CP RadhaKrishnan: मंगलवार का दिन भारतीय राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जब एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत दर्ज की। 452 मत हासिल करके उन्होंने इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को पीछे छोड़ दिया, जिन्हें केवल 300 मत मिले। इस चुनाव में 15 मत अमान्य घोषित किए गए।
उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान काफी अच्छा रहा। कुल 788 सांसदों में से 767 ने अपना मत डाला, जो 98.20 प्रतिशत की उपस्थिति दर्शाता है। हालांकि, 13 सांसदों ने मतदान में भाग नहीं लिया। यह पद 21 जुलाई 2025 से खाली था, जब जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया था।
कौन हैं सीपी राधाकृष्णन-
चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन, जो सीपी राधाकृष्णन के नाम से प्रसिद्ध हैं, एक अनुभवी राजनेता हैं और फिलहाल महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में सेवा कर रहे हैं। 4 मई 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर में जन्मे राधाकृष्णन की राजनीतिक यात्रा बेहद प्रेरणादायक है।
मात्र 16 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में स्वयंसेवक के रूप में जुड़ने वाले राधाकृष्णन ने बाद में भारतीय जन संघ का साथ दिया। उन्होंने तूतीकोरिन के वीओ चिदंबरम कॉलेज से व्यावसायिक प्रबंधन में स्नातक की डिग्री हासिल की।
राजनीतिक सफर का महत्वपूर्ण मोड़-
राधाकृष्णन के राजनीतिक जीवन का असली परिवर्तन 1998 के कोयंबटूर बम धमाकों के बाद आया। उस समय उन्होंने कोयंबटूर लोकसभा सीट से चुनाव जीता और 1999 में फिर से विजयी हुए। संसद में रहते हुए, उन्होंने वस्त्र संबंधी संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष का पद संभाला।
अपने संसदीय करियर के दौरान उन्होंने 2004 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व किया और ताइवान जाने वाले पहले भारतीय संसदीय दल का हिस्सा बने। 2004 से 2007 तक तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के रूप में सेवा करते हुए, उन्होंने नदी जोड़ने, अस्पृश्यता उन्मूलन और समान नागरिक संहिता के लिए राज्य भर में 93 दिनों का और 19,000 किलोमीटर का रथयात्रा निकाला।
शासकीय पदों में उनकी सेवा-
2016 में उन्हें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के अंतर्गत अखिल भारतीय नारियल बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने रिकॉर्ड निर्यात आंकड़े हासिल करने में मदद की। राधाकृष्णन फरवरी 2023 से जुलाई 2024 तक झारखंड के राज्यपाल रहे। इस दौरान उन्हें तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उप-राज्यपाल की अतिरिक्त जिम्मेदारियां भी सौंपी गईं। 31 जुलाई 2024 को उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली।
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ऐतिहासिक उपलब्धि और राजनीतिक महत्व-
राधाकृष्णन दक्षिण भारत के पहले व्यक्ति हैं और उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकित होने वाले दूसरे अन्य पिछड़ा वर्गीय नेता हैं। कोंगू वेल्लाला गौंडर समुदाय से आने वाले राधाकृष्णन को एनडीए की एक रणनीतिक पसंद माना जा रहा है, खासकर तमिलनाडु में आने वाले चुनावों को देखते हुए।
यह नियुक्ति न केवल दक्षिण भारत के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को बढ़ाती है, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। राधाकृष्णन का लंबा राजनीतिक अनुभव और विभिन्न पदों पर उनकी सेवा, उन्हें इस महत्वपूर्ण संवैधानिक पद के लिए उपयुक्त बनाती है।
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