Aarti Niyam: हिंदू धर्म में पूजा पाठ का बहुत महत्व माना जाता है। लोग अपने मन की शांति और घर में सकारात्मक के लिए पूजा पाठ करते हैं। पूजन के समय आरती करने से भगवान प्रसन्न होते हैं, जिससे घर में सुख समृद्धि आती है। लेकिन बहुत से लोग कुछ समय आरती करते समय कुछ गलतियां कर देते हैं। दिया रखते समय की गई छोटी सी गलती से आपकी पूजा का फल आपको नहीं मिलता। आरती करते समय भी आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, आईए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
अलग-अलग तरह की बाती का इस्तेमाल-
आरती करते समय बहुत से लोग रुई की बाती का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अलग-अलग देवी देवताओं के लिए पूजा करते समय अलग-अलग तरह की बाती का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हिंदू धर्म के मुताबिक उग्र देवी देवताओं की पूजा करते समय सरसों के तेल का दिया जलाना चाहिए और उसमें लाल रंग के धागे की बाती का इस्तेमाल करना चाहिए। जबकि दूसरी ओर शांत स्वरूप वाले भगवान की पूजा के लिए रुई की बाती और शुद्ध घी का इस्तेमाल होता है। इससे पूजन का शुभ फल मिलता है। बहुत से लोग आरती करने के बाद उसे दिये या थाली की नीचे रख देते हैं। जबकि वास्तु शास्त्र के मुताबिक ऐसा करना गलत माना जाता है।
मूर्ति दोष (Aarti Niyam)-
यह अपशगुन होता है, दिये को कभी भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए। इसे या तो सिंहासन पर रखें या फिर नीचे कोई आसन बिछा कर रखें। बहुत से लोग टूटे या दरार वाले दिये का इस्तेमाल कर लेते हैं। ऐसा करना मूर्ति दोष का कारण बन जाता है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक दिये का इस्तेमाल करने से धन की हानि होती है और मां लक्ष्मी नाराज हो जाती है। दिया जलाने के लिए समय का ध्यान रखना भी काफी जरूरी माना जाता है। शास्त्रों के मुताबिक, सुबह के समय दीपक हमेशा 5:00 बजे से 10:00 बजे के अंदर जलाना चाहिए। जबकि शाम के समय 5 से 7 के बजे ही जलाना चाहिए। बहुत से लोग शाम के समय में घर के कोने पर दीपक जलाते हैं।
रोशनी दक्षिण दिशा की ओर-
लेकिन ध्यान रहे कि दीपक कभी भी पश्चिम दिशा की ओर नहीं रखना चाहिए। क्योंकि ऐसा होने से घर के सदस्यों पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ता है। दीपक को कभी भी इस तरह से रखें कि उसकी रोशनी दक्षिण दिशा की ओर पड़े। ऐसा होने पर रुपए-पैसों का नुकसान हो सकता है। दीपक वैसे तो भगवान के बीचो-बीच रखना चाहिए। लेकिन इसकी स्थिति उसमें भरे जाने वाले द्रव्य पर निर्भर करती है। अगर दिया घी का है तो आप उसे अपने बाए हाथ की ओर रखें। जबकि दिया तेल का होने पर इसे दाहिने हाथ की ओर रखना चाहिए। पूजन के समय दीपक को बुझने न दे ऐसा होना अपशकुन माना जाता है। इससे घर में बीमारी और नकारात्मकता का वास हो जाता है।
शुभ फलों की प्राप्ति-
जिसे भगवान अप्रसन्न होते हैं और पूजा का पूर्ण फल नहीं मिल पाता। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, शाम के समय घर के मुख्य दरवाजे पर भी एक दिया जलाना चाहिए। लेकिन इसे जमीन पर नहीं रखना चाहिए, बल्कि थोड़े से चावल बिछाकर उस पर दीपक का स्थान बनाएं। जिन घरों में इस तरह शाम के समय दीपक जलाया जाता है। मां लक्ष्मी का हमेशा वास रहता है, इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए कि घी के दीपक को हमेशा अपने बाए हाथ की ओर रखना चाहिए और तेल के दीपक को दाएं हाथ की ओर रखना चाहिए। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है, उसके साथ ही इस बात का भी ध्यान का रखना चाहिए कि एक दीपक से दूसरे दीपक को कभी नहीं जलाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति कर्ज में डूब जाता है, ध्यान रहे कि दीपक कभी भी पश्चिम दिशा की ओर नहीं होना चाहिए।
आर्थिक परेशानियों का सामना-
क्योंकि ऐसा होने से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के साथ आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा स्कंद पुराण के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति भगवान की विधि विधान से पूजा करने के साथ ही मंत्र आदि ठीक ढंग से नहीं पढ़ पाता, तो पूजन के बाद श्रद्धा के साथ आरती कर लेनी चाहिए। ऐसा करने से भगवान व्यक्ति की पूजा को पूरी तरह से स्वीकार कर लेते हैं। स्कंद पुराण के मुताबिक, आरती करने की भी एक विधि बताई गई है। जिसका पालन करना जरूरी माना जाता है। घरों में सुबह और शाम दोनों वक्त आरती करने का विधान है। देवी देवता की आरती करने के लिए घी, कपूर, धूप आदि का इस्तेमाल करना चाहिए। रुई और घी से बनी बाती बनाकर देवी देवताओं की पूजा आरंभ करनी चाहिए।
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दीपक का शुद्धिकरण-
इस बात का ध्यान रहे की बाती, कपूर आदि की संख्या 1, 2, 5 या 7 होनी चाहिए। आरती आरंभ करने से पहले दीपक के चारों ओर दो बार जल जरूर घूमना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इससे दीपक का शुद्धिकरण हो जाता है। इसके बाद विधिवत तरीके से खड़े होकर आरती करनी चाहिए। अगर आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्या है तो फिर आप बैठकर भी आरती कर सकते हैं। सभी देवताओं की आरती करने के बाद जल से शुद्धिकरण जरूर करें। इसके लिए दीपक को रखकर पुष्प और फिर पूजा वाले चम्मच में थोड़ा सा जल लेकर दीपक में चारों ओर दो बार घूमाकर जल धरती में छोड़ देना चाहिए।
उसके बाद भगवान से भूल चुक के लिए माफी मांगे और फिर अपने आप और परिवार के सभी सदस्यों की आरती देनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि भगवान की पूरी शक्ति इसी ज्योति में समा जाती है और जो व्यक्ति हाथों से आरती लेकर माथे पर लगता है। वह भगवान का आशिर्वाद पाता है। उसके जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है। आपको आरती या पूजा करते समय इन नियमों का ध्यान रखना चाहिए। नियमों के साथ पूजा करने से आपको इसका पूरा फल मिलता है।
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