India and China: मंगलवार को चीन ने कहा, कि वह भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को जल्द से जल्द स्थिर और स्वस्थ विकास के रास्ते पर वापस लाने के लिए काम करने को तैयार है। यह बात राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बीजिंग में बुधवार सुबह शुरू हुई बैठक से पहले कही गई।
डोभाल ने पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पीछे हटाने के लिए 21 अक्टूबर को हुए, समझौते के बाद द्विपक्षीय संबंधी की बहाली पर चर्चा करने के लिए विशेष वार्ता के लिए बुधवार को वांग यी से मुलाकात की। उनकी इस यात्रा से 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत और चीन के संबंधों को सामान्य बनाने के लिए दोनों देशों के बीच आगे का रास्ता मिलने की उम्मीद है। यह वार्ता सुबह 10:00 बजे शुरू हुई।
पहली उच्च स्तरीय वार्ता (India and China)-
दिसंबर 2019 के बाद चीन और भारत के विशेष प्रतिनिधियों के बीच यह पहली उच्च स्तरीय वार्ता थी। 2019 के बाद डोभाल और वांग के बीच बैठकों में सीमा विवादों के बजाय बहुपक्षीय मुद्दों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया गया। एक प्रेस वार्ता के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग ने कहा, कि भारत और चीन के नेताओं के बीच महत्वपूर्ण आम समझ को लागू करने, एक दूसरे के मूल हितों और प्रमुख चिताओं का सम्मान करने, संचार के माध्यम से आपसी विश्वास को मजबूत करने, ईमानदारी और सद्भावना के साथ मतभेदों को ठीक से सुलझाने के लिए, संबंधों को जल्द से जल्द स्थिर और स्वस्थ विकास के ट्रैक पर वापस लाने के लिए चीन भारत के साथ काम करने के लिए तैयार है।
बैठक के दौरान सहमति-
वहीं विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा, कि बुधवार को वांग के साथ डोभाल की बैठक भारत चीन सीमा मुद्दे पर केंद्रित होगी। वह दोनों अपने-अपने देश के विशेष प्रतिनिधि के रूप में काम करते हैं। विदेश मंत्रालय द्वारा दिए गए बयान में कहा गया, कि जैसा की 23 अक्टूबर 2024 को दोनों नेताओं की बैठक के दौरान सहमति हुई थी। दोनों विशेष प्रतिनिधि सीमा क्षेत्र में शांति और स्थिरता के प्रबंधन पर चर्चा करेंगे और सीमा पर निष्पक्ष उचित पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान ढूंढेंगे। चीन और भारत के 3,488 किलोमीटर लंबे सीमा विवाद को व्यापक रूप से सुलझाने के लिए साल 2003 में गठित SRS ने पिछले कुछ सालों में 22 बार बैठक की है। हालांकि सीमा विवाद को सुलझाने में इससे सफलता नहीं मिली।
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समझौते पर हस्ताक्षर-
लेकिन दोनों पक्षों के अधिकारीयों ने दोनों देशों के बीच बार-बार होने वाले तनाव को दूर करने के लिए SRS को उपयोगी और आसान उपकरण मानते हैं। इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने संसद के दोनों सदनों में भारत चीन संबंधों पर विस्तृत बयान दिया। जिसमें उन्होंने जोर दिया, कि तनाव कम करना अगली प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा, कि पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से सैनिकों की वापसी हो चुकी है और चीन और भारत संबंधों में सुधार देखने को मिले हैं। हालांकि समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद चीनी राष्ट्रपति श़ी जिंपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस में वार्ता की। दोनों नेताओं ने पीछे हटने के समझौते का समर्थन किया और अलग-अलग द्विपक्षीय वार्ता तंत्र को पुनर्जीवित करने के निर्देश जारी किए। जिससे संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयासों का संकेत मिलता है।
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