Online Gaming Bill 2025
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    Online Gaming Bill 2025: बुधवार को लोकसभा में एक ऐसा फैसला हुआ, जिसने पूरे ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में तहलका मचा दिया है। संसद ने ऑनलाइन गेमिंग के संवर्धन और नियंत्रण विधेयक 2025 को पारित कर दिया, जिसके तहत भारत में रियल मनी गेम्स पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। यह फैसला करोड़ों खिलाड़ियों और हजारों कंपनियों के लिए जिंदगी बदलने वाला साबित होने जा रहा है।

    सरकार का कहना है, कि यह कदम धोखाधड़ी, काले धन की सफाई और आतंकवादी फंडिंग के खतरों से निपटने के लिए उठाया गया है। साथ ही इससे खेल प्रतियोगिताओं और कौशल आधारित ऑनलाइन खेलों को बढ़ावा मिलेगा। मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को मंजूरी दी थी, जो पैसे वाले ऑनलाइन गेम्स की पेशकश, विज्ञापन या सुविधा प्रदान करने पर जेल और जुर्माने का प्रावधान करता है।

    कड़ी सजा के नए प्रावधान-

    इस नए कानून के तहत सजा के नियम बहुत सख्त हैं, जो भी व्यक्ति या कंपनी ऑनलाइन पैसे वाले खेलों की सेवाएं चलाएगी, उसे तीन साल तक की कैद या एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। चौंकाने वाली बात यह है, कि बैंक और वित्तीय संस्थाएं भी इस दायरे में आती हैं, यदि इन गेम्स में पैसे के लेन-देन में शामिल होती हैं।

    विज्ञापन के मामले में भी सरकार ने सख्ती दिखाई है। अगर कोई भी व्यक्ति या कंपनी रियल मनी गेम्स का प्रचार करेगी, तो उसे दो साल तक की कैद और 50 लाख रुपए तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। यह एक स्पष्ट संदेश है, कि सरकार इस मामले में कोई समझौता नहीं करने वाली।

    समाज की भलाई या उद्योग का नुकसान-

    सरकार ने इस प्रतिबंध को उचित ठहराते हुए कहा है, कि रियल मनी गेम्स से आर्थिक और मानसिक तनाव होता है, जिससे आत्महत्या और नशे की समस्याएं बढ़ती हैं, खासकर बच्चों और युवाओं में। साइबर अपराध, आतंकी फंडिंग और काले धन की सफाई जैसे खतरों का भी जिक्र किया गया है।

    सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस कृष्णन ने स्पष्ट किया, कि यह एक सामाजिक फैसला है। उन्होंने कहा, कि इस विधेयक को सिर्फ मनाही के नजरिए से देखना उचित नहीं है। नौकरियों के नुकसान की चिंताओं पर विचार किया गया है, लेकिन यह भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में है और यह एक सामाजिक निर्णय है।

    उद्योग की चिंता और आर्थिक नुकसान-

    ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के प्रतिनिधि इस कानून का कड़ा विरोध कर रहे हैं। अखिल भारतीय गेमिंग महासंघ, ई-गेमिंग महासंघ और भारतीय काल्पनिक खेल महासंघ ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक संयुक्त पत्र भेजा है। इन संगठनों का कहना है, कि रियल मनी गेम्स पर पूरी तरह से बैन एक ऐसे उद्योग के लिए मौत की घंटी बजाएगा, जिसमें आज 2 लाख से ज़्यादा लोगों को नौकरी मिली है।

    उद्योग के आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र में 25,000 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया है और यह सालाना 20,000 करोड़ रुपए से अधिक कर राजस्व का योगदान देता है। 27,438 करोड़ रुपए के इस ऑनलाइन पैसे वाले खेलों के क्षेत्र के प्रतिनिधि इस फैसले से सदमे में हैं और उनका डर है, कि उन्हें बंद करना पड़ सकता है।

    ड्रीम11, एमपीएल, गेम्स24एक्स7, विंजो, जूपी और सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध नजारा टेक्नोलॉजीज जैसी कंपनियां इस कानून से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकती हैं। नजारा टेक्नोलॉजीज ने क्लासिक रम्मी और पोकरबाजी में हिस्सेदारी हासिल की है।

    नई दिशा और राष्ट्रीय प्राधिकरण-

    हालांकि यह विधेयक रियल मनी गेम्स पर रोक लगाता है, लेकिन यह वैश्विक रुझान के अनुसार, खेल प्रतियोगिताओं और ऑनलाइन खेलों को बढ़ावा देने की बात भी करता है। साथ ही गेमिफिकेशन और एनीमेशन, दृश्य प्रभाव, गेमिंग और कॉमिक्स क्षेत्र को भी प्रोत्साहन देने की योजना है। विधेयक में समग्र गेमिंग उद्योग को नियंत्रित करने के लिए एक राष्ट्रीय प्राधिकरण बनाने का भी प्रस्ताव है। यह प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा, कि स्वस्थ खेलों को बढ़ावा मिले और हानिकारक खेलों पर रोक लगे।

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    सामाजिक फैसला या आर्थिक मार-

    सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस कृष्णन ने सीएनबीसी से बात करते हुए कहा, कि यह एक सामाजिक फैसला है। उन्होंने कहा, कि इस विधेयक का असली प्रभाव दो हिस्सों में है, पहला यह पहचानना, कि उद्योग असल में क्या है और इसके पीछे की मंशा क्या है।

    उन्होंने यह भी बताया, कि उद्योग ने बार-बार उन हिस्सों के बीच वर्गीकरण की मांग की है, जिन्हें बढ़ावा देने की जरूरत है और उन पर पाबंदी लगाने की जरूरत है, जो अवांछनीय हैं। कृष्णन ने जोड़ा, कि रियल मनी गेमिंग ऐप्स को रोकने के लिए विधेयक के प्रावधान व्यापक सार्वजनिक हित में हैं। उन्होंने स्पष्ट किया, कि यह राजनीतिक कार्यपालिका का मत है, कि यह अनुमति देने योग्य नहीं है।

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