US India Relations: अमेरिका और भारत के बीच एक नई तनातनी शुरू हो गई है। अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने एक टीवी इंटरव्यू में भारत, चीन और ब्राजील को सख्त चेतावनी दी है। उनका कहना है, कि अगर ये देश रूसी तेल खरीदना बंद नहीं करेंगे, तो अमेरिका इनकी अर्थव्यवस्था को तबाह कर देगा। फॉक्स न्यूज़ पर बोलते हुए ग्राहम ने साफ शब्दों में कहा, “मैं चीन, भारत और ब्राजील से कहूंगा, कि अगर आप सस्ता रूसी तेल खरीदकर इस युद्ध को जारी रखने में मदद करते रहेंगे, तो हम आप पर भारी टैरिफ लगाएंगे।” उन्होंने आगे कहा, “हम आपकी अर्थव्यवस्था को कुचल देंगे, क्योंकि आप जो कर रहे हैं वह खून का पैसा है।”
यह बयान उस समय आया है, जब अमेरिका में उन देशों के खिलाफ कड़ी बातें हो रही हैं, जो रूस को आर्थिक मदद देते दिख रहे हैं। यूक्रेन युद्ध के बीच रूस से व्यापार करने वाले देशों पर दबाव बनाने की अमेरिकी रणनीति का यह हिस्सा लग रहा है।
🚨🇺🇸 US Senator threatens to CRUSH BRICS economies
— Sputnik India (@Sputnik_India) July 21, 2025
"If you [INDIA, CHINA, and BRAZIL] keep buying cheap Russian oil… we're going to tariff the hell out of you," said Lindsey Graham*
*recognised as a terrorist in Russia pic.twitter.com/ZZmYtnMffS
ट्रंप की कड़ी चेतावनी-
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस मामले में अपना रुख साफ कर दिया है। व्हाइट हाउस में नाटो महासचिव मार्क रुट्टे के साथ बातचीत के दौरान ट्रंप ने घोषणा की, कि अगर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगले 50 दिनों में शांति समझौते पर सहमत नहीं होते हैं, तो अमेरिका उन देशों पर 100 प्रतिशत “सेकेंडरी टैरिफ” लगाएगा, जो रूसी तेल और गैस खरीदना जारी रखते हैं। पुतिन से अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए ट्रंप ने कहा, “उसके साथ मेरी बातचीत बहुत अच्छी होती है, लेकिन फिर रात को मिसाइलें छूटती हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा, कि ये टैरिफ कोई अंतिम लक्ष्य नहीं हैं, बल्कि पुतिन को बातचीत की मेज पर लाने का जरिया हैं। पुतिन के बारे में ट्रंप ने कहा, “उसने बहुत से लोगों को बेवकूफ बनाया है। उसने क्लिंटन, बुश, ओबामा और बाइडेन को बेवकूफ बनाया, लेकिन मुझे नहीं बना सका।”
कांग्रेस में नया बिल-
इस बीच सीनेटर ग्राहम और रिचर्ड ब्लूमेंथल ने मिलकर अमेरिकी कांग्रेस में एक कड़ा बिल पेश किया है। ये दोनों सीनेटर अलग-अलग पार्टियों से हैं, लेकिन रूस के मामले में एकजुट हैं। इस बिल में रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर 500 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने का प्रावधान है।
सीनेटर ब्लूमेंथल ने सोशल मीडिया पर लिखा, “हम सीनेटर ग्राहम के साथ मिलकर रूस पर प्रतिबंध वाले अपने बिल को आगे बढ़ाते रहेंगे। इसमें भारत, चीन, ब्राजील और अन्य देशों को पुतिन की युद्ध मशीन को ईंधन देने से रोकने के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।” दोनों सीनेटरों का कहना है, कि भारत, चीन और ब्राजील जैसे देश रूसी तेल और गैस की भारी छूट पर खरीदारी करके अप्रत्यक्ष रूप से इस युद्ध को वित्तपोषित कर रहे हैं।
The President’s announcement is a breakthrough step—committing to both substantial military aid & strong sanctions. It recognizes the urgency of showing sledgehammer strength—because peace through strength is the only viable strategy with a thug like Putin. https://t.co/g3pWpWL7Qx
— Richard Blumenthal (@SenBlumenthal) July 14, 2025
भारत की स्थिति-
भारत ने यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत के बाद से रूसी तेल की खरीदारी में तेजी से बढ़ोतरी की है। इस फैसले के पीछे भारत का तर्क ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता है। भारत का कहना है, कि उसे अपनी जनता के हित में सस्ते तेल की जरूरत है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहले भी स्पष्ट किया था, कि भारतीय अधिकारी सीनेटर ग्राहम से इस प्रस्तावित कानून पर पहले से ही संपर्क में हैं। भारत अपनी स्वतंत्र नीति पर अड़ा हुआ है और कहता है, कि वह किसी दबाव में नहीं आएगा।
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व्यापक रणनीति का हिस्सा-
अमेरिका सिर्फ रूस पर ही नहीं, बल्कि उसके व्यापारिक साझीदारों पर भी दबाव बढ़ा रहा है। ट्रंप का यह कदम रिपब्लिकन पार्टी की उस व्यापक योजना का हिस्सा है, जिसका मकसद पुतिन के युद्ध की आर्थिक नसों को काटना और यूक्रेन संघर्ष का तेजी से समाधान करना है। यह युद्ध अब तीन साल से ज्यादा समय से चल रहा है और अमेरिका इसे जल्दी खत्म कराना चाहता है। लेकिन इस प्रक्रिया में भारत जैसे मित्र देशों पर दबाव डालना कितना सही है, यह एक बड़ा सवाल है।
भारत और अमेरिका के बीच यह तनाव आने वाले समय में दोनों देशों के रिश्तों पर असर डाल सकता है। भारत को अब यह तय करना होगा, कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और अमेरिकी दबाव के बीच संतुलन कैसे बनाए।
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