Nobel Peace Price
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    Nobel Peace Price: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल की शुरुआत से ही चर्चाओं में रहने वाली एक और बात सामने आई है। गुरुवार को व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने एक चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा, कि राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने छह महीने के कार्यकाल में हर महीने एक शांति समझौता कराया है। नोबेल शांति पुरस्कार की मांग इस आधार पर उन्होंने ट्रंप के लिए की है।

    लेविट का दावा है, कि ट्रंप ने छह अलग-अलग देशों के बीच चल रहे संघर्षों को खत्म किया है। इनमें इजराइल-ईरान और भारत-पाकिस्तान जैसे लंबे समय से चले आ रहे विवाद भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि “ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाना काफी देर से हो रहा है।” यह बयान अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में एक नई बहस की शुरुआत कर सकता है।

    कौन से संघर्ष सुलझाए गए-

    व्हाइट हाउस के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप ने निम्नलिखित देशों के बीच शांति स्थापित की है। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद को सुलझाया गया है। इजराइल और ईरान के बीच तनाव को कम करने में सफलता मिली है, जो मध्य पूर्व की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। रवांडा और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के बीच लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष का समाधान किया गया है।

    सबसे चर्चित दावा भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापना का है। दोनों देशों के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव को कम करना कोई आसान काम नहीं था। सर्बिया और कोसोवो के बीच की समस्या का हल निकाला गया है, जो बाल्कन क्षेत्र की स्थिरता के लिए जरूरी था। मिस्र और इथियोपिया के बीच नील नदी के पानी को लेकर चले आ रहे विवाद का समाधान भी किया गया है।

    Nobel Peace Price क्या है-

    नोबेल शांति पुरस्कार दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक है। इसकी स्थापना 1895 में अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के अनुसार की गई थी। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों, संस्थाओं या आंदोलनों को दिया जाता है, जिन्होंने “राष्ट्रों के बीच भाईचारा बढ़ाने, स्थायी सेनाओं को कम करने या खत्म करने और शांति सम्मेलनों को बढ़ावा देने के लिए सबसे अच्छा या सबसे ज्यादा काम किया हो।”

    अन्य नोबेल पुरस्कारों के विपरीत जो स्वीडन में दिए जाते हैं, शांति पुरस्कार नॉर्वे में नॉर्वेजियन नोबेल समिति द्वारा प्रदान किया जाता है। यह समिति नॉर्वेजियन संसद द्वारा नियुक्त पांच सदस्यीय टीम है। इसके सदस्य आमतौर पर सेवानिवृत्त राजनेता, शिक्षाविद या कूटनीति, अंतर्राष्ट्रीय कानून या मानवाधिकार के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले लोग होते हैं।

    कौन कर सकता है नामांकन-

    नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन की प्रक्रिया काफी सख्त है। केवल विशिष्ट व्यक्ति ही किसी को इस पुरस्कार के लिए नामांकित कर सकते हैं। संप्रभु राष्ट्रों की राष्ट्रीय सभाओं और सरकारों के सदस्य तथा वर्तमान राष्ट्राध्यक्ष नामांकन कर सकते हैं। हेग में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के सदस्य भी इस पर अधिकार रखते हैं। विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, विशेषकर इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कानून, दर्शन, धर्मशास्त्र के क्षेत्र में काम करने वाले शिक्षक नामांकन दे सकते हैं। शांति अनुसंधान संस्थानों के निदेशक और पूर्व नोबेल शांति पुरस्कार विजेता भी इस सूची में शामिल हैं। व्यक्तिगत आवेदन स्वीकार नहीं किए जाते हैं।

    2025 के लिए रिकॉर्ड नामांकन-

    इस साल नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कुल 338 उम्मीदवारों का नामांकन हुआ है। इनमें से 244 व्यक्ति हैं और 94 संगठन हैं। यह पिछले साल के 286 नामांकनों से काफी ज्यादा है। सबसे ज्यादा नामांकन 2016 में हुए थे, जब 376 उम्मीदवार थे। 2025 के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 31 जनवरी थी। नामांकन की प्रक्रिया में पूर्ण गोपनीयता बरती जाती है। नामांकन 50 साल तक गुप्त रखे जाते हैं। न तो नामांकित व्यक्ति को और न ही नामांकनकर्ता को यह बताया जाता है, कि उनका प्रस्ताव स्वीकार किया गया है या नहीं। समिति फरवरी से अक्टूबर तक कई बैठकें करती है और बाहरी विशेषज्ञों से भी सलाह लेती है।

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    अमेरिकी राष्ट्रपतियों का रिकॉर्ड-

    अब तक चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों को नोबेल शांति पुरस्कार मिल चुका है। 1906 में थियोडोर रूजवेल्ट को रूस-जापान युद्ध में मध्यस्थता के लिए यह सम्मान मिला था। 1919 में वुडरो विल्सन को राष्ट्र संघ की स्थापना के लिए पुरस्कार दिया गया था। जिमी कार्टर को 2002 में राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद शांति प्रयासों के लिए यह सम्मान मिला था।

    सबसे विवादास्पद पुरस्कार 2009 में बराक ओबामा को मिला था। उन्हें “अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति और लोगों के बीच सहयोग को मजबूत बनाने के असाधारण प्रयासों” के लिए यह सम्मान दिया गया था। हालांकि यह पुरस्कार उनके कार्यकाल की शुरुआत में ही दे दिया गया था, जिससे काफी विवाद हुआ था। अब देखना होगा, कि ट्रंप के लिए की गई यह मांग कितनी वैध है और नॉर्वेजियन नोबेल समिति इस पर क्या फैसला लेती है। शांति पुरस्कार का फैसला अक्टूबर में घोषित होता है और दिसंबर में ओस्लो में समारोह आयोजित किया जाता है।

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