Death Penalty For Corruption
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    Death Penalty For Corruption: चीन से आई एक खबर ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। चीन के पूर्व कृषि मंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में मौत की सजा सुना दी गई है। यह खबर सुनकर कई लोग कह रहे हैं, कि भारत में भी ऐसा कानून होना चाहिए। लेकिन क्या सच में यह समाधान है? आइए इस पूरे मामले को गहराई से समझते हैं।

    टैंक रेजियान को मिली मौत की सजा-

    टैंक रेजियान, जो चीन के कृषि मंत्री रह चुके हैं, को 28 सितंबर 2025 को डेथ पेनल्टी सुनाई गई। आरोप है, कि उन्होंने 2007 से लेकर 2024 तक लगभग 17 सालों में करीब ₹300 करोड़ की घूसखोरी की। यह रकम उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए विभिन्न तरीकों से जमा की थी। चीनी अदालत ने इस मामले में उन्हें दोषी पाया और सख्त से सख्त सजा यानी मौत की सजा का फैसला सुनाया।

    यह खबर जब भारत पहुंची तो सोशल मीडिया पर तूफान आ गया। लोग कहने लगे, कि भारत को भी ऐसे ही सख्त कानून की जरूरत है। कई लोगों ने यह तक कह दिया, कि अगर भारत में भी भ्रष्टाचार के लिए मौत की सजा का प्रावधान हो जाए, तो शायद हमारे नेता दो बार सोचेंगे घोटाला करने से पहले। लेकिन क्या वाकई यह इतना सिंपल है?

    चीन और नॉर्थ कोरिया में मौत की सजा कोई नई बात नहीं-

    अब यहां एक बात समझनी जरूरी है। चीन और नॉर्थ कोरिया जैसे डिक्टेटरशिप वाले तानाशाही देशों में भ्रष्टाचार के लिए मौत की सजा कोई एक्स्ट्राऑर्डिनरी या अचंभित कर देने वाली बात नहीं है। वहां यह कॉमन प्रैक्टिस है। हाई प्रोफाइल घूसखोरी के मामलों में मौत की सजा मिलती रहती है और पिछले कई सालों के अनगिनत उदाहरण मौजूद हैं।

    चीन में सरकार का कंट्रोल पूरी तरह से एब्सोल्यूट है। वहां की कम्युनिस्ट पार्टी जो फैसला ले ले, वही कानून बन जाता है। कोर्ट्स भी सरकार के इशारे पर काम करती हैं। इसलिए वहां मौत की सजा सुनाना कोई बड़ी बात नहीं है। यह एक तरह से डर दिखाने और अपनी पावर दिखाने का तरीका भी है। लेकिन सवाल यह है, कि क्या यह सिस्टम भारत जैसे डेमोक्रेटिक देश में काम करेगा?

    भारत में ऐसा कानून लागू हो तो क्या होगा?

    जब लोग कह रहे हैं, कि भारत में भी भ्रष्टाचार के लिए मौत की सजा होनी चाहिए, तो एक सवाल उठता है अगर ऐसा कानून आ गया तो क्या भारत के 90% नेता ऊपर नहीं चले जाएंगे? यह कोई मजाक नहीं है, यह हकीकत है। भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार इतना गहरा घुस चुका है, कि अगर सच में इस तरह का कानून बन जाए, तो संसद और विधानसभाएं खाली हो जाएंगी।

    भारत में ₹200-300 करोड़ के घोटाले तो छोटे माने जाते हैं। हजारों करोड़ के स्कैम हुए हैं इस देश में। 2जी स्कैम, कोल स्कैम, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, राफेल डील विवाद लिस्ट लंबी है और इन सबमें क्या हुआ? कुछ नेता जेल गए, कुछ महीने या साल रहे, फिर जमानत पर बाहर आ गए। पैसा वैसे का वैसा एंजॉय होता रहा।

    डेमोक्रेसी और डिक्टेटरशिप में फर्क-

    भारत एक डेमोक्रेटिक देश है, जहां इंडिपेंडेंट ज्यूडिशियरी है, फ्री मीडिया है और लोगों को आवाज उठाने का हक है। चीन में ऐसा कुछ नहीं है। वहां जो सरकार कहे वही होता है। मौत की सजा देना वहां आसान है, क्योंकि किसी को सवाल उठाने का हक नहीं है। लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। यहां हर फैसले पर सवाल उठाए जा सकते हैं, चैलेंज किए जा सकते हैं और जनता की राय मायने रखती है।

    अगर भारत में भ्रष्टाचार के लिए मौत की सजा का कानून बनाया जाए, तो इसका दुरुपयोग होने की संभावना बहुत ज्यादा है। राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को फंसाने के लिए इसका इस्तेमाल हो सकता है। झूठे केस बन सकते हैं और सबसे बड़ी बात, क्या सच में हम चाहते हैं, कि हमारा देश तानाशाही की तरफ बढ़े?

    असली समाधान क्या है?

    भ्रष्टाचार से लड़ने का तरीका मौत की सजा नहीं है, बल्कि मजबूत और पारदर्शी सिस्टम बनाना है। फास्ट ट्रैक कोर्ट्स, सख्त कानून, जल्द से जल्द सजा और सबसे जरूरी भ्रष्ट अधिकारियों की संपत्ति जब्त करना। अगर किसी नेता को पता हो, कि उसकी सारी कमाई और प्रॉपर्टी जब्त हो जाएगी और उसे लंबी जेल की सजा मिलेगी, तो वह दस बार सोचेगा भ्रष्टाचार करने से पहले।

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    इसके अलावा, जनता की जागरूकता भी जरूरी है। वोटर्स को यह समझना होगा, कि भ्रष्ट नेताओं को वोट देना मतलब अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारना है। जब तक हम लोग ₹500 लेकर वोट बेचते रहेंगे और जातिवाद-धर्मवाद के नाम पर भ्रष्ट नेताओं को चुनते रहेंगे, तब तक कोई भी कानून काम नहीं करेगा।

    टैंक रेजियान को मिली सजा चीन के सिस्टम का हिस्सा है, जो डर पर आधारित है। लेकिन भारत को अपना रास्ता खुद बनाना होगा, एक ऐसा रास्ता जो डेमोक्रेसी को बनाए रखते हुए भ्रष्टाचार से लड़ सके। मौत की सजा से ज्यादा जरूरी है, एक ऐसा सिस्टम जहां भ्रष्टाचार करना नामुमकिन हो जाए, ना कि सिर्फ खतरनाक।

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