उनके वकीलों ने, जिन्होंने पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र के विशेष रिपोर्टर से अपील की थी, मुकदमे की आलोचना करते हुए कहा, कि “निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार और उचित प्रक्रिया की कमी को लेकर गंभीर चिंताएं हैं।”
यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि गहरा राजनीतिक भी है। हसीना दशकों से बांग्लादेश की राजनीति में प्रमुख चेहरा रही हैं और उनका परिवार देश की आजादी से जुड़ा हुआ है। लेकिन जब जनता ने उनके खिलाफ आवाज उठाई, तो स्थिति बदल गई।
छात्र आंदोलन से सत्ता का पतन-
यह सब एक शांतिपूर्ण छात्र आंदोलन से शुरू हुआ था। छात्र सिविल सर्विस नौकरियों में कोटा सिस्टम को लेकर विरोध कर रहे थे। धीरे-धीरे यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया और हसीना के इस्तीफे की मांग में बदल गया। मोड़ तब आया जब सरकार ने हिंसक कार्रवाई की, जिसमें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार 1,400 लोगों की मौत हो सकती है।
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न्याय या बदला?
यह फैसला कई सवाल खड़े करता है। क्या यह वास्तव में न्याय है या राजनीतिक बदले का एक रूप? हसीना के समर्थकों का कहना है, कि यह एक अनफेयर ट्रायल था, जिसमें उन्हें सही तरीके से बचाव का मौका नहीं मिला। दूसरी ओर, प्रदर्शनकारियों और उनके परिवारों को लगता है, कि आखिरकार उन्हें न्याय मिला है।
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