India Tsunami Threat
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    India Tsunami Threat: रूस के कुरील द्वीप समूह और जापान के उत्तरी द्वीप होकाइडो के तटीय इलाकों में बुधवार को 8.8 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने पूरे प्रशांत महासागर में सुनामी की चेतावनी जारी कर दी। इस भूकंप के बाद अलास्का, हवाई और न्यूजीलैंड तक के तटीय इलाकों में अलर्ट जारी किया गया। हालांकि, भारतीय राष्ट्रीय समुद्री सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) ने स्पष्ट किया है, कि भारत और हिंद महासागर के लिए कोई सुनामी का खतरा नहीं है।

    INCOIS ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर जानकारी देते हुए लिखा, “इस भूकंप के संबंध में भारत और हिंद महासागर के लिए कोई सुनामी का खतरा नहीं है।” संस्था ने आगे बताया, कि सुनामी चेतावनी केंद्र ने 30 जुलाई 2025 को सुबह 4:54 बजे (IST) पर कामचटका के पूर्वी तट पर 8.7 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया। यह भूकंप 52.57 उत्तर अक्षांश और 160.08 पूर्व देशांतर पर आया था।

    जापान में सुनामी की लहरें दर्ज-

    जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने बताया, कि इशिनोमाकी बंदरगाह पर 50 सेंटीमीटर ऊंची सुनामी की लहर देखी गई, जो अब तक की सबसे ऊंची दर्ज की गई लहर है। इसके अलावा 16 अन्य स्थानों पर 40 सेंटीमीटर तक ऊंची सुनामी की लहरें देखी गईं, जो प्रशांत तट के साथ-साथ दक्षिण की ओर बढ़ रही थीं। यह स्थिति चिंताजनक थी, क्योंकि जापान पहले भी कई बार विनाशकारी सुनामी का सामना कर चुका है। जापानी अधिकारियों ने तत्काल तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी। मछुआरों और समुद्री गतिविधियों में लगे लोगों को विशेष चेतावनी दी गई, कि वे समुद्र से दूर रहें। स्थानीय प्रशासन ने आपातकालीन सेवाओं को भी अलर्ट मोड में रखा।

    अमेरिकी तट पर भी अलर्ट-

    सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने कहा, कि वह हाल के भूकंप के बाद संभावित सुनामी के खतरे पर नजर रखे हुए है। दूतावास ने कैलिफोर्निया, अमेरिका के अन्य पश्चिमी तटीय राज्यों और हवाई में रहने वाले भारतीय नागरिकों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। यह कदम इसलिए जरूरी था, क्योंकि इन इलाकों में काफी संख्या में भारतीय समुदाय रहता है।अलास्का स्थित राष्ट्रीय सुनामी चेतावनी केंद्र ने अलास्का के एल्यूशियन द्वीप समूह के कुछ हिस्सों के लिए सुनामी चेतावनी जारी की। साथ ही पश्चिमी तट के कुछ हिस्सों के लिए सुनामी वॉच जारी किया गया, जिसमें कैलिफोर्निया, ओरेगन, वाशिंगटन और हवाई शामिल हैं। इस सलाह में अलास्का के विशाल तटीय इलाके भी शामिल थे।

    कामचटका में पहले भी आए थे भूकंप-

    यह पहली बार नहीं है, जब कामचटका क्षेत्र में इतने शक्तिशाली भूकंप आए हों। जुलाई में पहले भी इस इलाके में पांच शक्तिशाली भूकंप आए थे, जिनमें सबसे बड़ा 7.4 तीव्रता का था।

    भूवैज्ञानिक कारण और चिंताएं-

    कामचटका और कुरील द्वीप समूह प्रशांत महासागर के “रिंग ऑफ फायर” का हिस्सा हैं, जहां भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधि आम बात है। यह क्षेत्र कई टेक्टोनिक प्लेटों के मिलने का स्थान है, जिसकी वजह से यहां बार-बार भूकंप आते रहते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है, कि इस इलाके में भविष्य में भी ऐसी गतिविधियां होती रहेंगी।

    भारतीय वैज्ञानिकों की निगरानी-

    INCOIS के वैज्ञानिक लगातार दुनियाभर की भूकंपीय गतिविधियों पर नजर रखते हैं। उनके पास आधुनिक उपकरण और तकनीक है जो तुरंत यह पता लगा लेती है, कि कोई भूकंप भारतीय तटों के लिए खतरनाक है या नहीं। 2004 की सुनामी त्रासदी के बाद से भारत ने अपनी चेतावनी प्रणाली को काफी मजबूत बनाया है।

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    सुरक्षा के लिए जरूरी कदम-

    हालांकि भारत के लिए तत्काल कोई खतरा नहीं है, लेकिन तटीय इलाकों के लोगों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए। सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए लोगों को आपातकालीन योजनाओं के बारे में जानकारी रखनी चाहिए। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमों को भी हमेशा तैयार रहना चाहिए।

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