Navratri 2024 Day 2
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    Navratri 2023 Day 2: शारदिय नवरात्रि का त्योहार शुरू हो चुका है, 9 दिवसीय हिंदू त्योहार पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह देवी दुर्गा के 9 अवतारों की पूजा करने के लिए समर्पित है। जिन्हें नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है। अर्थात शैलपुत्री, ब्रह्मचारी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धि दात्री। माता के दूसरे रूप की बात की जाए तो देवी ने दक्ष प्रजापति के घर जन्म लिया। वह एक महान सती थीं और उनके अविवाहित रूप को देवी ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है। इसलिए नवरात्रि के दूसरे दिन भक्त मां दुर्गा के इस रूप की पूजा करते हैं।

    कठोर तपस्या-

    इस दिन मां सफेद कपड़ो में एक शांति रूप धारण करती हैं, नंगे पैर चलती हैं, अपने दाहिने हाथ में एक जप माला रखती हैं और अपने बाएं हाथ में एक कमंडल (एक पारंपरिक पानी का बर्तन) रखती हैं। हिंदू धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक, देवी ब्रह्मचारी ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उन्होंने कठिन तपस्या की जिसकी वजह से उन्हें ब्रह्मचारी के नाम से जाना जाता है। इस 9 दिवसीय उत्सव के दौरान भक्त 9 दिनों तक उपवास करते हैं और विभिन्न अनुष्ठानों में संलग्न रहते हैं। जिसमें नवरात्रि घट स्थापना, दुर्गा सप्तशती पाठ, दुर्गा आरती, दुर्गा चालीसा कन्या, पूजन और जीवंत गरबा और डांडिया शामिल है।

    मुहुर्त-

    दसवां दिन दशहरे के नाम से जाना जाता है, यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस साल नवरात्रि 15 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक मनाई जाएगी, जिसका समापन दशहरा में होगा। नवरात्रि का दूसरा दिन सोमवार 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा। पंचांग के मुताबिक द्वितीया तिथि 16 अक्टूबर को दोपहर 12:32 बजे से 17 अक्टूबर को दोपहर 1:13 बजे तक प्रभावी रहेगी। ऐसा माना जाता है कि भगवान मंगल सभी भाग्य की प्रदाता देवी ब्रह्मचारी द्वारा शासित हैं और जो व्यक्ति मां ब्रह्मचारी की पूजा करता है उसे शांति और सुख की प्राप्ति होती है। ‌सफेद रंग पवित्रता और मासूमियत के समान है। सोमवार को सफेद रंग की पोशाक पहने और आंतरिक शांति और सुरक्षा की भावना अनुभव करें।

    मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि-

    सुबह की पूजा के लिए जल्दी उठे और ताजा और साफ कपड़े पहने। देवी ब्रह्मचारिणी की मूर्ति को पंचामृत में डुबोया जाता है, जो पांच सामग्रियों शहद, चीनी, दूध, दही और घी से मिलकर बना होता है। फिर मूर्ति के माथे पर सिंदूर लगाया जाता है। पूजा के दौरान भक्त देवी ब्रह्मचारिणी को फूल, अक्षत और चंदन चढ़ाते हैं। वह देवी के बगल में सुपारी और पान भी रखते हैं। इस दौरान उनके पसंदीदा चमेली के फूलों से उनकी पूजा की जाती है।

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    देवी ब्रह्मचारिणी को अर्पित किए जाने वाले पारंपरिक भोग है गुड़, एक प्रकार की चीनी है जो गान्ने के रस से बनाई जाती है। यह पवित्रता और सरलता का प्रतीक है, जो मां ब्रह्मचारिणी से जुड़े हैं। मां ब्रह्मचारिणी के भोग में अन्य सामान्य प्रसाद में शामिल होते हैं, जैसे फल सेब, केला और संतरा। मिठाइयों में लड्डू, बर्फी और गुलाब जामुन, खीर, हलवा। भक्त भोग के रूप में फल, फूल, धूप और मोंमबत्तियां जैसे अन्य वस्तुएं भी चढ़ा सकते हैं।

    भोग सामग्री-

    आपको भोग बनाने के लिए एक कप गुड़, एक कप पानी और आधा चम्मच इलायची पाउडर।

    विधि-

    इसे बनाने के लिए सबसे पहले एक छोटे सौसपैन में गुड़ और पानी को मध्य आंच पर गर्म करें, जब तक गुड पिघल ना जाए और मिश्रण में उबाल ना आ जाए, आंच धीमी कर दें और 5 मिनट तक मिश्रण को गाढ़ा होने के लिए धीमी आंच पर पकाएं। आंच से उतार लें और इलायची पाउडर डालकर मिला लें। इसके साथ ही आप मां ब्रह्मचारिणी को एक साधारण फल का भी भोग लगा सकते हैं। एक थाली में विभिन्न प्रकार के फल जाकर देवी को अर्पित कर सकते हैं।

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