Vastu Tips: वास्तु शास्त्र को भारतीय प्राचीन विज्ञान के रूप में माना जाता है। जिसका मुख्य उद्देश्य आवासीय स्थल और पर्यावरण में संतुलन बनाए रखना है। जिससे उस स्थल में रहने वाले लोगों को सही ऊर्जा मिल सके। हमारे चारों ओर मौजूद प्राकृतिक तत्व और शक्तियां हमें वातावरण से जोड़े रखते हैं। प्राकृतिक ऊर्जा को समझ कर जीवन जीने से हम शांति सुख और समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं। वास्तु शास्त्र के मुताबिक बहुत से नियमों का पालन करने से घर में पॉजिटिव ऊर्जा बनी रहती है और नेगेटिव ऊर्जा बाहर निकलती है।
घर में वास्तु दोष-
वास्तु दोष की वजह से मनुष्य अनेक से परेशानियों से जुझता है, खासकर जब ग्रह दशा अशुभ होती है। वास्तु के नियमों (Vastu Tips) का पालन करने से इस प्रकार की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। अगर आप घर में अशांति महसूस हो तो इसका मतलब है कि घर में वास्तु दोष हो सकता है। वास्तु दोष को दूर करने के लिए शास्त्रों में कुछ उपाय बताए गए हैं जिससे जीवन में सुख समृद्धि आ सकती है।
दिशाओं का महत्व-
वास्तु शास्त्र में दिशाओं का बड़ा महत्व होता है। इसलिए उत्तर-पूर्व दिशा में खिड़कियां और दरवाजे होने चाहिए, जिससे प्राकृतिक हवा अंदर आ सके। सही विधि से पूजा करना और भगवान को के दक्षिण दिशा में स्थापित करना काफी फायदेमंद माना जाता है। घर का उत्तर और पूर्व भाग खुला होना चाहिए। वास्तु शास्त्र के मुताबिक वर्गाकार या आयताकार भूमि सबसे अच्छी मानी जाती है।
पूजा घर-
घर में मौजूद रसोई हमेशा दक्षिण पश्चिम या फिर दक्षिण पूर्व में होनी चाहिए। पूजा घर को ईशान कोण में स्थापित करना चाहिए और शौचालय को घर के उत्तर पश्चिम या फिर दक्षिण पश्चिम में रखना चाहिए।
ये भी पढ़ें- Dussehra 2023: ये अचूक उपाए दिलाएंगे हर बाधाओं से छुटकारा
गूगल की धूप-
वास्तु शास्त्र में देवताओं की पूजा को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। मुख्य द्वार पर शुभ प्रतीक चिन्ह लगाना जरूरी है। कारखाने के मुख्य द्वार पर शुभचिन लगाना चाहिए। रोजाना नंगे पांव घास पर चलने से ऊर्जा का संचार बेहतर होता है और घर में रोजाना गूगल की धूप जलाना चाहिए। झाड़ू को सही तरीके से रखना और उसका सम्मान करना चाहिए। घर के द्वारा की संख्या को सम रखना चाहिए और उसमें शून्य नहीं होना चाहिए। रसोई घर का आकार भी वस्तु के मुताबिक ही चुना जाना चाहिए।
ये भी पढ़ें- Navratri Day 9: महानवमी पूजा विधि, मां सिद्धिदात्री के लिए भोग, शुभ मुहुर्त