Airport Wheelchair
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    Airport Wheelchair: सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें किसी एयरपोर्ट पर व्हीलचेयर पर बैठे लोगों की लंबी कतारें दिख रही हैं। इस वीडियो ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है और भारतीय यात्रियों को चारों तरफ से नफरत का सामना करना पड़ रहा है। सोशल मीडिया यूज़र्स इसे एक नया स्कैम बता रहे हैं और कह रहे हैं, कि स्वस्थ लोग व्हीलचेयर का फायदा उठाकर प्रायोरिटी बोर्डिंग ले रहे हैं।

    क्या है पूरा मामला और कैसे शुरू हुआ विवाद-

    वायरल पोस्ट में दावा किया गया, कि एयर इंडिया ने बताया है, कि इंडिया-यूएस फ्लाइट्स पर करीब तीस प्रतिशत यात्री व्हीलचेयर की मांग करते हैं। पोस्ट के मुताबिक, इनमें से ज्यादातर लोग एकदम फिट हैं और सिर्फ प्रायोरिटी बोर्डिंग सिस्टम का फायदा उठाने के लिए व्हीलचेयर ले रहे हैं। नतीजा ये होता है, कि जिन लोगों को सच में व्हीलचेयर की जरूरत है, उन्हें नहीं मिल पाती। कनाडा से होने का दावा करने वाले एक एक्स अकाउंट ने एक और वीडियो शेयर किया जिसमें भारतीय यात्री एयरपोर्ट पर सभी व्हीलचेयर ले जाते दिख रहे हैं। पोस्ट में लिखा गया, कि अगर ये लोग एयरपोर्ट पर ऐसा कर रहे हैं, तो क्या हमारे देश की हेल्थकेयर सिस्टम में भी बुजुर्गों को ठग रहे होंगे।

    इस वीडियो पर तरह तरह की रिएक्शन्स आने लगीं। कुछ लोगों ने लिखा, कि अगर ये बोर्डिंग के लिए ऐसा करते हैं, तो सोचिए जब ये यहां आएंगे तब क्या क्या स्कैम करेंगे। भारतीय यात्रियों को लेकर नफरत भरी कमेंट्स सामने आने लगीं और पूरा मामला एक बड़े कॉन्ट्रोवर्सी में बदल गया।

    किरण मजूमदार शॉ का सुझाव और बैकलैश-

    इस वायरल वीडियो पर इंडियन एंटरप्रेन्योर किरण मजूमदार शॉ ने भी रिएक्ट किया और सुझाव दिया, कि एयरपोर्ट पर व्हीलचेयर के लिए चार्ज लगाया जाना चाहिए। उन्होंने लिखा, कि हर एयरपोर्ट पर पांच हजार रुपये अतिरिक्त चार्ज करना चाहिए तब पता चलेगा कि कितने जेन्युइन पैसेंजर्स हैं। लेकिन शॉ को इस बात के लिए काफी आलोचना झेलनी पड़ी। लोगों ने कहा कि वो इंडिया के खिलाफ नफरत को बढ़ावा दे रही हैं और उनका सुझाव उन लोगों के लिए बेहद इनकन्वीनिएंट होगा जो अपनी डिसेबिलिटी को फेक नहीं कर रहे बल्कि सच में मदद के जरूरतमंद हैं।

    बहुत से यूज़र्स ने ये भी पॉइंट आउट किया, कि इस बात का कोई प्रूफ नहीं है, कि वीडियो में दिख रहे सभी लोग फेक कर रहे थे। हो सकता है, कि उनमें से कई लोगों को वाकई में व्हीलचेयर की जरूरत हो।

    असली वजह क्या है भाषा की दिक्कत या कुछ और-

    विवाद के बीच कुछ लोगों ने एक और पहलू सामने रखा जो शायद सच के और करीब है। कई यूज़र्स ने समझाया कि ये सिर्फ चलने फिरने की बात नहीं है बल्कि पूरी प्रोसेस की बात है। ज्यादातर भारतीय माता पिता को इंग्लिश नहीं आती और उन्हें नहीं पता होता कि एयरपोर्ट पर कहां जाना है। ऐसे में उनके बच्चे उनके लिए व्हीलचेयर बुक कर देते हैं ताकि वो बिना किसी टेंशन के सिक्योरिटी क्लियरेंस, टर्मिनल चेंज और बैगेज कलेक्शन एरिया तक पहुंच सकें।

    ये एक्सप्लेनेशन काफी रीज़नेबल लगती है, क्योंकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट्स बहुत बड़े और कन्फ्यूज़िंग होते हैं। अगर किसी को भाषा नहीं आती और वो पहली बार विदेश जा रहा है तो उसके लिए ये पूरा एक्सपीरियंस बेहद डरावना हो सकता है। ऐसे में व्हीलचेयर सिर्फ फिज़िकल सपोर्ट नहीं बल्कि एक तरह की असिस्टेंस सर्विस बन जाती है जो बुजुर्ग यात्रियों को सही जगह पर पहुंचने में मदद करती है।

    दूसरा पक्ष सुने बिना जजमेंट क्यों-

    इस पूरे मामले में सबसे बड़ी दिक्कत ये है, कि बिना पूरी जानकारी के लोग जजमेंट दे रहे हैं। एक वीडियो देखकर ये मान लेना कि सभी भारतीय यात्री स्कैम कर रहे हैं बिल्कुल गलत है। हर पर्सन की अपनी परिस्थितियां होती हैं। किसी को दिल की बीमारी हो सकती है, किसी के घुटनों में दर्द हो सकता है, किसी को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। ये सारी चीजें बाहर से दिखाई नहीं देतीं लेकिन इनकी वजह से लंबी दूरी चलना मुश्किल हो जाता है।

    इसके अलावा भारत में बुजुर्गों का सम्मान करना और उनकी देखभाल करना हमारी संस्कृति का हिस्सा है। अगर बच्चे अपने माता पिता के लिए व्हीलचेयर अरेंज करते हैं ताकि उन्हें आराम मिले तो इसमें गलत क्या है। हर कल्चर अलग है और हमें दूसरों की परवाह और सम्मान को स्कैम समझने की बजाय समझने की कोशिश करनी चाहिए।

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    सोशल मीडिया पर नफरत फैलाना कितना सही-

    ये इंसिडेंट एक बार फिर दिखाता है, कि सोशल मीडिया पर किसी भी चीज को वायरल करना कितना आसान है और कैसे बिना वेरिफिकेशन के लोग अपनी राय बना लेते हैं। इस तरह की पोस्ट्स से सिर्फ नफरत फैलती है और पूरी कम्युनिटी को एक ही नजर से देखा जाने लगता है। एयर इंडिया या किसी एयरलाइन ने अगर कोई ऑफिशियल स्टेटमेंट दिया है, तो उसे कॉन्टेक्स्ट के साथ समझना चाहिए न कि सिर्फ हेडलाइन्स पढ़कर कन्क्लूज़न निकाल लेने चाहिए।

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