Jewar Airport
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    Jewar Airport: नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट और उसके आसपास के क्षेत्र में ड्रोन या किसी भी प्रकार के मानवरहित हवाई वाहन (UAV) के उड़ान पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि यह निर्णय नागरिक उड्डयन मंत्रालय से प्राप्त सख्त निर्देशों के बाद लिया गया है। इसके साथ ही, नोएडा एयरपोर्ट को 'रेड ज़ोन' क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। जेवर एयरपोर्ट के इस मई से अपने पहले चरण के संचालन की शुरुआत करने की उम्मीद है।

    Jewar Airport सुरक्षा कारणों से लिया गया निर्णय-

    टाइम्स नाऊ के मुताबिक, अतिरिक्त डीसीपी मनीष कुमार मिश्रा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "नागरिक उड्डयन मंत्रालय, महानिदेशालय नागरिक उड्डयन और सुरक्षा एजेंसियों के निर्देशों के अनुसार नोएडा में स्थित हवाई अड्डे को सुरक्षा और हवाई क्षेत्र की निगरानी को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया है।"

    Jewar Airport सख्त कानूनी कार्रवाई की चेतावनी-

    यह ध्यान देने योग्य है कि हवाई अड्डे के ऊपर ड्रोन उड़ाने के लिए उचित अनुमति की आवश्यकता होगी। हालांकि, अगर कोई भी नियमों का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है, तो उस व्यक्ति को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण अधिनियम, 1934 के तहत दंड का सामना करना पड़ेगा।

    अधिकारी ने आगे कहा, "इस क्षेत्र में बिना अनुमति के ड्रोन उड़ाना भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण अधिनियम, 1934 और UAV संचालन के नियमों के तहत एक दंडनीय अपराध है। इस निर्देश का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति, संस्था या समूह के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वे इस नियम का पालन करें और हवाई अड्डे की सुरक्षा व्यवस्था में सहयोग करें।"

    नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट-

    नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जिसे अक्सर जेवर एयरपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है, उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में स्थित है। यह दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र का दूसरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा, जिससे इस क्षेत्र की यात्रा और वाणिज्यिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

    विमानन विशेषज्ञ राकेश सिंह के अनुसार, "नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट न केवल उत्तर प्रदेश के लिए, बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगा। इससे क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और निवेश आकर्षित होगा।"

    ड्रोन प्रतिबंध का महत्व-

    हवाई अड्डों के आसपास ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध दुनिया भर में एक आम प्रथा है। ड्रोन नियंत्रण विशेषज्ञ अनिल वर्मा के अनुसार, "अनियंत्रित ड्रोन विमानन सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं। वे विमानों के इंजन में फंस सकते हैं, पायलटों का ध्यान भटका सकते हैं या उड़ान मार्ग में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।"

    उन्होंने आगे बताया, "इसके अलावा, आतंकवादी गतिविधियों या जासूसी के लिए ड्रोन का दुरुपयोग किया जा सकता है। इसलिए हवाई अड्डों जैसे संवेदनशील स्थानों पर ड्रोन उड़ान को नियंत्रित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।"

    नागरिकों के लिए क्या अर्थ है यह प्रतिबंध?

    यह प्रतिबंध आम जनता, विशेष रूप से ड्रोन उत्साही लोगों और फोटोग्राफरों के लिए महत्वपूर्ण है। ड्रोन फोटोग्राफर अमित शर्मा कहते हैं, "हमें इस नियम का पालन करना चाहिए।"

    स्थानीय निवासी रमेश यादव का कहना है, "हम सभी को इस नियम का पालन करना चाहिए और सुरक्षा अधिकारियों का सहयोग करना चाहिए। आखिरकार, यह हमारी ही सुरक्षा के लिए है।"

    अनुमति प्रक्रिया-

    यदि कोई व्यक्ति या संगठन हवाई अड्डे के क्षेत्र में ड्रोन उड़ाना चाहता है, तो उन्हें एक विशेष प्रक्रिया का पालन करना होगा। ड्रोन नियामक विशेषज्ञ सुनील गुप्ता बताते हैं, "अनुमति प्राप्त करने के लिए, आवेदकों को डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर अपना ड्रोन पंजीकृत करना होगा और उड़ान के लिए पूर्व अनुमोदन प्राप्त करना होगा। इसमें उड़ान का उद्देश्य, समय, अवधि और क्षेत्र की जानकारी देनी होगी।"

    उन्होंने आगे कहा, "अनुमति मिलने पर भी, उड़ान के दौरान सभी नियमों का पालन करना अनिवार्य है, जैसे कि निर्धारित ऊंचाई सीमा, नो-फ्लाई ज़ोन से दूरी, और विमानन सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन।"

    ड्रोन नियंत्रण के लिए नए तकनीकी समाधान-

    आधुनिक हवाई अड्डे अब एंटी-ड्रोन सिस्टम से लैस हैं जो अनधिकृत ड्रोन का पता लगा सकते हैं और उन्हें बेअसर कर सकते हैं। इनमें रडार, रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सेंसर और जैमिंग डिवाइस शामिल हैं।"

    उन्होंने आगे बताया, "भविष्य में, हम ड्रोन ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम्स देख सकते हैं जो अनुमोदित ड्रोन को एक सुरक्षित और नियंत्रित तरीके से अपनी उड़ान संचालित करने की अनुमति देंगे, जबकि अनधिकृत ड्रोन को तुरंत पहचान लिया जाएगा।"

    उल्लंघन पर दंड-

    नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए दंड काफी सख्त हो सकते हैं। कानूनी विशेषज्ञ विवेक त्यागी बताते हैं, "भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण अधिनियम, 1934 के तहत, प्रतिबंधित क्षेत्र में अनधिकृत ड्रोन उड़ाने पर जुर्माना और कारावास दोनों हो सकते हैं। जुर्माना लाखों रुपये तक हो सकता है, और गंभीर मामलों में, 3 साल तक का कारावास भी हो सकता है।"

    उन्होंने आगे कहा, "इसके अलावा, यदि ड्रोन से कोई दुर्घटना होती है या सुरक्षा खतरा पैदा होता है, तो आपराधिक लापरवाही और जान-माल को खतरे में डालने के अतिरिक्त आरोप भी लग सकते हैं।"

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    नागरिकों से अपील-

    अधिकारियों ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे इस प्रतिबंध का सम्मान करें और हवाई अड्डे की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहयोग करें। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी राजेश कुमार ने कहा, "हम सभी नागरिकों से अनुरोध करते हैं कि वे इस नियम का पालन करें और यदि कोई इसका उल्लंघन करता हुआ दिखे, तो तुरंत अधिकारियों को सूचित करें। हमारा उद्देश्य सभी के लिए एक सुरक्षित हवाई यात्रा अनुभव सुनिश्चित करना है।"

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