Delhi NCR Crackers
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    Delhi NCR Crackers: दिवाली के त्योहार से कुछ ही दिन पहले दिल्ली-NCR के लोगों के लिए एक राहत भरी खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ग्रीन यानी पर्यावरण के अनुकूल पटाखों की अस्थायी बिक्री और उपयोग की अनुमति दे दी है। यह फैसला उन कई याचिकाओं के बाद आया है ,जिनमें त्योहारों के दौरान इको-फ्रेंडली पटाखों के निर्माण और बिक्री की मांग की गई थी। हालांकि, कोर्ट ने इस अनुमति के साथ कई सख्त शर्तें भी लगाई हैं ताकि पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो।

    कब और कितनी देर फोड़ सकेंगे पटाखे?

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने साफ तौर पर कहा, कि ग्रीन पटाखों की बिक्री और उपयोग 18 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक की जाएगी। सिर्फ यही नहीं, पटाखे फोड़ने का समय भी तय कर दिया गया है – शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक। इस समय सीमा का पालन करना अनिवार्य है, वरना कार्रवाई हो सकती है। CJI गवई ने कहा, कि हमें संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा, जिसमें अधिकारियों और पटाखा उद्योग दोनों की चिंताओं को ध्यान में रखा जाए।

    ग्रीन पटाखे क्या हैं और क्यों खास?

    ग्रीन पटाखे वो होते हैं, जो पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं। इनमें हानिकारक रसायनों जैसे बेरियम, लिथियम, आर्सेनिक, एंटीमनी, लेड और मर्करी की मात्रा बहुत कम या नहीं के बराबर होती है। ये पटाखे National Environmental Engineering Research Institute (NEERI) और Petroleum and Explosives Safety Organisation (PESO) द्वारा अप्रूव होने चाहिए। इनकी पहचान के लिए QR कोड भी लगा होता है, जिससे असली और नकली पटाखों में फर्क किया जा सके।

    कोर्ट ने यह भी नोट किया, कि पारंपरिक पटाखे अक्सर तस्करी के जरिए दिल्ली-NCR में पहुंचते हैं और ये प्रदूषण में बड़ा योगदान देते हैं। CJI ने टिप्पणी करते हुए कहा, कि तस्करी से आने वाले पटाखे ग्रीन पटाखों से ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं, इसलिए हमें एक संतुलित अप्रोच लेनी होगी, जो संयम से अनुमति दे, लेकिन पर्यावरण से समझौता न करे।

    सख्त निगरानी और नियम-

    सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ अनुमति ही नहीं दी, बल्कि इसे लागू करने के लिए सख्त दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। पुलिस अधिकारियों को पूरे क्षेत्र में पैट्रोलिंग टीमें बनाने का आदेश दिया गया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि केवल QR कोड वाले ग्रीन पटाखे ही बेचे जा रहे हैं। रैंडम इंस्पैक्शन होंगी और नियम तोड़ने वालों को नोटिस भेजे जाएंगे।

    इसके अलावा, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर पटाखों की बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी गई है। यह कदम इसलिए उठाया गया है, क्योंकि ऑनलाइन मार्केट में नकली ग्रीन पटाखों की बिक्री को रोकना मुश्किल होता है। सिर्फ लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों और निर्माताओं के जरिए ही बिक्री की अनुमति है।

    नकली पटाखों पर लगाम-

    कोर्ट ने फेक ग्रीन पटाखे की बिक्री को लेकर गंभीर चिंता जताई। बहुत सारे पटाखे झूठे लेबल के साथ बेचे जाते हैं, जो असल में हानिकारक होते हैं। इसे रोकने के लिए कोर्ट ने सख्त टेस्टिंग और मॉनिटरिंग की सिफारिश की है। समय-समय पर इस्पैक्शन होंगी, जिनमें केमिकल लिमिट्स की जांच की जाएगी।

    अगर किसी मैन्यूपैक्चर या सेलर ने अनधिकृत उत्पादन किया या नकली पटाखे बेचे, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। इसमें लाइसेंस निलंबन और मैन्युफैक्चरिंग की जब्ती भी शामिल है। यह संदेश साफ है, कि कोई भी कानून से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

    2018 के फैसले से आगे का सफर-

    याद रहे कि 2018 से ही दिल्ली-NCR में ब्लैंकिट बैन लगा हुआ था। हालांकि, कोर्ट ने माना, कि इस पूर्ण प्रतिबंध का हवा की गुणवत्ता पर सीमित प्रभाव पड़ा, सिवाय COVID-19 लॉकडाउन के दौरान। तब हालात बेहतर हुए थे, क्योंकि लोग घरों में थे और गाड़ियां कम चल रही थीं।

    Designated Areas में ही होगा उपयोग-

    एक और महत्वपूर्ण बात यह है, कि पटाखे सिर्फ डेज़िगनेटिड एरिया में ही फोड़े जा सकते हैं। घनी आबादी वाले इलाकों, अस्पतालों, स्कूलों और धार्मिक स्थलों के पास पटाखे फोड़ना मना है। इसके अलावा, रिज़नल फेस्टिवल जैसे नरक चतुर्दशी के लिए टाइमिंग में अडजस्टमेंट की गई है, ताकि लोग अपनी परंपराओं को निभा सकें लेकिन जिम्मेदारी से।

    प्रदूषण निगरानी जरूरी-

    सुप्रीम कोर्ट ने Central Pollution Control Board और NCR के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को निर्देश दिया है, कि वे दिवाली के दौरान प्रदूषण के स्तर की निगरानी करें और पहले से रिपोर्ट जमा करें। इससे यह पता चलेगा कि ग्रीन पटाखों की अनुमति का असर क्या होता है और क्या यह अप्रोच सही है।

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    त्योहार और पर्यावरण में संतुलन-

    इस फैसले से साफ है, कि सुप्रीम कोर्ट त्योहारों की सांस्कृतिक अहमियत और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है। दिवाली हमारी परंपरा का अहम हिस्सा है और पटाखे इसकी रौनक बढ़ाते हैं। लेकिन साथ ही, हमें अपनी सेहत और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य का भी ख्याल रखना होगा।

    इस दिवाली, अगर आप पटाखे फोड़ना चाहते हैं, तो जिम्मेदारी से फोड़ें। सिर्फ QR कोड वाले ग्रीन पटाखे खरीदें, तय समय और जगह पर ही इस्तेमाल करें और अपने बच्चों को भी इसका महत्व समझाएं। आखिरकार, असली रोशनी तो वही है, जो किसी को नुकसान न पहुंचाए।

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