Maha Kumbh 2025: विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम, महा कुंभ मेला 2025, जो पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर 13 जनवरी को प्रारंभ हुआ, अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर अग्रसर है। प्रयागराज के जिलाधिकारी रवींद्र कुमार मंधाड ने स्पष्ट किया है कि मेले की समाप्ति महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी 2026 को होगी, और इस तिथि में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया गया है।
Maha Kumbh 2025 अफवाहों का खंडन-
सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों के बीच, जिलाधिकारी मंधाड ने एएनआई से बातचीत में कहा, "यह महज एक अफवाह है। जब तक प्रशासन या सरकार की ओर से कोई आधिकारिक सूचना नहीं आती, तब तक किसी भी प्रकार की अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।" उन्होंने कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा फैलाई जा रही भ्रांतियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सोशल मीडिया के इस युग में ऐसी अफवाहें लोगों को परेशानी में डाल सकती हैं।
#WATCH | Uttar Pradesh: On the rumours that dates of Maha Kumbh Mela 2025 are being extended, Prayagraj District Magistrate Ravindra Kumar Mandhad says, "This is a rumour, and the end date for the Maha Kumbh Mela will be the 26th of February... I have said in the past also that… pic.twitter.com/cguzRGFH5d
— ANI (@ANI) February 13, 2025
Maha Kumbh 2025 श्रद्धालुओं का अटूट प्रवाह-
त्रिवेणी संगम में श्रद्धालुओं का प्रवाह निरंतर जारी है। गुरुवार को ही 27.3 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में स्नान किया। उत्तर प्रदेश सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 12 फरवरी तक कुल 48.29 करोड़ से अधिक श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान कर चुके हैं। यह आंकड़े इस आयोजन की विशालता और महत्व को दर्शाते हैं।
माघ पूर्णिमा का सफल समापन-
शहरी विकास विभाग के सचिव अनुज झा ने माघ पूर्णिमा स्नान के सफल समापन को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा, "पिछले महीने लाखों कल्पवासी और करोड़ों तीर्थयात्री यहां आए। शहरी विकास विभाग नोडल विभाग था, और सभी व्यवस्थाएं कुशलतापूर्वक की गईं।" प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए उन्होंने बताया कि सभी विभागों ने समन्वय के साथ काम किया।
आधुनिक प्रबंधन के साथ परंपरा का निर्वहन-
महा कुंभ मेला 2025 ने आधुनिक प्रबंधन और पारंपरिक मूल्यों के बीच एक सुंदर संतुलन स्थापित किया है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विस्तृत व्यवस्थाएं की हैं, जिसमें स्वच्छता, सुरक्षा, और आवागमन की उचित व्यवस्था शामिल है। विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आधुनिक सुविधाओं के साथ पारंपरिक आस्था का अनुभव सुनिश्चित किया गया है।
भविष्य की योजनाएं और अपेक्षाएं-
आने वाले महीनों में और अधिक श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने अतिरिक्त व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं। जिलाधिकारी मंधाड ने स्पष्ट किया है कि प्रशासन श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे केवल आधिकारिक सूचनाओं पर ही भरोसा करें और अफवाहों से दूर रहें।
आध्यात्मिक महत्व और सांस्कृतिक विरासत-
महा कुंभ मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी है। यह आयोजन विश्व भर के लोगों को भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता से परिचित कराता है। त्रिवेणी संगम में स्नान के साथ-साथ साधु-संतों के दर्शन, सत्संग, और सांस्कृतिक कार्यक्रम इस आयोजन को एक अद्वितीय अनुभव बनाते हैं।
ये भी पढ़ें- प्रेमानंद जी महाराज की रात की यात्रा पर लगा ब्रेक, कॉलोनी की महिलाओं ने.., यहां जानें पूरा मामला
महा कुंभ मेला 2025 भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक जीवंत उदाहरण है। प्रशासन की कुशल व्यवस्थाओं और श्रद्धालुओं की अटूट आस्था के बीच यह आयोजन सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है। 26 फरवरी 2026 को महाशिवरात्रि के दिन इसका समापन होगा, जिसके लिए प्रशासन पूरी तरह तैयार है। यह आयोजन न केवल भारत के लिए गौरव का विषय है, बल्कि विश्व के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक भी है।
ये भी पढ़ें- कब है Mahashivratri 2025? यहां जानें तिथि, समय, पूजा विधि और महत्व