Ramadan 2025
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    Ramadan 2025: जामा मस्जिद और लखनऊ के शाही इमाम ने घोषणा की है, कि पवित्र रमज़ान का महीना भारत में रविवार, 2 मार्च 2025 से शुरू होगा। शुक्रवार को चांद न दिखने के कारण शनिवार को 30वां शाबान मनाया जाएगा, जिसके बाद रविवार से रोज़े शुरू होंगे। यह इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना है, जिसे मुसलमान दुनियाभर में विशेष श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं।

    जामा मस्जिद के अधिकारियों ने बताया, कि भारत में शुक्रवार को हिलाल (नया चांद) नहीं दिखाई दिया, इसलिए शाबान महीना 30 दिन का होगा और रमज़ान का पहला रोज़ा रविवार, 2 मार्च को रखा जाएगा। शनिवार शाम से तरावीह नमाज़ का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा, जो इशा की नमाज़ के बाद पूरे रमज़ान महीने में रोज़ाना अदा की जाती है।

    सऊदी अरब में एक दिन पहले शुरू होगा रमज़ान-

    सऊदी अरब में शुक्रवार, 28 फरवरी को चांद दिख गया, जिसके कारण वहां शनिवार 1 मार्च से रोज़े शुरू हो जाएंगे। सऊदी अरब में रमज़ान 1446 हिजरी का आगाज़ हो चुका है और वहां पहला रोज़ा शनिवार को रखा जाएगा, जबकि तरावीह नमाज़ शुक्रवार रात से ही शुरू हो गई है।

    आमतौर पर सऊदी अरब में चांद का दीदार भारत से एक दिन पहले होता है, जिसके कारण वहां रमज़ान भी एक दिन पहले शुरू होता है। इंडोनेशिया में भी रमज़ान का चांद देखा गया है, इसलिए वहां भी सऊदी अरब की तरह 1 मार्च से रोज़े शुरू होंगे।

    इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है रमज़ान-

    रमज़ान इस्लाम के पांच बुनियादी स्तंभों में से एक है। यह आध्यात्मिक चिंतन, आत्म-अनुशासन और बढ़ी हुई भक्ति का समय है। इस महीने में मुसलमान सूर्योदय से सूर्यास्त तक रोज़ा रखते हैं, जिसमें खाना-पीना, धूम्रपान और नकारात्मक विचारों से दूर रहकर प्रार्थना, दान और आत्म-शुद्धिकरण पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

    रोज़े की शुरुआत सुबह की अज़ान (फज्र) से पहले 'सेहरी' खाकर होती है, और शाम को सूरज डूबने के बाद 'इफ्तार' के साथ रोज़ा खोला जाता है। रमज़ान का पूरा महीना आत्म-संयम, धैर्य और परोपकार के भाव से भरा होता है।

    दक्षिण एशिया में रमज़ान का आगाज़-

    भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में आमतौर पर सऊदी अरब से एक दिन बाद चांद दिखाई देता है। इस वर्ष भी, 28 फरवरी 2025 को दक्षिण एशिया में चांद नहीं दिखा, जिसके कारण इन क्षेत्रों में रविवार, 2 मार्च 2025 से रमज़ान की शुरुआत होगी।

    लखनऊ के प्रसिद्ध शाही इमाम ने कहा, "हमारे यहां चांद नहीं दिखा है, इसलिए रमज़ान का पहला रोज़ा रविवार को होगा। शनिवार शाम से मस्जिदों में तरावीह नमाज़ शुरू हो जाएगी, जो पूरे महीने चलेगी।"

    विश्व के विभिन्न देशों में रमज़ान का शेड्यूल-

    फिलीपींस-

    फिलीपींस में भी चांद नहीं दिखा है, जिसके कारण वहां रमज़ान के रोज़े रविवार, 2 मार्च 2025 से शुरू होंगे।

    न्यूज़ीलैंड-

    न्यूज़ीलैंड की इस्लामिक कम्युनिटी ने नए चांद के दर्शन की पुष्टि कर दी है, जिससे आधिकारिक तौर पर रमज़ान की शुरुआत हो गई है। देश के मुसलमानों ने इस पवित्र महीने के पालन में रोज़े और प्रार्थनाएं शुरू कर दी हैं।

    मलेशिया-

    मलेशिया ने घोषणा की है कि चांद पहले दिखाई न देने के कारण रमज़ान रविवार, 2 मार्च से शुरू होगा।

    रमज़ान के दौरान विशेष इबादत-

    रमज़ान के महीने में रोज़े के अलावा कई विशेष इबादतें की जाती हैं। तरावीह नमाज़, जो इशा की नमाज़ के बाद पढ़ी जाती है, इस महीने की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। इसके अलावा, कुरान पढ़ना, ज़कात (दान) देना और इफ्तार पार्टियों का आयोजन करना भी इस महीने की विशेषताएं हैं। मस्जिदों में रोज़ाना क्विज़ प्रतियोगिताएं, धार्मिक व्याख्यान और सामूहिक इफ्तार का आयोजन किया जाता है। रमज़ान के अंतिम 10 दिनों में 'लैलतुल कद्र' (शक्ति की रात) की तलाश में कई लोग मस्जिदों में 'एतिकाफ' (आध्यात्मिक अलगाव) में बैठते हैं।

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    दिल्ली के जामा मस्जिद के एक अधिकारी ने बताया, "रमज़ान हमारे लिए आत्म-जागरूकता और आध्यात्मिक नवीकरण का महीना है। इस दौरान हम अपने आप को बुराइयों से दूर रखने और अच्छे कामों में लगाने की कोशिश करते हैं। यह हमें गरीबों की परेशानियों को समझने का मौका देता है।"

    ईद-उल-फितर के साथ होगा रमज़ान का समापन-

    लगभग 29 या 30 दिनों के बाद, रमज़ान का महीना ईद-उल-फितर के त्योहार के साथ समाप्त होगा। ईद का त्योहार भी चांद के दिखने पर निर्भर करता है, और इस वर्ष यह अप्रैल के आखिरी सप्ताह में पड़ने की संभावना है। ईद के दिन मुसलमान विशेष नमाज़ अदा करते हैं, एक-दूसरे से मिलते हैं, मिठाइयां बांटते हैं और खुशियां मनाते हैं। इस पवित्र महीने में, मुसलमान दुनिया भर में अपनी आध्यात्मिक यात्रा को मजबूत करने, परोपकार करने और अल्लाह के प्रति अपनी भक्ति को गहरा करने के लिए प्रयासरत रहते हैं।

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