GST 2.0
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    GST 2.0: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स में एक बड़ा बदलाव की घोषणा की है, जो करोड़ों भारतीयों की जेब पर सीधा असर डालने वाला है। GST 2.0 नाम से शुरू होने वाली नई सिस्टम 22 सितंबर 2025 से लागू होगी और इसमें एक सिंपल टू-स्लैब स्ट्रक्चर होगा, जो आम लोगों के लिए समझना भी आसान होगा। इस बदलाव से घर की जरूरत का सामान काफी सस्ता हो जाएगा और हर महीने के बजट में फर्क दिखेगा।

    सबसे खास बात यह है, कि सरकार ने लग्जरी और सिन गुड्स के लिए 40 फीसदी का स्पेशल हाई टैक्स स्लैब बनाया है। इसका मतलब है, कि अमीरों के शौक के सामान महंगे होंगे।

    कौन से सामान होंगे 40% टैक्स में-

    नई GST 2.0 के तहत सभी तरह के एरेटेड वाटर, कार्बोनेटेड बेवरेजेज, कैफीनेटेड ड्रिंक्स और नॉन-अल्कोहलिक बेवरेजेज पर 40 फीसदी टैक्स लगेगा। इसमें कोल्ड ड्रिंक्स, एनर्जी ड्रिंक्स और फैंसी पानी शामिल हैं। 350cc से ज्यादा इंजन कैपेसिटी वाली मोटरसाइकिल भी इसी स्लैब में आएंगी। हेलीकॉप्टर और यॉट्स भी अब 40% कैटेगरी में होंगे।

    दिलचस्प बात यह है, कि पान मसाला, सिगरेट, गुटका, बीड़ी और तंबाकू प्रोडक्ट्स को 40% स्लैब में नहीं रखा गया है। ये पुराने GST रेट यानी 28% पर ही टैक्स होते रहेंगे, जब तक कि सभी पेंडिंग लोन्स और कंपेंसेशन पेमेंट्स क्लियर नहीं हो जाते।

    रोजमर्रा का सामान हुआ सस्ता-

    सरकार ने कई घरेलू जरूरत के सामान पर GST दरें घटाई हैं, जिससे दैनिक इस्तेमाल की चीजें ज्यादा किफायती हो गई हैं। हेयर ऑयल, टॉयलेट सोप, शैंपू, टूथब्रश और साइकिल पर अब सिर्फ 5% GST लगेगा जो पहले 18% था। यह बदलाव खासकर मिडिल क्लास फैमिलीज के लिए बेहद फायदेमंद है, जो इन चीजों पर हर महीने अच्छा-खासा पैसा खर्च करती हैं।

    बेसिक फूड आइटम्स जैसे दूध, पनीर और इंडियन ब्रेड को GST से पूरी तरह एक्जेम्प्ट कर दिया गया है। पहले इन चीजों पर 5% टैक्स लगता था, लेकिन GST 2.0 के तहत अब इन पर जीरो टैक्स होगा। पैकेज्ड फूड्स जैसे नमकीन, भुजिया, सॉसेस, पास्ता, कॉर्नफ्लेक्स, बटर और घी अब 5% स्लैब में आएंगे, जिससे कंज्यूमर्स के लिए ये सस्ते हो जाएंगे।

    हेल्थकेयर में भी राहत-

    हेल्थकेयर भी कम खर्चीला हो जाएगा। सरकार ने 33 जीवनरक्षक दवाओं से GST हटा दिया है, जिन पर पहले 12% टैक्स लगता था। यह उन मरीजों के लिए बहुत बड़ी राहत है, जो लंबी बीमारियों से जूझ रहे हैं और महंगी दवाएं खरीदने को मजबूर हैं। विजन करेक्शन के लिए इस्तेमाल होने वाले चश्मे और गॉगल्स पर अब सिर्फ 5% टैक्स लगेगा, जो पहले 28% था।

    ऑटोमोबाइल्स और हाउसिंग सेक्टर को फायदा-

    GST की इस ओवरहॉल से वाहनों और हाउसिंग सेक्टर में भी बदलाव हुए हैं। कंस्ट्रक्शन के लिए जरूरी सीमेंट की दर 28% से घटाकर 18% कर दी गई है। यह घर बनाने वालों और रियल एस्टेट डेवलपर्स दोनों के लिए अच्छी खबर है।

    छोटे वाहनों की दरें भी कट गई हैं। 350cc से कम इंजन वाली मोटरसाइकिल्स, थ्री-व्हीलर्स और स्मॉल कार्स पर अब 28% की जगह 18% GST लगेगा। बड़े वाहन जैसे बसें, ट्रक्स और एम्बुलेंसेज भी 18% स्लैब में आएंगे। ऑटो पार्ट्स, जिन पर पहले अलग-अलग रेट्स थे, अब यूनिफॉर्म 18% रेट पर टैक्स होंगे।

    2017 के बाद सबसे बड़ा बदलाव-

    ये बदलाव 2017 में GST के शुरू होने के बाद सबसे बड़ी रीस्ट्रक्चरिंग माने जा रहे हैं। लग्जरी और सिन गुड्स के लिए हायर टैक्स स्लैब बनाकर और एसेंशियल्स, हेल्थकेयर और हाउसिंग पर रेट्स कम करके सरकार का मकसद सिस्टम को सिंपल बनाना और हाउसहोल्ड्स के कॉस्ट्स कम करना है।

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    यह रिफॉर्म दिखाता है, कि सरकार आम लोगों की जरूरतों को समझते हुए, टैक्स स्ट्रक्चर को ज्यादा फेयर और प्रैक्टिकल बनाना चाहती है। खासकर कोविड के बाद जब लोगों की इनकम पर प्रेशर है, ऐसे में दैनिक जरूरत के सामान सस्ते होना एक बड़ी राहत है। इस नई सिस्टम से टैक्स कलेक्शन भी बेहतर होने की उम्मीद है, क्योंकि सिंपल स्ट्रक्चर से कंप्लायंस बढ़ेगी और टैक्स इवेशन कम होगी। ओवरऑल यह एक पॉजिटिव स्टेप है, जो इकॉनमी और आम लोगों दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

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