Ispace Resilience Lander Crash
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    Ispace Resilience Lander Crash: जापान की प्राइवेट स्पेस कंपनी ispace को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। कंपनी का दूसरा लूनर लैंडर ‘रेजिलिएंस’ चांद की सतह पर क्रैश हो गया। यह दो साल में कंपनी की दूसरी बड़ी असफलता है, जिसने स्पेस इंडस्ट्री में एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि प्राइवेट कंपनियों के लिए चांद पर लैंडिंग करना कितना चुनौतीपूर्ण है।

    स्पेसक्राफ्ट का टारगेट चांद के नॉर्दर्न हेमिस्फीयर में स्थित ‘सी ऑफ कोल्ड’ पर लैंड करना था। लेकिन टोक्यो में मिशन कंट्रोल का स्पेसक्राफ्ट के साथ कम्युनिकेशन और टेलीमेट्री कट गई। इसके बाद ispace ने कन्फर्म किया कि मिशन फेल हो गया है।

    कंपनी के फाउंडर और सीईओ ताकेशी हकामाडा ने कहा, “फिलहाल सक्सेसफुल लूनर लैंडिंग की कोई संभावना नहीं है। हमारी टॉप प्रायॉरिटी अब तक मिले टेलीमेट्री डेटा का तुरंत एनालिसिस करना और इसकी वजह पता लगाना है।”

    Ispace Resilience Lander Crash क्या गलत हुआ चांद पर उतरते समय?

    स्पेसक्राफ्ट के चांद पर क्रैश होने के कुछ घंटों बाद, ispace ने इनिशियल फाइंडिंग्स शेयर कीं, जो उन्हें क्रैश से ठीक पहले मिले डेटा से पता चली थीं। कंपनी के अनुसार, लैंडर ने 100 किलोमीटर की ऊंचाई से अपना डिसेंट फेज सफलतापूर्वक शुरू किया था और 20 किलोमीटर तक सब कुछ ठीक था।

    स्पेसक्राफ्ट ने 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर अपने इंजन को सफलतापूर्वक फायर किया और डिसेलेरेशन शुरू किया। लैंडर का एटीट्यूड लगभग वर्टिकल कन्फर्म हुआ था, लेकिन इसके बाद टेलीमेट्री लॉस्ट हो गई। शेड्यूल्ड लैंडिंग टाइम के बाद भी कोई डेटा नहीं मिला जो सक्सेसफुल लैंडिंग को इंडिकेट करे।

    इंजीनियर्स ने बाद में कन्फर्म किया कि लेजर रेंजफाइंडर, जो लूनर सरफेस तक की डिस्टेंस मेजर करता था, उसे वैलिड मेजरमेंट वैल्यूज पाने में डिले हुई। इसके रिजल्ट में लैंडर प्लान्ड लूनर लैंडिंग के लिए रिक्वायर्ड स्पीड तक डिसेलेरेट नहीं कर सका और हार्ड लैंडिंग हुई।

    Ispace Resilience Lander Crash रेजिलिएंस की पूरी जर्नी और मिशन डिटेल्स-

    रेजिलिएंस जनवरी 2025 में स्पेसएक्स फॉल्कन 9 रॉकेट के टॉप लॉन्च हुआ था। इसने लगभग पांच महीने चांद तक का सफर किया था, जिसमें फ्यूल-एफिशिएंट लो-एनर्जी ट्रांसफर ट्रेजेक्ट्री का यूज किया गया था। यह रूट थोड़ा स्लो होता है लेकिन इससे सिस्टम चेक्स और एडजस्टमेंट्स के लिए पर्याप्त समय मिलता है।

    स्पेसक्राफ्ट ने मई में लूनर ऑर्बिट में एंटर किया और मारे फ्रिजोरिस यानी ‘सी ऑफ कोल्ड’ को टारगेट किया। यह चांद के नॉर्दर्न हेमिस्फीयर में एक विशाल बेसाल्टिक प्लेन है जो अपने स्मूथ टेरेन और एक्सटेंडेड सनलाइट के लिए चुना गया था।

    लैंडिंग भारतीय समयानुसार रात 12:47 बजे शेड्यूल्ड थी। ग्लोबल ऑडिएंस ispace के लाइव ब्रॉडकास्ट को देख रहे थे और एक हिस्टोरिक अचीवमेंट के गवाह बनने की उम्मीद कर रहे थे।

    2023 की दुखद यादें वापस आईं-

    यह फेटल एंड 2023 की सोर मेमोरीज वापस लेकर आया है, जब कंपनी का पहला स्पेसक्राफ्ट हकुतो-आर राशिद रोवर के साथ क्रैश हो गया था। उस समय भी स्पेसक्राफ्ट ने सरफेस पर उतरते समय अनएक्सपेक्टेड एक्सेलेरेशन एक्सपीरिएंस किया था।

    यह दोनों इंसिडेंट्स प्राइवेट स्पेस कंपनियों के लिए चांद पर लैंडिंग की चुनौतियों को हाइलाइट करते हैं। चांद की सरफेस पर सॉफ्ट लैंडिंग एक्सट्रीमली कॉम्प्लेक्स है और इसमें परफेक्ट टाइमिंग, एक्यूरेट नेवीगेशन और रियल-टाइम एडजस्टमेंट्स की जरूरत होती है।

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    इंडस्ट्री पर इंपैक्ट और फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट्स-

    ispace की दो कंसिक्यूटिव फेलियर्स प्राइवेट स्पेस इंडस्ट्री के लिए एक रियलिटी चेक हैं। यह दिखाता है कि स्पेस एक्सप्लोरेशन अभी भी एक हाई-रिस्क व्यापार है, खासकर लूनर मिशन्स के केस में। हालांकि, यह फेलियर्स इंडस्ट्री को डिस्करेज नहीं करेंगी बल्कि बेहतर टेक्नोलॉजी और रिलायबिलिटी डेवलप करने को मोटिवेट करेंगी।

    अब ispace को अपने तीसरे मिशन की प्लानिंग में इन लेसन्स को इनकॉर्पोरेट करना होगा। कंपनी के पास अब दो मिशन्स का वैल्यूएबल डेटा है जो फ्यूचर में बेहतर रिजल्ट्स के लिए यूज हो सकता है।

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